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Women's Health Day 2023: PCOD क्या है जिसमें बढ़ता है वजन, समय पर पहचानें लक्षण

कुछ लाइफस्टाइल कारक पीसीओडी के लक्षणों और गंभीरता को बढ़ा सकते हैं.

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Women's Health Day 2023: पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज को आम बोलचाल की भाषा में पीसीओडी (PCOD) बोलते हैं. महिलाओं में होने वाली कॉमन समस्या है जो हार्मोन असंतुलन के कारण होती है. क्या है पीसीओडी (PCOD)? पीसीओडी के लक्षण क्या हैं? क्या पीसीओडी को रोका जा सकता है? पीसीओडी में वजन क्यों बढ़ता है? लाइफस्टाइल में बदलाव जो पीसीओडी को मैनेज करने मदद करते हैं. आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

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पीसीओडी (PCOD) क्या है?

नोएडा, फोर्टिस हॉस्पिटल में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में सीनियर कंसलटेंट, डॉ. नेहा गुप्ता ने फिट हिंदी को बताया, "इससे पीड़ित महिला में ओव्यूलेशन को कमी से अंडाशय पर सिस्ट बनने लगते हैं और शरीर में एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है. सिस्टिक फॉलिकल्स इसलिए मौजूद होते हैं क्योंकि ओव्यूलेशन के समय अंडे को बाहर नहीं निकाला जाता है और इस कारण से पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं".

"पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीस एक हार्मोनल स्थिति है, जो प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करती है. इस स्थिति में ओवरीज में कई छोटे-छोटे अल्सर भरे होते हैं. हार्मोनल डिसरेग्युलेशन, विशेष रूप से बढ़ा हुआ इंसुलिन और एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर पीसीओडी से जुड़ा हुआ है."
डॉ. अर्चना धवन बजाज- स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ, नर्चर क्लीनिक, नई दिल्ली

पीसीओडी के लक्षण क्या हैं?

पीसीओडी के लक्षण एक महिला से दूसरी में अलग हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर इसमें शामिल हैं:

  • अनियमित मासिक चक्र या माहवारी का न होना

  • चेहरे, छाती, पीठ, या पेट पर अत्यधिक बालों का बढ़ना (हिर्सुटिज़्म)

  • मुहांसे या तैलीय त्वचा

  • वजन बढ़ना या वजन कम करने में कठिनाई

  • इंसुलिन प्रतिरोध या पूर्व मधुमेह

  • मूड स्विंग या डिप्रेशन

  • बांझपन या गर्भधारण करने में कठिनाई

  • बालों का पतला होना या बालों का झड़ना

  • गर्दन, कमर या बगल (underarms) जैसे कुछ क्षेत्रों में त्वचा का काला पड़ना

क्या पीसीओडी को रोका जा सकता है?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, पीसीओडी को रोकने का कोई ज्ञात तरीका नहीं है. हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने से लक्षणों को मैनेज करने और जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.

इन बातों को ध्यान में रखें:

  • वजन को BMI range में रखना

  • हाई फैट और हाई कार्बोहाइड्रेट फूड से परहेज करना

  • नियमित रूप से व्यायाम करना

  • समय पर दवाओं का सेवन करना

  • शराब और सिगरेट के सेवन से बचना

पीसीओडी में वजन क्यों बढ़ता है?

वजन बढ़ना पीसीओडी का एक सामान्य लक्षण है और इसे कई कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इंसुलिन प्रतिरोध, जो अक्सर पीसीओडी में मौजूद होता है, ब्लड में इंसुलिन के स्तर को बढ़ा सकता है. बढ़ा हुआ इंसुलिन का स्तर वजन बढ़ाने को बढ़ावा दे सकता है, खासकर पेट के क्षेत्र में. पीसीओडी में हार्मोनल असंतुलन, जैसे बढ़े हुए एण्ड्रोजन, वजन बढ़ाने और वजन कम करने में कठिनाई में योगदान कर सकते हैं. इन सभी कारणों से भी वजन बढ़ सकता है.

  • अस्वस्थ जीवनशैली

  • निष्क्रिय जीवनशैली

  • खान-पान में लापरवाही

  • शारीरिक गतिविधि नहीं करना

  • शरीर में इंसुलिन की मात्रा अधिक होना

पीसीओडी का इलाज क्या है?

पीसीओडी एक हार्मोनल समस्या है, इसलिए इसका उपचार लंबा चलता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए. वह उपचार प्रक्रिया का चयन कारकों के आधार पर करते हैं.

"लाइफस्टाइल में कुछ परिवर्तन, जैसे आहार और व्यायाम, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित किशोरियों और महिलाओं के लिए प्रथम-पंक्ति उपचार माना जाता है. दवाओं में गर्भ निरोधक गोली, मेटफॉर्मिन और इंसुलिन सेंसिटाइजर शामिल हैं."
डॉ. नेहा गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट, प्रसूति और स्त्री रोग विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा

फिट हिंदी से डॉ. अर्चना धवन बजाज कहती हैं, "पीसीओडी के उपचार का उद्देश्य लक्षणों का मैनेज करना और पूरे स्वास्थ्य में सुधार करना है. मासिक धर्म चक्र को रेगुलेट करने, एण्ड्रोजन के स्तर को कम करने और यदि आवश्यक हो तो इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने के लिए दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं. कुछ मामलों में, बांझपन के मुद्दों के लिए सहायक प्रजनन तकनीकों पर विचार किया जा सकता है".

लाइफस्टाइल में बदलाव जो पीसीओडी को मैनेज करने मदद करते हैं

"पीसीओडी कई अंतर्निहित कारकों (underlying factors) के साथ एक जटिल स्थिति है और जबकि लाइफस्टाइल विकल्प इसके विकास और मैनेजमेंट को प्रभावित कर सकते हैं, यह केवल खराब लाइफस्टाइल के कारण नहीं होता है. हालांकि, कुछ लाइफस्टाइल कारक पीसीओडी के लक्षणों और गंभीरता को बढ़ा सकते हैं."
डॉ. अर्चना धवन बजाज - स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ, नर्चर क्लीनिक, नई दिल्ली
  • डाइट में ऐसी सब्जियां और फल शामिल करें, जिनमें फाइबर अच्छी मात्रा में मौजूद हो. ऐसे पोषक तत्व खाएं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं. फाइबर पाचन में भी फायदेमंद हैं.

  • हाई-प्रोटीन डाइट लेना फायदेमंद है. अंडा, दूध, दलिया और दालों जैसी प्रोटीन से भरपूर चीजें खानी चाहिए.

"PCOD में डाइट का ध्यान रखना बेहद जरूरी है वरना परेशानी बढ़ जाती है. फाइबर से भरपूर चीजें खानी चाहिए."
डॉ. नेहा गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट, प्रसूति और स्त्री रोग विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
  • एक्सरसाइज करते रहना चाहिए. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से न केवल आपकी मांसपेशियां मजबूत होती है बल्कि तनाव दूर करने में भी आपको मदद मिलती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, जुंबा एक्सरसाइज करने से महिलाओं में मोटापा की समस्या कम हो सकती है और पीरियड्स से संबंधित परेशानियां कुछ हद तक ठीक हो सकती है.

  • योग भी फायदेमंद होता है. प्रजनन क्षमता को बढा़ने के लिए भ्रामरी प्राणायाम, विपरीतकरणी, पश्चिमोत्तानासन और भुजंगासन जैसे आसनों को करने की कोशिश कर सकते हैं.

  • सुबह-सुबह उठकर टहलना और सैर करना लाभकारी है.

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