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'Covid 19 से करीब 2 करोड़ मौत दुनिया की नाकामी', Lancet Report पर WHO का जवाब

लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट बीते समय की उन सभी गलतियों का आकलन करती है, जो कोविड-19 महामारी से निपटने के दौरान की गईं.

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लैंसेट आयोग की ‘कोविड-19 महामारी से भविष्य के लिए सबक’ नाम से नई जारी रिपोर्ट (Lancet Commission report) में बीते दो साल के दौर पर नजर डाली गई है, ताकि पता लगाया जा सके कि कोविड -19 का सामना करने में दुनिया के देशों से कहां चूक हुई.

रिपोर्ट में दुनिया भर में COVID-19 से 1.72 करोड़ अनुमानित मौतों की इतनी बड़ी गिनती का खासतौर से जिक्र किया गया है और इसे “गंभीर त्रासदी और कई स्तर पर दुनिया की एक बड़ी नाकामी” करार दिया गया है.
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इस रिपोर्ट पर 15 सितंबर को प्रतिक्रिया देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बयान जारी कर कहा कि वह इन ‘बेहद महत्वपूर्ण सिफारिशों का स्वागत करता है.’ साथ ही रिपोर्ट में कुछ ‘गलत व्याख्याओं’ की ओर इशारा भी किया है.

आइए विस्तार से समझते हैं कि रिपोर्ट में दुनिया के COVID-19 महामारी प्रबंधन और भविष्य में किसी और महामारी का सामना होने पर उससे निपटने के लिए सुझाए उपायों के बारे में क्या कहा गया है.

WHO ने क्या गलतियां कीं: रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

पहल करने में बहुत देर हुई:

रिपोर्ट का कहना है कि, वैश्विक महामारी के दौरान WHO जरूरी मुद्दों पर “बहुत संभलकर” और “बहुत धीमे” चला.

रिपोर्ट में कहा गया है– उदाहरण के लिए बीमारी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम जनता के लिए हेल्थ इमरजेंसी (PHEIC) घोषित करने से पहले यात्रा पाबंदी और सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने, लोगों को मास्क लगाने को बढ़ावा देने में थोड़ी देरी हुई.

यह बताने में भी देरी हुई कि वायरस हवा के जरिये (airborne transmission) भी फैल सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से कदम नहीं उठाने के चलते वायरस के फैलाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सही उपायों को लागू करने में देरी हुई.

पारदर्शिता की कमी:

रिपोर्ट कहती है कि, “बहुत सी सरकारें संस्थागत तर्कशीलता और पारदर्शिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने में नाकाम रहीं.”

लैंसेट कमीशन ने पाया कि इन्फेक्शन, मौत, वायरल वेरिएंट, हेल्थ सिस्टम की प्रतिक्रिया और सेहत पर परोक्ष नतीजों के बारे में समय पर, सटीक और व्यवस्थित आंकड़ों की कमी थी– इन सभी ने मिलकर काफी हद तक गलत सूचनाओं के फैलाव को बढ़ावा दिया.

जितनी जरूरत थी, उतना अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं था:

रिपोर्ट देशों के बीच उनकी स्ट्रेटजी पर तालमेल की कमी पर ध्यान दिलाती है.

“दुनिया की बड़ी ताकतें वैश्विक महामारी पर काबू पाने में सहयोग करने में नाकाम रही हैं.”
लैंसेट कमीशन की कोविड-19 रिपोर्ट

लैंसेट कमीशन का कहना है कि सहयोग की कमी और खासतौर से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों की तरफ से टेस्टिंग किट, दवाओं और वैक्सीन के गैर-बराबरी से बंटवारे के साथ-साथ निम्न-मध्यम आय वाले देशों (LMIC) की वैक्सीन उत्पादन में मदद में ‘अपने देश की तरफ झुकाव’ साफ दिखता है.

गलत सूचनाओं पर लगाम लगाने में नाकामी:

दुनिया भर के स्वास्थ्य अधिकारी गलत सूचनाओं के फैलाव को रोकने में नाकाम रहे, जिसने वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट और पब्लिक सेफ्टी मानदंडों जैसे सबको मास्क लगाने के आदेश और सेल्फ-आइसोलेशन पर अमल करने की अनदेखी को और बढ़ावा दिया.

रिपोर्ट में उजागर की गई दूसरी खामियां हैं:

  • सरकारें न सिर्फ बीमारी के फैलाव पर काबू पाने, बल्कि लंबी अवधि तक चलने वाली इस तरह की महामारी के सामाजिक और आर्थिक नतीजों को कम करने के लिए सबसे बेहतर उपायों और नीतियों को लागू करने में नाकाम रही हैं.

  • वैश्विक महामारी ने लैबोरेटरी में बायो-सेफ्टी नियमों पर अमल में लापरवाही, जिससे लैब से जुड़ी महामारी फैलती है, को उजागर किया.

  • महामारी ने नाकाफी तैयारियों और आबादी के सबसे कमजोर तबके की हिफाजत के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था की कमी को भी उजागर किया.

भविष्य के लिए सबक: लैंसेट कमीशन की सिफारिशें

ज्यादा कारगर टेस्टिंग और वैक्सीनेशन की जरूरत:

रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन, किफायती टेस्टिंग और नए इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट और लॉन्ग कोविड-19 (टेस्ट और ट्रीटमेंट) के लिए एक सिस्टम तैयार होना चाहिए.

“जनता की हिफाजत के मकसद के साथ वैक्सीनेशन से आगे बढ़ते हुए बनाई गई स्ट्रेटजी को संकट सामने आने पर तैयारी (जो अचानक शुरू हो जाती है और अचानक बंद हो जाती है) करने की नीति के बजाय स्थायी आधार पर तैयारी होनी चाहिए.”
लैंसेट कमीशन की कोविड-19 रिपोर्ट

बेहतर वैश्विक तालमेल और सहयोग की जरूरत है:

इसमें कहा गया है कि सरकारों को घरेलू मवेशी और जंगली जानवरों के कारोबार के रेगुलेशन पर तालमेल करना चाहिए और खतरनाक तौर-तरीकों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए.

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि ग्लोबल निगरानी के साथ-साथ डेटा, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, वैक्सीनेशन, टेस्टिंग किट और दवाओं जैसे संसाधनों को साझा करने के लिए एक मजबूत नेटवर्क बनाने की जरूरत है.

WHO को मजबूत करना चाहिए:

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि WHO के बजट में काफी बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए.

इसके अलावा इसने यह भी सुझाव दिया है कि ग्लोबल हेल्थ पॉलिसी के दूसरे केंद्र नहीं बनाए जाने चाहिए क्योंकि यह WHO की केंद्रीय भूमिका को कमजोर करेगा.

नेशनल हेल्थकेयर सिस्टम को ताकतवर बनाया जाए:

वैश्विक महामारी के दौरान कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों की एक बड़ी कमी उनका पब्लिक हेल्थकेयर संबंधी बुनियादी ढांचा था, जो एक महामारी से नहीं निपट सकता था क्योंकि उनके पास पहले से ही संसाधनों की कमी थी.

“मजबूत पब्लिक हेल्थ सिस्टम में स्थानीय लोगों और सामुदायिक संगठनों के बीच मजबूत संबंध; निगरानी और रिपोर्टिंग सिस्टम; मजबूत मेडिकल सप्लाई चेन होनी चाहिए.”
लैंसेट कमीशन की कोविड-19 रिपोर्ट
  • देशों को बीमारी की रोकथाम और इमरजेंसी तैयारियों के लिए और ज्यादा असरदार तैयारी रखने के लिए रिसर्च में निवेश बढ़ाना चाहिए.

  • गलत सूचनाओं से निपटने के लिए असरदार हेल्थ कम्युनिकेशन स्ट्रेटजी तैयार की जानी चाहिए.

  • कम्युनिटी हेल्थ वर्कर और कम्युनिटी आधारित संगठनों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित और तैयार होना चाहिए.

  • बेहतर सर्विलांस और मॉनीटरिंग के साथ देशों की अपनी खुद की देशव्यापी महामारी की तैयारी योजना होनी चाहिए.

रिपोर्ट में विश्वस्तरीय हेल्थ कवरेज पर भी जोर दिया गया है, खासकर प्राइमरी हेल्थकेयर के मामले में.

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WHO की प्रतिक्रिया

बृहस्पतिवार सुबह लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए WHO ने कहा कि रिपोर्ट की सिफारिशें “महामारी पर हमारी वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के लिए मजबूत तैयारियों, रोकथाम, तत्परता और प्रतिक्रिया के अनुरूप हैं.”

WHO ने UN एजेंसी के केंद्रीय बजट को बढ़ाने की रिपोर्ट की सिफारिशों और निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए स्थायी तौर पर धन की व्यवस्था किए जाने की जरूरत की तरफ ध्यान दिलाया है.

WHO भी रिपोर्ट की इस टिप्पणी से सहमत है कि ‘अति-राष्ट्रवाद’ और बौद्धिक संपदा साझा करने की कम इच्छा ने उच्च और निम्न आय वाले देशों के बीच वैक्सीन को लेकर गैर-बराबरी को बढ़ावा दिया.

हालांकि, इसने लैंसेट कमीशन के WHO के काम की रफ्तार और दायरे के आकलन को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में कई ‘गलत व्याख्याएं’ की गई हैं और ‘बुनियादी तथ्यों की अनदेखी’ की गई है.

WHO का कहना है कि रिपोर्ट ने इस बात को छोटा करके देखा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संस्था ने महामारी को कितनी गंभीरता से लिया और महामारी को पहली बार अंतरराष्ट्रीय चिंता की पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी (PHEIC) घोषित किए जाने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने उठाए जाने वादे कदमों की एक लिस्ट बनाई.

कोविड-19 वैश्विक महामारी में आगे क्या होगा

जहां तक कोविड-19 महामारी का मामला है, WHO ने पहली बार कहा है कि ‘अंत नजदीक है.’

हालांकि एक्सपर्ट इस बात पर एक राय हैं कि हमें हाल-फिलहाल कोविड-19 से छुटकारा नहीं मिलने वाला हैं और हमें आने वाले समय में बीमारी की छोटी और बड़ी लहरों के लिए तैयार रहना होगा. फिर भी उन्होंने WHO के आशावादी पूर्वानुमान का स्वागत किया गया है.

बुधवार 14 सितंबर को WHO के महानिदेशक ट्रेडोस एधनॉम घेब्रेयेसस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, “हम अभी वहां नहीं पहुंचे हैं. लेकिन अंत नजर आ रहा है.”

हालांकि उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि इसका मतलब यह नहीं है कि हम एकदम से सावधानियों को छोड़ सकते हैं.

वैश्विक महामारी की मैराथन दौड़ से तुलना करते हुए ट्रेडोस ने कहा, “अब दम लगाकर दौड़ने और पक्का करने का समय है कि हम दौड़ को पूरा करें और अपनी कड़ी मेहनत का फल खाएं.”

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