कोविड के कारण बीते 2 वर्षों से बच्चे अपने-अपने घरों में बंद थे. न तो स्कूल जा पाते थे और ना ही कोई त्योहार अच्छे से सभी के साथ मना पाते थे. अब 2 साल बाद इस होली पर उन्हें त्योहार का आनंद लेने का मौका मिला है क्योंकि भारत में कोविड का संक्रमण कम हो गया है.
लेकिन हमें ये याद रखना चाहिए कि कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. होली खेलते समय कोविड प्रोटोकॉल का ख्याल रखें और बच्चों को भी रखने कहें.
हमारे बच्चे कोविड काल में सुरक्षित होली कैसे खेलें, इसकी जानकारी के लिए फिट हिंदी ने मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गाँव के पीडियाट्रिक्स के एसोसिएट डायरेक्टर, डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल से बातचीत की.
“कोविड संक्रमण अभी कम है और बच्चे भी अब स्कूल जाने लग गए हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि बच्चे इस बार होली खेलेंगे. इस समय हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. खास कर अगर सूखी होली खेलें तो बेहतर है. क्योंकि उससे मास्क गीला नहीं होगा और मास्क पहन कर ही खेले तो बेहतर होगा. हो सके तो घरवालों के साथ ही खेलें. अगर आप अपनी सोसाइटी में खेलने वाले हैं, तो कोविड गाइडलाइन का पालन करें और जिन्हें बुखार और खांसी है, वो घर पर ही रहें” ये सलाह दी है डॉ मनिंदर सिंह धालीवाल ने.
परिवार के बुजुर्ग घर पर ही परिवार वालों के साथ होली मनायें तो बेहतर होगा.
अगर रंग बच्चे की आँख या मुँह में चला जाए तो क्या करें?
सबसे पहले तो इस बात का ख्याल रखें कि जो रंग बच्चे इस्तेमाल करेंगे वो गवर्नमेंट सर्टिफाइड (certified) रंग हो.
अगर रंग आँखों में चला जाए तो, सबसे पहले आँखों को बहते पानी (tap water) के नीचे, अच्छी तरह साफ करें और मुँह में जाने पर बच्चे को पानी का कुल्ला कराते रहें, जबतक उसे मुँह साफ महसूस न हो.
बच्चे की आँख में रंग जाना खतरनाक हो सकता है.
मुँह में रंग जाना तब गंभीर रूप ले सकता है, जब बच्चा रंग मुँह से अंदर गटक ले.
अगर आंखों में रंग चला भी जाए, तो आँखों को मलना नहीं चाहिए.
अस्थमा या किसी और बीमारी से परेशान बच्चों के लिए होली खतरनाक हो सकती है?
डॉ. मनिंदर ने बताया कि अस्थमा किसी भी चीज से ट्रिगर हो सकता है. होली का रंग भी उसका एक कारण हो सकता है. जिस बच्चे ने पहले भी रंग से होली खेली थी और उसे अस्थमा का अटैक या कोई और समस्या हुए हो, तो वो सतर्क रहें. ऐसे बच्चे को रंगों की होली न खेलने दें.
पानी वाले रंग की होली को जहां तक हो सके बच्चों से दूर ही रखें.
बच्चों को हो सकती है होली के रंग से ये समस्या
होली के रंगों से हो सकता है कांटैक्ट डर्मटायटिस (contact dermatitis). रंगों में जो केमिकल मौजूद होते हैं, उसकी वजह से बच्चों की त्वचा में जलन, लाली और दाने निकल सकते हैं. इससे बचने के लिए माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की त्वचा और बालों पर नारियल तेल से अच्छी मालिश कर दें.
इससे बच्चे की त्वचा और रंग के बीच में नारियल तेल की एक सुरक्षित परत बन जाएगी, जो कांटैक्ट डर्मटायटिस से बचने का काम करेगी.
होली खेलने के बाद शरीर से रंग हटाने के लिए कुछ लोग कई बार नींबू का प्रयोग करते हैं, जो नहीं करना चाहिए. इससे त्वचा में इरिटेशन हो सकती है. बच्चे को हर दिन की तरह ही नहलायें. कुछ दिनों में धीरे-धीरे रंग चला जाएगा.
अगर किसी बच्चे को पक्का रंग लग गया है, तो उसे हटाने के लिए नींबू या किसी तरह की जबरदस्ती न करें त्वचा के साथ. इससे त्वचा में इरिटेशन और कांटैक्ट डर्मटायटिस (contact dermatitis) बढ़ सकता है.
“चेहरा छोड़ दें - चेहरे या सिर पर रंग न लगाएं. फेस मास्क पर रंग या पानी न लगाएं, क्योंकि यह मास्क को कम प्रभावी बनाता है. केवल सूखे रंगों के साथ खेलें, वो भी हो सके तो ऑर्गैनिक रंग. कोविड के समय सुरक्षित खेलें, सुरक्षित रहें.”डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल, एसोसिएट डायरेक्टर- पीडियाट्रिक्स, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गाँव
सुरक्षित होली खेलने के लिए क्या करें और क्या न करें ?
ऐसा करें और होली को सुरक्षित बनाएं -
मास्क जरुर लगाएं
जहां तक हो सके बच्चों को समझाएं भीड़ से बचें और सीमित बच्चों के साथ ही होली खेलें
सूखे रंगों वाली होली खेलें
होली खेलने से पहले नारियल तेल की मालिश करें
बच्चे के बालों को बांधें, उन्हें खुला न छोड़ें (बालों को बंडाना या कपड़े से ढक लेना बेहतर होता है)
बच्चे को पूरी बाजू वाले कपड़े पहनायें
उनके नाखूनों को छोटा रखें
उन्हें हाइड्रेटड रखें
ये सब न करें-
बच्चे को अगर सर्दी-खांसी-बुखार हो तो होली न खेलने दें
गीली होली से परहेज करने को कहें
अल्कोहल सैनिटाइजर को बच्चों से दूर रखें. गलती से इसका सेवन या छिड़काव करने से दुर्घटना हो सकती है
बच्चे के हाथों को नियमित रूप से धोएं. साथ ही, आपात स्थिति के लिए प्राथमिक चिकित्सा किट तैयार रखें.
ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें?
हम देखते हैं, होली खेलने के दौरान दौड़ भाग में बच्चे कई बार गिर जाते हैं. ऐसे में अगर कोई घाव आ जाए तो उससे सबसे पहले साफ कर दें. अगर घाव गहरा हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें. टेटनस के टीके की जरुरत पड़े.
अगर रंग बच्चे की आँख में चला जाए और साफ पानी से अच्छी तरह से धोने के बाद भी उसे लगातार इरिटेशन और जलन महसूस हो रही हो, तो नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. इसे अनदेखा न करें.
होली खेलने के कारण अगर बच्चे को साँस लेने में दिक्कत महसूस हो रही हो, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
रंगों की वजह से त्वचा में दाने या लाली आयी हो और वो बढ़ती जा रही हो तो ऐसे में डॉक्टर को जरुर दिखाएं.
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