लंदन के एक सीवेज प्लांट से पोलियो वायरस के स्ट्रेन का पता चलने के बाद यूनाइटेड किंगडम अलर्ट पर चला गया है.
WHO और ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार 22 जून को एक बयान में कहा कि लंदन के सीवेज नमूनों में एक प्रकार के पोलियो वायरस का पता चला है.
"ग्लोबल पोलियो लेबोरेटरी नेटवर्क (GPLN) ने लंदन, यूनाइटेड किंगडम (यूके) में पर्यावरण के नमूनों से टाइप 2 वैक्सीन-डिप्राइव्ड पोलियो वायरस (2 vaccine-derived poliovirus (VDPV2) पाया."WHO का बयान
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायरस को केवल पर्यावरणीय सैंपल से अलग किया गया है. हाल में लकवा के किसी भी संबंधित मामले का पता नहीं चला है.
यह चिंता का विषय क्यों है?
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने एक रिपोर्ट में कहा, "लंदन बेकटन सीवेज ट्रीटमेंट वर्क्स से फरवरी और जून 2022 के बीच एकत्र किए गए कई सीवेज नमूने वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन को दिखाते हैं."
यह सीवेज प्लांट (plant) उत्तर और पूर्वी लंदन के एक बड़े हिस्से को कवर करता है, और यहां लगभग चार मिलियन लोगों का घर है.
नियमित निगरानी के हिस्से के रूप में, यूके के सीवेज नमूनों में हर साल 1 से 3 ‘वैक्सीन-जैसे’ पोलियोवायरस का पता लगना सामान्य है, लेकिन ये हमेशा एक तरफा निष्कर्ष (one off findings) रहे हैं, जिनका फिर से पता नहीं चला. हालांकि इस बार कई स्ट्रेन पाए गए हैं.
इस बार ये चिंता का विषय हैं क्योंकि इससे पहले, जब भी पोलियो वायरस के स्ट्रेन पाए गए थे, वे असंबंधित (unrelated) थे.
इस मामले में, स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि स्ट्रेन आनुवंशिक (genetically) रूप से संबंधित थे.
"पोलियो वायरस का स्थानीय रूप से प्रसार हो सकता है, सबसे अधिक संभावना उन व्यक्तियों में है, जो पोलियो टीकाकरण के मामले में पीछे हैं".डॉ कैथलीन ओ'रेली, एसोसिएट प्रोफेसर स्टेटिस्टिक्स फॉर इंफेक्शस डिजीज एंड पोलियो इरेडिकेशन एक्सपर्ट
टीकाकरण का इतिहास और वे क्यों महत्वपूर्ण हैं
पोलियो वैक्सीन दो प्रकार की होती है, ओपीवी (OPV) और आईपीवी (IPV).
ओपीवी जो ओरल पोलियो वैक्सीन है, कमजोर लेकिन जीवित पोलियो वायरस के एक रूप का उपयोग करता है, जो आंत में दोहरा सकता है और मल-दूषित पानी के माध्यम से दूसरों के अंदर आसानी से ट्रांसफर हो सकता है.
इसका मतलब यह है कि यह वायरस उस बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जिसका टीकाकरण हो चुका है, लेकिन उन जगहों पर इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है, जहां गंदगी हो और टीकाकरण की संख्या कम हो.
यूके ने इस टीके का उपयोग बंद कर दिया था और निष्क्रिय पोलियो वायरस (आईपीवी) पर स्विच कर लिया था.
इस प्रकार, यह संदेह है कि कुछ परिवार जो अभी-अभी यूके आए हैं, उन्हें ‘ओपीवी’ लिया होगा और अब वे वायरस के स्ट्रेन का कारण बन रहे हों.
यूकेएचएसए (UKHSA) की महामारी विशेषज्ञ, सलाहकार डॉ वैनेसा सलीबा को यह कहते हुए पाया गया, 'वैक्सीन-डिप्राइव्ड पोलियोवायरस दुर्लभ है और जनता के लिए जोखिम बेहद कम है’.
"वैक्सीन-डिप्राइव्ड पोलियोवायरस में फैलने की क्षमता होती है, खासकर उन समुदायों में जहां टीके का सेवन कम होता है. दुर्लभ अवसरों पर यह उन लोगों में लकवा का कारण बन सकता है, जिन्हें पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है, इसलिए यदि आप या आपका बच्चा पोलियो के खिलाफ पूरी तरह से वैक्सिनेटेड नहीं हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें या यदि याद न हो तो अपनी लाल किताब (vaccination book) की एक बार जांच कर लें."वैनेसा सलीबा, सलाहकार महामारी विज्ञानी, यूकेएचएसए
यूके में वाइल्ड पोलियो के अंतिम मामले की पुष्टि 1984 में हुई थी. यूके को 2003 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया था.
लंदन का लगभग 86.6% हिस्सा पोलियो वैक्सीनेशन कवरेज को दिखता है. इसके बावजूद, स्वास्थ्य पेशेवरों को इन निष्कर्षों के प्रति सतर्क कर दिया गया है ताकि वे तुरंत जांच कर सकें और किसी को भी पोलियो जैसे लक्षणों जैसे लकवा के साथ रिपोर्ट कर सकें.
वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच के लिए आगे का विश्लेषण किया जा रहा है.
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