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दिल बेचारा रिव्यू: बहुत कठिन है सुशांत की इस आखिरी फिल्म को देखना

सुशांत सिंह राजपूत का आखिरी फिल्म दिल बेचारा

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दिल बेचारा रिव्यू: बहुत कठिन है सुशांत की इस आखिरी फिल्म को देखना

सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ हॉट स्टार पर रिलीज हो गई है. सबसे पहले तो मैं आपको ये बताऊंगी की ये फिल्म देखना काफी कठिन था और इसे बनाना भी काफी मुश्किल और इसकी वजह हैं सुशांत सिंह राजपूत, इस फिल्म को देखते हुए ये सोचना भी काफी बुरा लग रहा था कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं.

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आप उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखते हो, उनका डिंपल, उनकी आंखों में ट्विंकल वो इस फिल्म में बेहतरीन दिखे हैं, ये आपके दिल को तोड़ देता है कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहे.

‘ दिल्ली बेचारा’ The Fault in Our Stars पर बेस्ड है, अगर आपने वो फिल्म देखी है या किताब पढ़ी है, तो आपको पता होगा कि क्या कहानी है और क्या होने वाला है. इस फिल्म में देसी तड़का लगाया गया है. मुकेश छाबड़ा की ये फिल्म जमशेदपुर के किज्जी और मैनी यानी संजना सांघी और सुशांत सिंह राजपूत की कहानी है. संजना के माता-पिता के किरदार में हैं स्वस्तिका मुखर्जी और शास्वत चटर्जी और कैमियो में सैफ अली खान का किरदार भी आपका दिल छू लेगा.

मैनी और किज्जी दोनों बहुत बीमार हैं. वे दोनों खुद की अस्थिरता के बारे में अच्छी तरह जानते हैं, इस बीच दोनों का रिलेशनशिप बहुत प्यारा मोड़ ले लेता है. मैनी की दिल को छू जाने वाली मुस्कान देखना बेहद खूबसूरत लगता है, लेकिन हम सभी इस दौरान उस दर्द को भी महसूस करते हैं, जो सुशांत ने अपने दिल की गहराईयों में छुपा रखा था.

फिल्म में ए आर रहमान का म्यूजिक भी बेहतरीन है. कुछ सींस जो प्लॉट के लिए बेहद कठिन थे, जैसे कि दोनों एक साथ जिस ट्रिप पर जाते हैं. और वो दोनों जिस तरह से एक शख्स से मिलने के लिए इतने बेकरार हैं, इन सींस को बहुत जल्दी-जल्दी दिखाया गया है. हम और ज्यादा कुछ देखना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ओरिजनल फिल्म 2 घंटे की थी और ये फिल्म सिर्फ एक घंटे 45 मिनट की.

सुशांत सिंह राजपूत का आखिरी फिल्म दिल बेचारा
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फिल्म के कुछ सींस और डायलॉग जो सुशांत बोलते हैं जैसे कि एक जगह वो कहते हैं कि मेरे बड़े बड़े ख्वाब हैं, इसे सुनकर आप इमोशनल हो जाएंगें. ये बहुत ही स्पेशल फिल्म है. ये दिल को तोड़ने वाला है कि सुशांत सिंह अब हमारे साथ नहीं हैं. 

हालांकि, सुशांत ने फिल्म में अपना बेहतर काम किया और एआर रहमान के संगीत का जादू भी लोगों पर असर करता दिखाई दिया, लेकिन फिल्म का अंत रियल और रील के बीच की खाई को पाट नहीं सका! सबकी, एक ही चाहत थी कि मैनी और सुशांत को एक-दूसरे में वह सुकून मिले जिसे वो जीवन भर साथ लेकर चल सकें. सुशांत के प्रशंसकों के लिए, अंत एक समाप्ति को दिखा सकता था.

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