विक्रमादित्य मोटवानी ने अपनी नई फिल्म भावेश जोशी में साल 2011 के एंटी करप्शन मूवमेंट को दिखाया है, जब देश में एक गुस्सा फैल रहा था. भावेश और उसका दोस्त सिकंदर इंसाफ टीवी नाम का एक यूट्यूब चैनल शुरू करते हैं. दोनों मिलकर समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं. पेपर मास्क पहनकर कभी पेड़ कटने से बचाते हैं, तो कभी ट्रैफिक रूल अपनाने के लिए जोर देते हैं. कानून से जुड़ी हर चीज का पालन करवाते हैं.
लेकिन इनका ये उत्साह जल्द ही जन लोकपाल आंदोलन की तरह ठंडा भी पड़ जाता है, क्योंकि सिक्कू अपनी कॉरपॉरेट जॉब में बिजी हो जाता है. लेकिन भावेश हार नहीं मानता.
इसके बाद फिल्म डार्क साइड में जाती है और हमारे ये देसी सुपरहीरो मुंबई के लोकल वॉटर माफिया से पंगा ले लेते हैं. हमारे हीरो के अंदर कोई अलग से शक्तियां नहीं है, सिवाए गुस्से के. इंटरवल के बाद तो रिवेंज ही लिया गया है.
156 मिनट की फिल्म को देखकर लगता है कि कोई इसे फॉर्वर्ड कर दे और हम कब प्वाइंट पर पहुंचें. फिल्म में मार्शल आर्ट सीखने वाले सीन हैं, उसके अलावा थोड़ी बहुत जो टेक्निकल पावर है, उसकी वजह से आप उतनी देर के लिए सीट से चिपककर बैठे रहेंगे.
दोनों ही एक्टिविस्ट हीरो प्रियांशु और हर्षवर्धन कपूर काफी प्रभावित करते हैं. फिल्म तो परफेक्ट नहीं है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इसके कैरेक्टर बेहतर हैं.
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