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Cervical Pain: सर्वाइकल पेन से हैं आप परेशान, इन आसान टिप्स से करें इलाज

सर्वाइकल पेन अब उम्र के साथ आने वाली समस्याओं में नहीं है बल्कि नौजवानों में यह सबसे ज्यादा देखने को मिलती है.

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आजकल बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी घंटों फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर कुछ न कुछ करते रहते हैं. कभी फोन पर गेम तो कभी मूवी और तो और ऑनलाइन शॉपिंग ने भी काफी स्क्रीन टाइम बढ़ा दिया है. ऐसे में बहुत सारे लोग गर्दन और कंधे में दर्द की शिकायत करने लगे हैं. ज्यादातर इस तरह के दर्द को सर्वाइकल पेन कहते हैं.

कोविड के दौरान ये समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो आगे चलकर ये समस्या और ज्यादा गंभीर बन सकती है. हालांकि लाइफस्टाइल और पोस्चर में सुधार लने से सर्वाइकल के दर्द से राहत मिल सकती है.

"सर्वाइकल स्‍पॉन्‍डलाइटिस या सर्वाइकल पेन आमतौर पर गर्दन या कंधों में जकड़न और बेचैनी को कहते हैं. स्‍पॉन्‍डलाइटिस कई वर्षों तक लगातार वियर एंड टियर होने की वजह से होता है. ये बदलाव घुटनों के जोड़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के दौरान दिखायी देने वाले परिवर्तनों से मिलते-जुलते हैं."
डॉ ज्योति बाला शर्मा, डायरेक्टर एंड एचओडी, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा

सर्वाइकल पेन का कारण 

सबसे सामान्य कारण मांसपेशियों पर दबाव और तनाव होता है.

  • कई बार छोटी-मोटी चोट जैसे कि कार में झटका लगने, अचानक गर्दन को घुमाने की वजह से भी मांसपेशियों पर सामान्य से ज्यादा खिंचाव बढ़ने से ऐसा होता है

  • गलत शारीरिक मुद्रा उदाहरण के लिए ठुड्डी को आगे की ओर धकेलने से

  • झुके कंधे

  • देर तक एक जैसी अवस्था में बैठे रहना

  • कंप्यूटर पर लंबे वक्त तक काम करना

  • भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव, उदाहरण के लिए तनाव के चलते गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को लगातार सिकोड़ना

  • भारी वजन के हेलमेट डालकर बाइक राइडिंग करना

  • कोई फिजिकल ऐक्टिविटी न करना

"सर्वाइकल पेन के बहुत सारे कारण से हो सकते हैं, सबसे आम नौजवानों में पॉस्चर खराब होने से होता है. हम में से अधिकतर लोग मोबाइल और लैपटॉप चलाते हुए गर्दन एक्यूट एंगल में झुकाए रखते हैं. जिसकी वजह से नसें और मांसपेशियों में मोच आती है."
डॉ गुरदीप अविनाश रतरा, कन्सल्टंट, ऑर्थोपेडिक, मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम

दूसरा कारण जो डॉ गुरदीप ने बताया है, "अगर कोई मोटे तकिये या बिना तकिए के सोता है, तो गर्दन एक्यूट एंगल में मुड़ती है, जिसकी वजह से गर्दन मे मोच आ सकती है. इसके अलावा सर्वाइकल पेन गठिये और डायबिटीज के पेशेंट्स में होना बहुत आम बात है. फिर उम्र की वजह से जैसे हाथ पैर के जोड़ घिसते है वैसे ही गर्दन के जोड़ घिसते है जिसे हम सर्वाइकल स्पोंडेलिटिस बोलते है".

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सर्वाइकल पेन के लक्षण 

  • गर्दन के एक या दोनों तरफ दर्द होना

  • खोपड़ी (skull) की जड़ में और कंधों से होते हुए आगे दर्द का बढ़ना

  • कंधों को हिलाने डुलाने में दर्द

  • कंधों में जकड़न, जिसके कारण गर्दन की मूवमेंट कम हो जाना

  • बाजुओं में दर्द

  • बाजुओं मे कमजोरी

  • बाजुओं में झुनझुनी और सुई चुभने जैसी सेंसेशन (sensation) महसूस करना

  • लिखने/टाइप करने में दिक्कत

"कई बार मरीजों को मांसपेशियों में कोमलता और संवेदनशीलता महसूस हो सकती है या कुछ चटकने अथवा झनझनाहट की आवाज भी सुनाई देती है. कई बार बहुत गंभीर हालात होने पर यह दर्द बांहों के दोनों तरफ फैल सकता है. अक्‍सर गर्दन के दर्द के ज्‍यादातर मामले कुछ दिनों या हफ्तों में सैल्‍फ-हैल्‍प ट्रीटमेंट्स (self help treatments) से ठीक हो जाते हैं" ये कहना है डॉ ज्योति बाला शर्मा का.

स्‍पाइनल ट्यूबरक्लोसिस और सर्वाइकल

ट्यूबरक्लोसिस से आपके शरीर का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है. स्‍पाइन (मेरूदंड) के शिकार होने की स्थिति को स्‍पाइनल ट्यूबरक्लोसिस (spinal tuberculosis) कहते हैं. अगर सर्वाइकल स्‍पाइन, टीबी से प्रभावित होती है, तो उसके लक्षण भी शुरू में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसे ही होते हैं, लेकिन स्‍पाइनल टीबी के लक्षण सामान्य इलाज से दूर नहीं होते और समय के साथ ये और गंभीर होने लगते हैं, साथ ही, कुछ अतिरिक्त लक्षण जैसे कि बाजुओं और पैरों के सुन्न पड़ने और कमजोरी महसूस होने जैसी शिकायतें भी सामने आ सकती हैं.

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सर्वाइकल पेन और नर्व्‍स

हमारी पीठ में वर्टिब्रल बोन (vertebral bone) के अंदर स्पाइनल कॉर्ड (spinal cord) होती है और नर्व्‍स (स्‍नायु) वास्‍तव में, बिजली की तारों के समान फैले तंत्र होते हैं, जो स्‍पाइनल कॉर्ड को मांसपेशियों तथा त्‍वचा में मौजूद अन्‍य सैन्‍सरी रिसेप्‍टर्स से जोड़ते हैं. सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (cervical spondylosis) की एडवांस स्‍टेज में नर्व्‍स पर दबाव बढ़ जाता है और इसकी वजह से बाजुओं में दर्द, सुन्‍न होना या कमजोरी महसूस होना जैसी सामान्‍य परेशानियां बढ़ जाती हैं.

सर्वाइकल पेन किसी भी उम्र में हो सकता है 

"सर्वाइकल पेन की दिक्कत नौजवानों को, मध्यम आयु वर्ग के लोग यहां तक की बच्चों को भी हो सकता है. खास कर आईटी प्रोफेशनल्स (IT professional) मे सबसे ज्यादा यह समस्या पाई जाती है जो लोग बहुत लगातार काम करते रहते हैं और उनका लैपटॉप उनकी आंखों के लेवल से बहुत नीचे होता है, तो आगे झुक कर काम करने की वजह से यह दर्द हो सकता है" ये कहा डॉ गुरदीप ने.

इसके अलावा जो लोग ज्यादा मोबाइल पर समय बिताते हैं या लेट के टीवी देखते हैं या फिर गर्दन टेढ़ी कर काम करते है उनमें सर्वाइकल की दिक्कत देखी जा सकती है. वृद्धावस्था में सर्वाइकल दर्द की समस्या बढ़ जाती हैं.

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सर्वाइकल पेन के इलाज का तरीका

फिट हिंदी को डॉक्टरों ने बताए इलाज के ये सभी उपाय:

सर्वाइकल पेन इलाज के लिए एक्स-रे या फिर एमआरआई (MRI) कराया जाता है. इसके बाद अगर कोई नस दब रही हो तो उसके लिया दवा, फिजीओथेरपी और पोस्चर करेक्शन (posture correction) की एक्सरसाइज करवाई जाती है और कई बार नैक कालर (neck collar) भी पहनना पड़ सकता है. अगर नसों मे कम्प्रेशन ज्यादा है, तो उसके लिए सर्जिकल प्रक्रिया की जाती है.

दर्द ज्यादा होने पर अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क करें.

  • आइस या कोल्‍ड पैक - लगाने से दर्द में शॉर्ट-टर्म राहत मिल सकती है. इसे प्रभावित भाग में हर दिन तीन-तीन घंटे में और दिन में चार बार तक 15 मिनट तक लगाएं. ध्यान रखें कि पैक कभी भी त्‍वचा के सीधे संपर्क में नहीं आए.

  • रिलैक्‍सेशन - तनाव बढ़ने से गर्दन और पीठ का दर्द हो सकता है. रिलैक्सेशन, मेडिटेशन (meditation) या माइंडफुलनैस (mindfulness) तकनीकों से अपने शरीर का तनाव कम करने और अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के तरीके सीखें.

  • आराम करें - ऐसी गतिविधियों को कम करें जिनकी वजह से आपके लक्षण गंभीर हो रहे हैं, उदाहरण के लिए डेस्क पर लगातार न बैठें और न कोई भारी वस्तु उठाएं.

  • पेनकिलर्स - पेन रिलीफ से आपको शॉर्ट टर्म राहत मिलती है.

  • व्यायाम - व्यायाम से आपके शरीर को कसावट और दर्द से राहत मिलती है, मांसपेशियों को मजबूत बनाने और स्टेमिना (stamina) और फ्लेक्सिबिलिटी (flexibility) के साथ-साथ जनरल फिटनेस में भी सुधार होता है.

  • फिजियोथेरेपी - फिजियोथेरेपी (physiotherapy) से आप अपने दर्द को कम करना और साथ ही मांसपेशियों की मजबूती बनाए रख सकते हैं.

  • यदि आपकी गर्दन का दर्द लंबे समय तक रहता है, तो ऐसे में मूवमेंट नहीं होने से आपकी मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि ज्यादा देर तक आराम नहीं करें और गर्दन को घुमाते रहें.

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सर्वाइकल पेन से बचने के आसान उपाय

सर्वाइकल पेन से बचने के लिए अपने शरीर का पोस्चर ठीक रखना बहुत जरूरी है. सोते समय बिना तकिया के या फिर पतले तकिये के साथ सोना चाहिए. अगर लैपटॉप पर काम कर रहे हों, तो अपना लैपटॉप आंखों के लेवल पर रखें. नैक मस्कुलर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज (neck muscular strengthening exercises) करें.

हमारे एक्स्पर्ट्स के अनुसार इन दिए गए आसान उपायों से सर्वाइकल पेन की तकलीफ को खुद से दूर किया जा सकता है.

मोबिलिटी और पॉस्‍चरल एक्‍सरसाइज

  • गर्दन का व्यायाम करना काफी महत्वपूर्ण है.

  • अपनी गर्दन को हर दिन 3 से 4 बार पूरी तरह से पेन फ्री रेंज में आगे और पीछे की तरफ घुमाएं और 5 से 10 बार बायीं और दायीं ओर घुमाएं. अगर आपको चक्कर आ रहे हों, रुक जाएं.

काम करते समय

  • काम करते हुए जहां तक संभव हो अच्छी शारीरिक मुद्रा बनाकर रखें.

  • यह सुनिश्चित करें कि आपका डेस्क सही ऊंचाई का हो (कोहनी की ऊंचाई आदर्श होती है).

  • जब कंप्‍यूटर का इस्तेमाल कर रहे हों तो अपनी कुहनी और कलाई को रिलैक्‍स्‍ड रखें.

  • आपका कंप्‍यूटर स्‍क्रीन (computer screen) आपकी आइ लेवल पर आपके ठीक सामने होनी चाहिए ताकि आपको नीचे या आढ़े-तिरछे ढंग से नहीं देखना पड़े.

  • अपना वर्क स्टेशन व्यवस्थित रखें ताकि आपको अपनी चीजें ढूंढने के लिए यहां-वहां दूर तक हाथ न ले जाना पड़े.

  • जब भी फोन पर बात करें तो उसे अपनी गर्दन और कंधों के बीच में नहीं पकड़ें क्योंकि ऐसा करने से आपकी गर्दन पर दबाव बढ़ेगा.

  • लिखते समय आपको बोर्ड ऊपर की तरफ उठा होगा तो आपको अपने शरीर को आगे की तरफ नहीं झुकाना पड़ेगा और इस तरह आप अपना सिर सीधा रख सकते हैं, जिससे गर्दन तथा कंधों का तनाव कम होता है.

ड्राइविंग के दौरान

  • ड्राइविंग के दौरान यह पता भी नहीं चलता कि कब आप तनावग्रस्त हो गए और उस स्थिति में आप कंधों को झुकाकर या ठुड्डी आगे की तरफ रखते हैं. ऐसा न करें.

  • अपनी सीट को सीधे रखें और रिलैक्‍स होकर बैठें ताकि आपकी ठोढ़ी पीछे अपनी जगह पर रहे और अपने सिर के पिछले भाग को बार-बार हैडरैस्‍ट (head rest) पर लौटाते रहें.

  • ड्राइविंग करते समय एक तौलिया मोड़कर अपनी पीठ और सीट के बीच की खाली जगह में रखने से भी आराम मिल सकता है.

घर में

  • हमेशा सही शारीरिक मुद्रा रखें, यानि सिर और कंधे आपके कूल्हों और ठुड्डी के लेवल पर हों.

  • टीवी देखते समय यह सुनिश्चित करें कि स्क्रीन ठीक आपके सामने हो ताकि आपका सिर न्‍यूट्रल पॉजिशन (neutral position) में रहे.

  • कपड़ों पर इस्‍तरी करते समय सुनिश्चित करें कि आयरनिंग बोर्ड (ironing board) सही ऊंचाई पर हो (लगभग आपकी कोहनी की ऊंचाई पर) ताकि आप झुकें नहीं.

  • कोशिश करें कंधों को पीछे की तरफ और रिलैक्‍स्‍ड (relaxed) रखने की. अपने कंधों को झुकाकर नहीं रखें.

  • पढ़ते समय या बुनाई करते हुए अपने सिर को लंबे समय तक के लिए झुकाए नहीं.

  • अपनी बाजुओं को सपोर्ट देने के लिए उन्हें तकियों के ऊपर रखें या टेबल पर रखें.

  • हर 20 से 30 मिनट बाद थोड़ी चहलकदमी (walk) यानी अपनी जगह से उठकर थोड़ा चलें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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