ADVERTISEMENT

Manipur हिंसा के बीच लागू आर्टिकल 355 क्या है? राष्ट्रपति शासन से कितना अलग

Manipur की स्थिति बेकाबू होने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में आर्टिकल 355 लागू कर दिया.

Published
कुंजी
4 min read

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

ADVERTISEMENT

मणिपुर (Manipur) में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदाय मैतेई (Meitei) के बीच विवाद के बाद हिंसा भड़की. करीब 60 लोगों की मौत हो गई. ये हिंसा ये विवाद इसलिए हुआ क्योंकि आदिवासी संगठन मणिपुर की बहुसंख्यक आबादी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल करने के खिलाफ है.

इसी बीच खबर आई कि बेकाबू होते राज्य की स्थिति को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य में आर्टिकल 355 (Article 355) लागू कर दिया. मतलब कंट्रोल केंद्र के हाथ में. ऐसे में सवाल उठता है कि आर्टिकल 355 है क्या? क्या इसका मतलब राष्ट्रपति शासन (President Rule) है, अगर नहीं तो फिर आर्टिकल 355 और राष्ट्रपति शासन लागू होने में क्या अंतर है?

मणिपुर में गंभीर स्थिति

मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद वहां से आई तस्वीरें इस बात का सबूत है कि स्थिति वाकई में गंभीर है.

  • इतनी गंभीर की सरकार को कथित शूट-एट-साइट यानी देखते ही गोली मारने का आदेश देना पड़ा. हालांकि अभी इस आदेश को लेकर कंफ्यूजन बरकरार है.

  • राज्य में सेना और बाकी फोर्ससे को तैनात करना पड़ा, इंटरनेट/ब्रॉडबैंड सेवा को बंद करना पड़ा.

  • सेना और असम राइफल्स ने 55 कॉलम में फ्लैग मार्च किया, यानी भारी संख्या बल में गश्त लगाई ताकी बदमाशों को रोकने का संकेत और आम जनों को सुरक्षित महसूस करवाने का संदेश भेजा सके.

  • सेना ने हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल कर आर्मी के शेल्टर में जगह दी.

  • इसके अलावा हरियाणा और महाराष्ट्र के कई छात्रों को वहां से बाहर निकाल कर उनके घर भेजा गया.

इसके बाद बीजेपी की केंद्र सरकार को अपनी ही सरकार के राज्य मणिपुर में आर्टिकल 355 लागू करना पड़ा.
ADVERTISEMENT

आर्टिकल 355 क्या है?

आर्टिकल 355 भारतीय संविधान में आपातकाल से जुड़े प्रावधानों में से एक है. यानी आपातकाल की स्थिति में कौन सी धाराएं लागू होंगी उसका जिक्र है. आपातकाल को तीन हिस्सों में बांटा गया है:

  • राष्ट्रीय आपातकाल

  • राज्य आपातकाल

  • और वित्तीय आपातकाल (अब तक लागू नहीं किया गया)

आर्टिकल 352 का मतलब हुआ कि पूरे भारत में आपातकाल लागू हो सकता है. वहीं आर्टिकल 355 में कहा गया है कि

"संघ (केंद्र सरकार) का यह कर्तव्य होगा कि वह बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से हर राज्य की रक्षा करे, साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित करे कि हर राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करे."

यहां पर बाहरी आक्रमण का मतलब है कि किसी विदेशी ताकत का किसी राज्य पर हमला हो जाए तब 355 लागू किया जाता है या फिर राज्य में किसी भी वजह से आंतरिक अशांति फैल जाए तब 355 लगाया जाएगा.

आर्टिकल 355 के तहत केंद्र सरकार राज्य की पुलिस व्यवस्था, सेना की तैनाती और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठने का अधिकार रखती है. आर्टिकल 355 लगाने के बाद राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की हो जाती है. लेकिन राज्य की सरकार को बर्खास्त नहीं किया जाता.

ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने 355 उस राज्य में लागू किया जहां उसी पार्टी की सरकार हो. दरअसल केंद्र और मणिपुर में बीजेपी की सरकार है.
ADVERTISEMENT

फिर राष्ट्रपति शासन क्या है?

आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है. यह राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया जाता है. अगर किसी राज्य में कोई पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पा रही हो. बाढ़, महामारी, युद्ध, हिंसा या प्राकृतिक आपदा जैसी आपातकालीन स्थिति हो. सरकार बहुमत खो देती हो.

आर्टिकल 355 और 356 में एक बड़ा अंतर यह है कि 356 लागू होने की स्थिति में राज्य की सरकार बर्खास्त हो जाती है, जबकि आर्टिकल 355 लागू होने पर केंद्र सरकार के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी आती है लेकिन सरकार बनी रहती है.

ADVERTISEMENT

भारतीय संविधान में आपातकाल से जुड़े कई प्रावधान हैं

देश में जब भी कोई बड़ी आपदा आती है, तब संविधान में आपातकाल से जुड़े कुछ प्रावधान केंद्र सरकार को अतिरिक्त शक्ति देते हैं.

ऊपर हमने पढ़ा कि, आपातकाल तीन तरह के हैं- राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल. अब आगे इसमें कौन-कौन से आर्टिकल आते हैं वो जान लेते हैं.

  • आर्टिकल 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जाती है.  

  • आर्टिकल 353 में आपदा की घोषणा के प्रभाव बताते हुए कहा गया है कि आपातकाल का विस्तार उस राज्य या क्षेत्र पर भी हो सकता है जो आपातकाल लगाए गए राज्य से अलग है.

  • आर्टिकल 354 केंद्र और राज्य के वित्तीय संबंध को प्रभावित करता है.

  • आर्टिकल 355 में कहा गया है कि केंद्र की सरकार बाहरी आक्रमण और आंतरिक

    अशांति से प्रत्येक राज्य की रक्षा करने के उपाय करे.  

  • आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति को भारत के किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और

    संविधान लागू करने में असफल राज्य सरकार को निलंबित करने का अधिकार दिया गया

    है.

  • आर्टिकल 357 में राष्ट्रपति शासन के समय विधायी शक्तियों के प्रयोगों का प्रावधान है.

  • आर्टिकल 358 में आपातकाल के दौरान आर्टिकल 19 में दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को निलंबित करने का प्रावधान है.  

  • आर्टिकल 359 के तहत आपातकाल के दौरान संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार निलंबित किए जाते हैं.  

  • आर्टिकल 360 में भारत के किसी राज्य या देश में वित्तीय संकट आने पर वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान किया गया है.  

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×