Alzheimer’s disease: नेचर मेडिसन नामक मेडिकल जर्नल में पब्लिश एक नई स्टडी में पाया गया है कि अल्जाइमर रोग अमाइलॉइड-बीटा प्रोटीन के माध्यम से लोगों के बीच फैल सकता है.
इट्रोजेनिक अल्जाइमर डिजीज इन रिसिपिएंट्स ऑफ कैडेवरिक पिट्यूटरी-डिराइव्ड ग्रोथ हार्मोन नामक इस स्टडी में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के रिसर्चरों ने कडैवर-डिराइव्ड ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन (c-hGH) (जो मृत लोगों की पिट्यूटरी ग्लैंड से निकाला जाता है) नाम के मानव विकास हार्मोन को अल्जाइमर रोग से जोड़ा है.
कुछ कांटेक्स्ट: स्टडी में, रिसर्चरों ने आठ लोगों पर रिपोर्ट दी जिनका बचपन में c-hGH से इलाज किया गया था. इन आठ लोगों में से पांच में, 38-55 वर्ष की आयु के बीच, डिमेन्शिया के लक्षण मौजूद थे, या उनमें पहले से ही अल्जाइमर का डाइग्नोसिस किया जा चुका था.
“बायोमार्कर अनैलिसिस ने दो रोगियों में अल्जाइमर रोग के डायग्नोसिस का समर्थन किया और एक दूसरे व्यक्ति में अल्जाइमर का संकेत दिया. ऑटोप्सी अनैलिसिस से एक दूसरे मरीज में अल्जाइमर रोग का पता चला.''स्टडी के UCL रिसर्चर
रोगी के इलाज के लिए c-hGH के उपयोग पर 1985 में रोक लगा दी गई थी जब यह पता चला कि यह क्रुट्जफेल्ट-जेकब रोग (CJD) जैसे ब्रेन डिसऑर्डरों का कारण बन सकता है.
असल में, जेनेटिक टेस्टिंग के जरिए रिसर्चरों ने पुष्टि की कि यह बीमारी इन्हेरीट नहीं की गई थी बल्कि हार्मोन के कारण हुई थी.
ग्रोथ हार्मोन का अल्जाइमर से क्या संबंध है? इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि अल्जाइमर बुढ़ापे के साथ या दूसरे जोखिम कारकों के कारण दिमाग में अमाइलॉइड-बीटा प्रोटीन बढ़ जाने के कारण होता है.
नई स्टडी के अनुसार, विकास हार्मोन c-hGH के कारण दिमाग में इस प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है.
एक प्रेस रिलीज में, UCL इंस्टीट्यूट ऑफ प्रियन डिजीज की स्टडी रिसर्चर डॉ. गार्गी बनर्जी ने लिखा,
"हमने पाया है कि अमाइलॉइड-बीटा पैथोलॉजी का ट्रांसमिट होना और अल्जाइमर रोग के विकास में योगदान करना संभव है."
ट्रांसमिट हो सकता है, लेकिन संक्रामक नहीं है: हालांकि, रिसर्चरों का कहना है कि भले ही अल्जाइमर हार्मोन के माध्यम से फैल सकता है, यह रोग संक्रामक नहीं है. यह निकट संपर्क या नियमित मेडिकल केयर के माध्यम से ट्रांसमिट नहीं किया जा सकता है.
UCL इंस्टीट्यूट ऑफ प्रियन डिजीज के डायरेक्टर और स्टडी के प्रमुख लेखक प्रोफेसर जॉन कोलिंग ने कहा,
"जिन रोगियों का हमने जिक्र किया है, उन्हें एक खास मेडिकल ट्रीट्मेन्ट दी गई थी, जो अब लंबे समय से बंद कर दी गई है, जिसमें रोगियों को ऐसे पदार्थों के इंजेक्शन लगाना शामिल था, जो हम अब जानते हैं कि रोग-संबंधी प्रोटीन से कॉन्टैमिनेटेड होते हैं."
आगे क्या? प्रोफेसर कोलिंग ने प्रेस रिलीज में लिखा है कि उन्हें उम्मीद है कि यह रिसर्च स्टडी "दूसरे मेडिकल या सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से एक्सीडेंटल ट्रान्समिशन को रोकने के उपायों" के रिव्यू में मदद करेगा.
"महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे निष्कर्ष यह भी सुझाव देते हैं कि अल्जाइमर और कुछ दूसरे न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के डिजीज प्रोसेस CJD के समान हैं और भविष्य में अल्जाइमर रोग को समझने और इलाज के लिए इसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है."प्रोफेसर जॉन कॉलिंग
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