World Alzheimer's Day 2023: दुनिया भर में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है. अल्जाइमर के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर हम खुद को और अपने परिवार को डिमेंशिया के खतरे से बचा सकते है.
एक्सपर्ट मानते हैं कि डिमेंशिया जिस उम्र में होता है, उस उम्र में कुछ करने से उससे बचा नहीं जा सकता है पर, जवानी के दिनों में ही अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर के बढ़ती उम्र के साथ डिमेंशिया के खतरे को कम किया जा सकता है.
आइए एक्सपर्ट से जानते हैं क्या होते हैं अल्जाइमर के चेतावनी संकेत और अल्जाइमर से बचने के लिए क्या करना चाहिए.
क्या होते हैं अल्जाइमर के चेतावनी संकेत?
फिट हिंदी ने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कुणाल बहरानी से बात की और उन्होंने अल्जाइमर की बीमारी के कई ऐसे चेतावनी संकेतों के बारे में बताया जिनके बारे में सभी को पता होना चाहिए.
उन्हें बातचीत के दौरान अपनी बात रखने के लिए सही शब्दों का चयन करने और दैनिक कार्यों को पूरा करने में भी मुश्किल हो सकती है.
"याददाश्त चले जाना इसका एक शुरुआती लक्षण है, जिसमें व्यक्ति उसके जीवन की हालिया घटनाओं या महत्वपूर्ण तारीखों को भूल सकता है."डॉ. कुणाल बहरानी, डायरेक्टर-न्यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
अल्जाइमर के रोगी अक्सर विचलित रहते हैं, भूल जाते हैं कि वे कहां हैं या घर कैसे जाना है.
उनके मूड और व्यक्तित्व में भी बदलाव आते हैं- जैसे अधिक चिड़चिड़ापन या सामाजिक गतिविधियों से खुद को दूर कर लेना भी इस बीमारी के शुरू होने का एक संकेत हो सकता है.
नींद ठीक से न आना
अगर आपको या आपके किसी करीबी व्यक्ति में आपको ये चेतावनी संकेत दिखें, तो तुरंत मेडिकल सलाह लेना महत्वपूर्ण हो जाता है. अल्जाइमर बीमारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए इसकी जल्द जांच और इलाज शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण होता है.
किन कारणों से होती है अल्जाइमर बीमारी?
अल्जाइमर की बीमारी एक जटिल स्थिति है, जिसके कई कारण हो सकते हैं. हालांकि, इसके सटीक कारण को लेकर अभी कुछ निश्चित जानकारी नहीं है लेकिन माना जाता है कि यह अनुवांशिकी यानी जेनेटिक, पर्यावरण संबंधी और लाइफस्टाइल कारकों का रिजल्ट होती है.
अनुवांशिकी यानी जेनेटिक की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि खास तरह का जीन वैरिएंट्स इसके होने की आशंका बढ़ा देते हैं.
इसके अलावा, कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, आहार, एक्सरसाइज और सामाजिक गतिविधियों का भी अल्जाइमर के जोखिम पर प्रभाव पड़ता है. ब्रेन में होने वाले बदलाव जैसे प्रोटीन का असामान्य मात्रा में जमा होने को भी इस बीमारी के बढ़ने से जोड़ा गया है.
डॉ. कुणाल बहरानी अल्जाइमर के होने के कारणों को बेहतर ढंग से समझने और इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के इलाज के प्रभावी तरीके विकसित करने के लिए चल रहे रिसर्च को काफी महत्वपूर्ण बताते हैं. यह ऐसी चुनौतीपूर्ण बीमारी है, जो मुख्य तौर पर याददाश्त और संज्ञानात्मक क्षमता को प्रभावित करती है.
अल्जाइमर को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
अल्जाइमर बीमारी को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण (multidimensional approach) अपनाना पड़ता है, जिससे मेंटल हेल्थ को सपोर्ट दिया जा सके.
संतुलित आहार का सेवन करें जिसमें फल, सब्जियां और ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स हों क्योंकि ये ब्रेन सेल्स को पोषित करते हैं.
नियमित तौर पर व्यायाम करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और यह नए न्यूरोन्स के विकास को बढ़ावा देता है.
अपने ब्रेन को ऐक्टिव रखने के लिए पढ़ने और पजल्स बनाने जैसी मेंटल ऐक्टिविटीज करें.
अच्छी नींद लें जिससे आपके ब्रेन को रिचार्ज होने और आराम करने का समय मिले.
स्ट्रेस कम करने और संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive ability) को बेहतर बनाने के लिए सोशल नेटवर्क बनाए रखें.
धूम्रपान और शराब की लत से बचना.
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना.
अल्जाइमर के रोगी की मदद कैसे करें?
"अल्जाइमर के रोगी की मदद करने के लिए धैर्य, समझदारी और मेडिकल एक्सपर्ट्स की सलाह आवश्यक होती है."डॉ. कुणाल बहरानी, डायरेक्टर-न्यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
अल्जाइमर के रोगी की देखभाल के लिए एक सहयोग भरा माहौल बनाना होता है.
एक रूटीन बनाए रखने की जरूरत होती है और याददाश्त बेहतर बनाने वाली गतिविधियां जैसे पजल्स खेलना और पुरानी बातें याद दिलाना बहुत आवश्यक होता है.
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपनों का सपोर्ट उनके जीवन की गुणवत्ता में बहुत सुधार ला सकता है.
हेल्दी फूड, रेगुलर एक्सरसाइज और उचित मेडिकेशन मैनेजमेंट को प्रोत्साहित करना भी बहुत जरुरी होता है.
धैर्य और संवेदना (compassion) के साथ उनकी बातें सुनें क्योंकि अल्जाइमर के रोगी अक्सर भ्रमित व चिड़चिड़े हो जाते हैं.
उन्हें सामाजिक गतिविधियों में शामिल करें, जिससे उनमें अपनेपन की भावना को बढ़ावा मिले.
क्या अल्जाइमर का इलाज संभव है?
अल्जाइमर बीमारी का इलाज संभव नहीं है. यह एक बहुत जटिल स्थिति है, जो ब्रेन की गतिविधियों को प्रभावित करती है. खास कर के याददाश्त और सोचने की क्षमता.
हालांकि, इसे पूरी तरह ठीक करने का कोई तरीका उपलब्ध नहीं हैं लेकिन इसके इलाज और कई ऐसे तरीके उपलब्ध हैं, जो इसके लक्षणों को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं और इस बीमारी के बढ़ने की दर को कम कर सकते हैं.
इस बीमारी पर रिसर्च चल रही है और उम्मीद है कि एक दिन इस चुनौतीपूर्ण बीमारी को ठीक करने का तरीका मिल जाएगा.
अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है?
अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, लेकिन किसी भी तरह से केवल एक ही नहीं है. अन्य सामान्य कारणों में वैस्कुलर डिमेंशिया, फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया और पीडी जैसी अन्य स्थितियों से जुड़े डिमेंशिया शामिल हैं.
इन स्थितियों में से हर एक दूसरे से कुछ अलग है, जो डॉक्टर को यह संकेत देते हैं कि वे किस प्रकार के डिमेंशिया से निपट रहे हैं.
यह याद रखना चाहिए कि एक ही रोगी में एक से अधिक प्रकार के डिमेंशिया एक साथ हो सकते हैं.
वैस्कुलर डिमेंशिया दिमाग में ब्लड वेसल्स के रुकावट के कारण होता है, जो डिमेंशिया सहित विकलांगता के बढ़ते अक्क्यूमुलेशन के साथ बार-बार होने वाले छोटे और बड़े स्ट्रोक का कारण बन सकता है.
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