ADVERTISEMENTREMOVE AD

Breast Cancer का रेडिएशन थेरेपी से भी इलाज संभव, जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के अनेक विकल्पों में रेडिएशन थेरेपी एक प्रभावशाली विकल्प के रूप में उभरी है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

Breast Cancer Awareness Month: भारत में कैंसर के 13.5% मामले ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं, जिसमें देरी से निदान और कम जागरूकता के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है. इस गंभीर बीमारी के लक्षण स्तन में गांठ, निप्पल से स्राव और लगातार दर्द हैं, जिनके लिए तुरंत जांच कराया जाना जरूरी होता है. स्तन कैंसर को पहचानने व रोकने के लिए ब्रेस्ट के हेल्थ को लेकर सतर्क रहना, समय-समय पर खुद परीक्षण करते रहना और मैमोग्राम की मदद से जांच कराना महत्वपूर्ण है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
निदान होने के बाद इसके इलाज के विकल्पों में सर्जरी से लेकर कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसे तरीके शामिल हैं.

इनमें रेडिएशन थेरेपी भी एक महत्वपूर्ण विधि के रूप में उभरी है. ब्रेस्ट के टिश्यू नाजुक और महत्वपूर्ण अंगों के नजदीक स्थित होने के कारण हेल्दी टिश्यूज को सुरक्षित रखते हुए कैंसर कोशिकाओं का इलाज करने में यह तरीका बहुत सटीक है. इस आधुनिक तकनीक से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में सुधार के साथ आशा की किरण मिली है. इसलिए मरीजों और उनके परिवारों को रेडिएशन थेरेपी के बारे में विस्तार से जानना आवश्यक है ताकि वो ब्रेस्ट कैंसर का प्रभावी इलाज कराके स्वास्थ्य लाभ ले सकें.

कैसे होती है रेडिएशन थेरेपी?

ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में मिलीजुली भावनाओं से गुजरना पड़ता है. कभी डर, तो कभी अनिश्चितता और कभी आशा सामने आती है. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के अनेक विकल्पों में रेडिएशन थेरेपी एक प्रभावशाली विकल्प के रूप में उभरी है.

  • प्रारंभिक परामर्श और योजना: रेडिएशन थेरेपी की प्रक्रिया परामर्श के साथ शुरू हो जाती है. रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट मरीज के मेडिकल हिस्ट्री का आकलन करते हैं, उनका शारीरिक परीक्षण करते हैं और डायग्नोसिस इमेजिंग की समीक्षा कर ब्रेस्ट कैंसर किस तरफ है, हिस्टोपैथोलॉजी, कैंसर की स्टेज, सर्जरी के प्रकार और मरीज की उम्र के आधार पर उसके अनुकूल इलाज की एक योजना तैयार करते हैं. डॉक्टर खुराक का शेड्यूल और रेडिएशन निर्धारित करते हैं और रेडिएशन थेरेपी के दौरान मरीज की देखभाल करते हैं. मेडिकल टीम सीटी स्कैन जैसी आधुनिक तकनीक की मदद से इलाज के हिस्से का सटीक नक्शा बनाती है ताकि रेडिएशन आस-पास के हेल्दी टिश्यूज को सुरक्षित रखते हुए केवल कैंसर की टिश्यू पर पड़े. इलाज की सफलता के लिए योजना का यह चरण सबसे महत्वपूर्ण है.

  • सिम्यूलेशन और एडेप्टेशन: प्रारंभिक परामर्श के बाद सिमुलेशन का सेशन शुरू होता है. इस सेशन में मरीजों को ठीक वैसी स्थिति में रखा जाता है, जिसमें वो इलाज के रियल सेशन में होंगे. सिम्यूलेशन से रेडिएशन की किरणें किस एंगल से डालनी हैं, यह तय करने में मदद मिलती है. रेडिएशन थेरेपी के लिए पर्सनालाइजेशन बहुत महत्वपूर्ण है. इलाज की योजना को हर मरीज के शरीर की विशेष आकृति के आधार पर कस्टमाइज किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि रेडिएशन बिलकुल सही स्थान पर पड़े.

  • दैनिक इलाज के सेशन: योजना और सिम्यूलेशन पूरा हो जाने के बाद रेडिएशन के डेली सेशन शुरू होते हैं. मरीज को ट्रीटमेंट टेबल पर आराम से लिटाया जाता है, फिर विशेष मशीनें पूर्व निर्धारित ट्यूमर की जगह पर हाई एनर्जी की एक्स-रे किरणें डालती हैं. ये सेशन छोटे होते हैं और प्रत्येक सेशन केवल कुछ मिनटों का होता है. इस दौरान रेडिएशन थेरेपिस्ट पास के कमरे से प्रक्रिया की निगरानी करता है और इलाज की सटीकता सुनिश्चित करता है. यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है पर कई हफ्तों तक रोज इन सत्रों के लिए आना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इलाज की दिनचर्या ऐसे तैयार की जाती है ताकि थेरेपी कम से कम साइड इफेक्ट के साथ ज्यादा से ज्यादा प्रभावशाली हो. इस प्रक्रिया में प्लान की कैलकुलेशन, मशीनों के रखरखाव और इलाज के प्रोटोकॉल में मेडिकल फिज़िसिस्ट सहायता करते हैं, वहीं रेडिएशन थेरेपिस्ट मोल्ड तैयार करते हैं और मरीज को लेटाकर मशीन द्वारा उनका इलाज करते हैं.

  • साइड इफेक्ट्स का मैनेजमेंट और सपोर्टिव केयर: रेडिएशन थेरेपी गोल पर बहुत ज्यादा केंद्रित होती है, लेकिन फिर भी इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. इनमें थकान, स्किन में बदलाव और विशेष अंगों में बेचैनी आम हैं. इन साइड इफेक्ट्स से आराम के लिए डॉक्टर सपोर्टिव केयर देते हैं. इलाज की अवधि में मरीज का संपूर्ण स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्किनकेयर दिनचर्या, पैन मैनेजमेंट की विधियों और आहार संबंधी सुझावों की मदद ली जाती है.

  • भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट: कैंसर के इलाज को सहना न केवल शारीरिक रूप से मुश्किल है, बल्कि इसका इमोशनल और मेंटल असर भी होता है. मरीजों को काउंसलर्स, सहायता समूहों या थेरेपिस्ट से सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो कैंसर से संबंधित भावनात्मक चुनौतियों के इलाज में एक्सपर्ट होते हैं. अपने परिवार और हेल्थकेयर प्रोवाइडर से खुलकर बात करने से भी इलाज से जुड़ा भावनात्मक बोझ कम हो सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रेडिएशन थेरेपी कौन करा सकता है?

रेडिएशन थेरेपी का विकल्प मरीज की व्यक्तिगत परिस्थितियों और किस प्रकार के कैंसर का इलाज कराना है, इस पर निर्भर होता है. रेडिएशन थेरेपी के लिए आम तौर से रेडिएशन थेरेपिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट की एक मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम पहले मरीज का पूरा एग्जामिनेशन करती है.

फिर कैंसर के प्रकार, स्टेज, कैंसर कहां है, मरीज का स्वास्थ्य और मेडिकल इतिहास कैसा है, इन बातों के आधार पर इलाज का विकल्प तय किया जाता है.

मरीजों में कई हफ्तों तक हर रोज चलने वाले इलाज के सेशंस को सहने की शक्ति होना जरूरी है. जिन मरीजों को दिल या फेफड़ों की गंभीर बीमारिय जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, वह रेडिएशन थेरेपी कराने में सक्षम नहीं होते. इस बात का निर्णय मेडिकल टीम और मरीज द्वारा मिलकर किया जाता है.

ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ लड़ाई में रेडिएशन थेरेपी एक अत्यधिक प्रभावी और सटीक इलाज का तरीका है. इसकी योजना बनाने से लेकर डेली सेशंस और साइड इफेक्ट्स को रोकने तक इसकी संपूर्ण प्रक्रिया को समझकर मरीजों को इलाज के लिए जरूरी जानकारी और आत्मविश्वास मिलता है. एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम के साथ मरीज कैंसर की चुनौती पर विजय पाकर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं.

(फिट हिंदी के लिये ये आर्टिकल गुरुग्राम, मेदांता के कैंसर इंस्टीट्यूट में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की चेयरपर्सन डॉ. तेजिंदर कटारिया ने लिखा है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×