फिल्ममेकर विधु विनोद चोपड़ा का कहना है कि कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित उनकी आने वाली फिल्म ‘शिकारा’ का मकसद समुदाय के लिए दुख का अहसास कराना नहीं बल्कि यह दिखाना है कि कैसे त्रासदी के समय भी वह डट कर उसका सामना करते खड़े रहे.
फिल्म की 30 मिनट की स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान फिल्मकार ने कहा कि फिल्म में दिखाया गया है कि दुख के समय कैसे कश्मीरी पंडित अपने जीवन को वापस पटरी पर ले आए.
चोपड़ा ने कहा
‘‘ हमारे घर छीन लिए गए थे. यह ऐसी चीज हैं जिसको लेकर हमारा रुख अडिग है. इस कहानी को बयां करने के लिए हिम्मत चाहिए और वह भी ऐसे अंदाज में बयां करने के लिए कि लोग इसे देखने आएं. हम ऐसी फिल्म नहीं बनाना चाहते थे जिसे दो लोग देखें और कहें ‘ओह, देखो इनके साथ कितना बुरा हुआ’.
उन्होंने कहा,
हम ऐसी फिल्म बनाना चाहते थे जहां आप देखें कि हमारे साथ क्या हुआ और उसके बावजूद हम अपने जीवन में उम्मीद के सहारे खड़े रहे. हम भिखारी नहीं हैं. हमने सरकार के सामने अपने हाथ नहीं फैलाए बल्कि हम अपने पैरों पर खड़े रहे. यह छोटी नहीं, बल्कि बड़ी बात है.
फिल्म ‘शिकारा’ में आदिल खान और सदिया नजर आएंगे. यह सात फरवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज हो रही है.
चोपड़ा ने कहा कि ‘शिकारा’ एक मनोरंजक फिल्म है लेकिन लोगों को सिनेमा घर तक लाने के लिए कहानी की रूह के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया. फिल्मकार ने कहा कि फिल्म उनकी मां को समर्पित हैं, जिनका 2007 में निधन हो गया था.
शिकारा एक ऐतिहासिक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है. जिसमें साल 1990 में हुई एक समुदाय के साथ बर्बरता की कहानी को दिखाया गया है. विधु कश्मीर में हुए ऐसे जख्म को पर्दे पर उतारने जा रहे हैं जिसका दर्द कश्मीरियों के दिल में आज भी जिंदा है.
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