कुछ लोग वास्तव में "मच्छर मैग्नेट” होते हैं, और अपनी त्वचा के गंध के कारण मच्छरों के लिए, दूसरों के मुकाबले अधिक आकर्षक होते हैं.
इसके अलावा, रिसर्च से पता चला है कि मच्छरों द्वारा समूह में कुछ लोगों को टारगेट करने की और बाकी को छोड़ देने की संभावना अधिक रहती है.
स्टडी के निष्कर्ष मंगलवार, 18 अक्टूबर को सेल नामक जर्नल में प्रकाशित हुए थे.
मुख्य निष्कर्ष
केमिकल अनैलिसिस से अध्ययन में पता चला कि जिन लोगों के प्रति मच्छर अधिक आकर्षित हो रहे थे उनकी त्वचा में काफी अधिक कार्बोक्जिलिक एसिड का उत्पादन हो रहा था.
ये एसिड त्वचा की प्राकृतिक मॉइस्चराइजिंग परत का हिस्सा होते हैं और सभी लोग इन्हें अलग-अलग मात्रा में प्रोड्यूस करते हैं.
म्यूटेंट मच्छर भी, जिनमें कुछ कीमोसेंसरी को-रिसेप्टर्स की कमी होती है, अधिक और कम आकर्षक लोगों में अंतर करने की क्षमता बनाए रखते हैं.
ग्रूप सेटिंग में मच्छरों की प्रेफरेन्स अधिक मायने रखती हैं. ग्रूप में "मच्छर चुंबक" को सबसे अधिक मच्छर काटते हैं, जिससे कम आकर्षक लोग बच जाते हैं.
ये अंतर कई वर्षों तक स्थिर बने रहे.
इस्तेमाल की गई विधि
एक्सपेरिमेंट में 64 लोगों को हाथों पर नायलॉन स्टॉकिंग्स पहनने को कहा गया ताकि उनके त्वचा की गंध स्टॉकिंग में भी आ जाए.
स्टॉकिंग्स को एक लंबी ट्यूब के दूसरे छोर में अलग ट्रैप्स में रखा गया, जिसके बाद दर्जनों मच्छरों को सेट-अप में छोड़ दिया गया.
देखा गया कि मच्छर सबसे आकर्षक लोगों के स्टॉकिंग्स की ओर झुंड बनाने लगे.
उन ही लोगों पर कई वर्षों तक परीक्षण करके पाया गया कि ये अंतर लंबे समय तक स्थिर रहता है.
इस एक्सपेरिमेंट में एडीज एजिप्टी मच्छर, जो येलो फीवर, जीका और डेंगू जैसी बीमारियां फैलाते हैं का इस्तेमाल किया गया.
स्टडी के ऑथर लेस्ली वोशाल, जो न्यू यॉर्क के रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में एक न्यूरोबायोलॉजिस्ट हैं, ने न्यूज एजेंसी AP को बताया कि अन्य प्रकार के मच्छरों से समान परिणामों की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन पुष्टि के लिए और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है.
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