भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम ने अपने नवीनतम बुलेटिन में बताया है कि उन्हें भारत में भी कोविड का XE सब-वेरिएंट मिला है.
री-कॉम्बिनेंट सब-वेरिएंट XE की खबर तूफान की तरह फैल रही है, विशेष रूप से जब गुजरात और महाराष्ट्र में दो अनकंफर्म्ड मामलों की रिपोर्ट कुछ सप्ताह पहले सामने आयी.
चीन में बढ़ते मामलों और कड़े लॉकडाउन और साथ ही भारत के भी कुछ हिस्सों में बढ़ते कोविड मामलों के साथ, लोगों में XE और BA.2 जैसे उभरते वेरिएंट से कोविड की चौथी लहर का डर स्पष्ट है.
क्या हमें XE वेरिएंट के बारे में चिंतित होना चाहिए?
फिट ने भारत के टॉप वायरोलॉजिस्टों में से एक, डॉ गगनदीप कांग से XE वेरिएंट की तह तक जाने और इसके खतरे के स्तर को समझने के लिए बात की.
हम XE के बारे में क्या जानते हैं?
XE, डेल्टाक्रॉन की ही तरह, एक री-कॉम्बिनेंट वेरिएंट है, जिसका अर्थ है कि यह दो अन्य स्ट्रेनों (BA.1 और BA.2) के संयोजन से बना एक उप-प्रकार है.
XE का पहली बार यूके में 19 जनवरी को पता चला था, और तब से वहां इस स्ट्रेन के सैकड़ों मामलों को सीक्वेंस किया गया है.
6 अप्रैल को भारत में XE का एक संभावित मामला भी सामने आया था, लेकिन फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका खंडन किया.
6 अप्रैल को, WHO ने एक बयान जारी कर कहा कि XE को ओमिक्रॉन वेरिएंट के हिस्से के रूप में ट्रैक किया जा रहा है न कि एक अलग वेरिएंट की तरह.
WHO ने यह भी कहा कि, "सीमित प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर शुरुआती अनुमान बताते हैं कि BA.2 की तुलना में XE लगभग 10 प्रतिशत अधिक फैलता है, हालांकि इस खोज के लिए और पुष्टि की आवश्यकता है."
फिट से बात करते हुए, सीएमसी वेल्लोर में वायरोलॉजिस्ट और प्रोफेसर डॉ गगनदीप कांग कहती हैं, "यह (XE) वर्तमान में ज्यादा खतरनाक नहीं लग रहा है. इसलिए, अभी चिंता की कोई वजह नहीं है."
अधिक फैलने वाला? अधिक खतरनाक?
हां, यह सब-वेरिएंट, ओमिक्रॉन के BA.1 और BA.2 स्ट्रेन की तुलना में अधिक फैलता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यह अधिक खतरनाक है, डॉ. कांग कहती हैं.
"अगला सवाल यह है कि क्या यह अधिक गंभीर बीमारी पैदा कर रहा है? ऐसा नहीं लगता है," वह कहती हैं.
"यह अधिक फैलता है. यह वेरिएंट संक्रमण पैदा करने की सबसे अधिक क्षमता रखता है. लेकिन, सौभाग्य से, कोई इसके कोई गंभीर लक्षण नहीं हैं."
"हम BA.2 के बारे में चिंतित थे, लेकिन इससे BA.1 की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी नहीं हुई. XE भी BA.1 या BA.2 की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है. क्या इसका 10 प्रतिशत तेजी से फैलना वास्तव में मायने रखता है? एक वैक्सीनेटेड आबादी में, नहीं."डॉ गगनदीप कांग, वायरोलॉजिस्ट
"बीए.1 ज्यादा खतरनाक नहीं था, बीए.2 भी ज्यादा खतरनाक नहीं था. जब माता-पिता ठीक हैं, तो बच्चा (XE) कितना ही बुरा हो सकता है?" उन्होंने हंसते हुए कहा.
'वेरिएंट तो आएंगे ही'
"नए वेरिएंट आएंगे. देश खुल रहा है, हर कोई हर जगह यात्रा कर रहा है, इसलिए हमें, अभी या बाद में, नए वेरिएंट मिलेंगे. तो हमारे ऊपर XE को लेकर ऐसा जुनून क्यों सवार है?"
डॉ कांग बताती हैं कि कोविड-19 वायरस में रेप्लिकेट करने का एक अजीबोगरीब तरीका है.
"भले ही यह एक वायरस है, जिसमें एक प्रूफ रीडिंग तंत्र है, इसमें जीन कूदने और अलग-अलग वर्गों को अलग-अलग पढ़ने का एक तरीका है, इसलिए हमें मान कर चलना चाहिए कि री-कॉम्बिनेशन होंगे."डॉ गगनदीप कांग, वायरोलॉजिस्ट
"हमने ऐसा सर्दी-जुकाम के वायरस के साथ भी देखा है और अब हम यह SARS-CoV-2 के साथ भी देख रहे हैं," वे कहती हैं.
डॉ कांग दोहराती हैं कि नए सीक्वेंस डेटा हमें बताएंगे कि नए वेरिएंट बने हैं. मायने यह रखता है उन नए वेरिएंटों का परिणाम क्या होगा.
सवाल यह है कि संस्करण का व्यवहार कैसा होगा?
"मैंने XE के बारे में अभी तक जो कुछ भी सुना है, मुझे यह कुछ खास नहीं लगा", वह कहती हैं.
पूरी तरह से टीका लगाया? अगर हां, तो फिर कोई चिंता नहीं
एक और सवाल जो बार-बार प्रत्येक नए संस्करण के साथ आता है, क्या यह उन लोगों को संक्रमित करता है, जिन्हें पहले से ही टीका लगाया जा चुका है?
इसके लिए, डॉ कांग कहती हैं, "सभी ओमिक्रॉन उप प्रकार उन लोगों को संक्रमित करते हैं, जिन्हें टीका लगाया गया है"
“ऐसा इसलिए है क्योंकि ओमिक्रॉन अन्य वेरिएंटों से बहुत अलग है. यह रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के अलग हिस्से को संक्रमित करता है, इसमें बहुत माइल्ड इन्फेक्शन है और इसकी इनक्यूबेशन अवधि कम है."
"लेकिन, संक्रमण की उच्च दर से गंभीर बीमारियों और मौतों के अधिक मामले नहीं हुए हैं."डॉ गगनदीप कांग, वायरोलॉजिस्ट
इसके अलावा, वह विशेषज्ञों की बात दोहराते हुए कहती हैं, कि भारत में लोगों को 'हाइब्रिड इम्यूनिटी' का भी लाभ है.
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछली लहरों में भारत में संक्रमण इतना अधिक होने से नुकसान तो हुआ पर कुछ फायदा भी हुआ. "हमारी आबादी का इतना बड़ा हिस्सा संक्रमित था, इसलिए लोगों में ‘हाइब्रिड इम्यूनिटी’ हो गई है", डॉ कांग कहती हैं.
उनके अनुसार चीन में स्थिति इसके विपरीत है, वह आगे कहती हैं, "उन्होंने उस तरह के मामले नहीं देखे जैसे कई अन्य देशों ने पहले देखे थे."
हालांकि, इसकी एक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए, भारत को अधिक डेटा की आवश्यकता है, विशेष रूप से, डॉ कांग के अनुसार, टीकाकृत और अटीकाकृत व्यक्तियों के अस्पताल में भर्ती होने के बारे में.
अधिक डेटा का अर्थ अधिक स्पष्टता
7 अप्रैल को जॉन्स हॉपकिन्स गुप्ता- क्लिंस्की इंडिया इंस्टीट्यूट के शुभारंभ पर एक चर्चा के दौरान डॉ कांग ने डेटा संग्रह की प्रणालियों के बीच बेहतर संचार की आवश्यकता के बारे में कहा.
"क्लीनिकल इंफॉर्मेशन के साथ सीक्वेंस डेटा (अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय) को जोड़ना जरूरी है. सैम्पल कब एकत्रित किया गया था? क्या उस जगह और भी कोविड के मामले थे? तब आप उस सीक्वेंस के परिणाम को समझ सकते हैं", वह फिट को बताती हैं.
"XE ओमिक्रॉन की तुलना में 10 प्रतिशत तेजी से फैलता है. यदि आपके पास एक विशाल डेटाबेस नहीं है, तो आप उस 10 प्रतिशत को मापने में सक्षम नहीं होंगे. उदाहरण के लिए, क्या हम भारत में यह समझ पाते कि XE 10 प्रतिशत अधिक तेज फैलता है? नहीं. क्या अमेरिका ऐसा कर सकता था? शायद", वह कहती हैं.
"यह केवल इसलिए हो पाया क्योंकि यूके के पास इतनी मजबूत सीक्वेंस जानकारी है, कि वे बहुत जल्दी हमें यह बताने में सक्षम थे कि यह 10 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलता है."डॉ गगनदीप कांग, वायरोलॉजिस्ट
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