पिछली बार जब फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) और राकेश ओमप्रकाश मेहरा एक साथ 'भाग मिल्खा भाग' (Bhaag Milkha Bhaag) लेकर आए थे, जो महान मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित एक थकाऊ कहानी थी. फिल्म 'तूफान' में, एक स्पोर्ट्स बायोपिक के सभी ट्रैपिंग को फिर से लाया गया है, लेकिन फिल्म में कुछ ही मिनटों में थकान पहले ही महसूस होने लगती है. तूफान कहानी है अजीज अली की, जो एक बॉक्सर है, जिसका किरदार निभाया है फरहान अख्तर ने.
'तूफान' में अजीज यानी अज्जू भाई (फरहान अख्तर) डोंगरी का गैंगस्टर है, जो खुद को कुशल मुक्केबाज अजीज अली के रूप में देखता है. अजीज को कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलता है. तूफान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि ये एक उबासी लेनी वाली फिल्म है, ये फिल्म इतनी लंबी और बोरिंग है कि आप थक जाएंगे.
फिल्म के क्लाइमेक्स में आपको एक बड़ा ट्विस्ट मिलेगा परेश रावल का किरदार, उनकी शक्ल देखकर आपको पता चल जाएगा कि आगे क्यों होने वाला है.
अजीज अली का अपना एक अतीत रहता है, जिसमें मुक्केबाजी और डॉक्टर अनन्या (मृणाल ठाकुर) उसका पहला प्यार होते हैं. बॉलीवुड फिल्म निर्माता अपनी नायिकाओं को "करियर" देने की जहमत ही क्यों उठाते हैं ये समझ नहीं आता, जब अंत में उन्हें अपने हीरो की ही जीत का प्रदर्शन करना है? अनन्या को केवल कुछ सीन्स के लिए दिखाया गया है, इसके बाद अनन्या को पूरी तरह से अजीज पर निर्भर दिखाया जाता है.
विजय राज और दर्शन कुमार फिल्म में कैमियो एंट्री करते हैं. सुप्रिया पाठक की प्रतिभा इस फिल्म में बर्बाद हो जाती है, क्योंकि वह एक और रूढ़िवादी कैथोलिक चरित्र निभाती हैं, जो अंग्रेजी शब्दों के साथ टूटी हिंदी बोलती है.
तूफान वास्तव में तभी जीवंत होती है जब ध्यान अनन्या के साथ अजीज के रिश्ते पर जाता है. दोनों जिस पूर्वाग्रह और कट्टरता से गुज़रते हैं, वह दुखद है और कुछ समय के लिए ऐसा लगता है कि फिल्म आखिरकार पटरी पर है. हालांकि, सभी को प्रभावित करने की अपनी उत्सुकता में, फिल्म नैरेटिव को छोड़ देती है और अपने स्वयं के संदेश को देने लगती है जिससे तूफान अनावश्यक भी महसूस होती है.
रेटिंग: 5 में से 2 क्विंट्स
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