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Diabetes Care: पेट का मोटापा कैसे बन रहा डायबिटीज का कारण? जानें इसका इलाज

Diabetes Care: पेट में ज्यादा चर्बी होने से इंसुलिन की गतिविधि प्रभावित होती है.

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Diabetes Care: वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की ओर से जारी रिपोर्ट 'वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023' के अनुसार, अगर मोटापे की बढ़ती महामारी को रोकने  के लिए जल्द से जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो 2035 तक दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी ज्यादा वजन या मोटापे का शिकार हो जाएगी. भारत में वयस्कों में मोटापा सालाना 5.2% की दर से बढ़ रहा है, जबकि बच्चों में मोटापा 9.1% सालाना की तेज दर से बढ़ रहा है.

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पुरुष और महिला दोनों में फैट यानी चर्बी जमा होने की सबसे ज्यादा खतरनाक जगह है पेट. इसे पेट का मोटापा (एबडॉमिनल ओबेसिटी) के नाम से जाना जाता है. हमें यह पता होना जरूरी है कि अगर शरीर का कुल वजन स्वस्थ माने जाने वाले वजन के आसपास भी हो, फिर भी यह एबडॉमिनल ओबेसिटी डायबिटीज और कई दूसरे गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.

एबडॉमिनल ओबेसिटी और डायबिटीज के बीच संबंध

पेट में ज्यादा चर्बी होने से इंसुलिन की गतिविधि प्रभावित होती है. इंसुलिन ही वह हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखता है. अगर बहुत समय तक इंसुलिन की गतिविधि प्रभावित होती रहे, तो शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है और ब्लड शुगर कंट्रोल से बाहर हो जाता है. इस तरह से एबडॉमिनल ओबेसिटी डायबिटीज का कारण बन जाती है.

एबाडॉमिनल ओबेसिटी को कैसे कंट्रोल करें और डायबिटीज से कैसे बचें?

सबसे जरूरी यह है कि शरीर के कुल वजन को नियंत्रण में रखें. इसका मतलब हुआ कि भोजन के जरिये रोजाना उतनी ही कैलोरी लें, जितनी कैलोरी आपका शरीर रोजाना सामान्य कार्यों और व्यायाम सहित दूसरी शारीरिक गतिविधियों में प्रयोग करता है. कैलोरी पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि आप जो भोजन कर रहे हैं उसमें 'गुड कैलोरी' हो, जैसे  त्वचा रहित चिकन ब्रेस्ट, अंडा, दाल और मछली के रूप में लीन प्रोटीन, साबुत अनाज, मिलेट (जौ,रागी, बाजरा) और सब्जियों के रूप में कॉम्प्लेकस कार्बोहाइड्रेट, नट्स एवं सीड्स (बादाम, काजू, पिस्ता, चिया , तिल, अलसी) के रूप में हेल्दी फैट.

हमें स्वस्थ रहने और वजन को बढ़ने से रोकने के लिए रोजाना कितनी कैलोरी की जरूरत है, इसे समझने के लिए किसी पोषण विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है.

इसके साथ ही वजन को कंट्रोल में रखने के लिए हफ्ते में 5 दिन 30 मिनट का वॉक, जॉग या डांस के रूप में नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है.

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इन उपायों के बावजूद कुछ लोगों के लिए वजन को नियंत्रित रखना या जरूरत होने पर वजन कम कर पाना मुश्किल होता है. अगर ऐसा हो तो डॉक्टर से मिलना चाहिए. डॉक्टर कुछ दवाएं लिख सकते हैं, जिनसे मोटापा और डायबिटीज दोनों को नियंत्रित किया जा सकता है.

इस स्थिति में पूरे दिन में किसी तय समय पर रोजाना ब्लड शुगर की जांच जरूर करनी चाहिए. इससे डॉक्टर को आपके शरीर में ब्लड शुगर में होने वाले उतार-चढ़ाव के पैटर्न को समझने और उसी के हिसाब से दवा की खुराक तय करने में मदद मिलती है.

ब्लड शुगर पर खुद नजर रखने (एसएमबीजी) की यह प्रक्रिया ग्लूकोमीटर की मदद से आसानी से घर पर ही की जा सकती है. दवा की खुराक, खान-पान और व्यायाम की मदद से वजन को कम करने और डायबिटीज को नियंत्रण में रखना संभव हो सकता है.

(ये आर्टिकल रोश डायबिटीज केयर की तरफ से डॉ. राजीव चावला, सीनियर कंसल्टेंट डायबिटोलॉजिस्ट एंड डायरेक्टर, नॉर्थ दिल्ली डायबिटीज सेंटर ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)

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