Rheumatoid Arthritis In Women: रूमेटाइड ऑर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) किसी खास समूह के लोगों तक सीमित नहीं है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले महिलाओं में देखने को मिलते हैं. पुरुषों के मुकाबले, महिलाओं में इस बीमारी के पनपने की आशंका दो से तीन गुना अधिक होती है. महिलाओं में एस्ट्रोजेन और गर्भावस्था से जुड़े हार्मोन अधिकतर इस बीमारी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं.
रूमेटाइड ऑर्थराइटिस की शिकार किस उम्र की महिलाएं अधिक हो रही हैं? रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण क्या हैं? महिलाएं इस समस्या से कैसे बच सकती हैं? रूमेटाइड ऑर्थराइटिस को कैसे मैनेज करें? फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब जानें एक्सपर्ट से.
रूमेटाइड ऑर्थराइटिस की शिकार किस उम्र की महिलाएं अधिक हो रही हैं?
रूमेटाइड ऑर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) किसी भी उम्र में समस्या पैदा कर सकता है लेकिन अक्सर महिला और पुरुष में ये अंतर 30 से 40 वर्ष की उम्र के दौरान देखने को मिलता है, हालांकि पुरुषों और महिलाओं के बीच के इस अंतर के पीछे कई वजहें हो सकती हैं.
अगर कारणों के बारे में बात करें, तो हार्मोनल प्रभाव का असर सबसे अधिक हो सकता है.
एस्ट्रोजेन और गर्भावस्था से जुड़े हार्मोन अधिकतर इस बीमारी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, जींस (Genes) संबंधी बनावट भी अहम होती है क्योंकि महिलाओं में अधिकतर ऐसे जीन ज्यादा होते हैं, जिनकी वजह से रूमेटाइड ऑर्थराइटिस को बढ़ावा मिलता है.
"यह याद रखना महत्वपूर्ण है रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के पीछे ऐसी कई वजहें हैं, जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है. हालांकि लिंग संबंधी भेद को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन इस बीमारी को बढ़ावा देने वाले जैविक और पर्यावरण संबंधी कारकों को पूरी तरह समझना जरूरी है."डॉ. अश्विनी माईचंद, डायरेक्टर –डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स, सीके बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्ली
क्या हैं रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण?
समय पर बीमारी का पता लगाने और उपचार के लिए रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों के बारे में जानना जरूरी होता है. हालांकि, लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ लक्षणों से सावधान हो जाने की चेतावनी मिल जाती है.
जोड़ों में दर्द, खास तौर पर हाथ, कलाई और पैरों में अकड़ और सूजन सामान्य लक्षण हैं.
इस तरह की परेशानी आम तौर पर शरीर के हिस्सों को समान रूप से प्रभावित करती है और अक्सर सोकर उठने या कुछ देर तक ऐक्टिव नहीं रहने के बाद ज्यादा परेशान करती है.
थकान, बुखार और सामान्य तौर पर बीमार रहने जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं, जिससे रोजाना की दिनचर्या पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
याद रखें कि इन लक्षणों की वजह से दूसरी परेशानियां भी पैदा हो सकती हैं, ऐसे में सही जांच के लिए किसी डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है.
"समय से इलाज कराने से रिजल्ट में अप्रत्याशित सुधार हो सकते हैं और रूमेटाइड ऑर्थराइटिस को प्रभावी ढंग से ठीक करने में मदद मिल सकती है."डॉ. अश्विनी माईचंद, डायरेक्टर –डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स, सीके बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्ली
रूमेटाइड ऑर्थराइटिस होने पर इसे कैसे मैनेज करें?
एक्सपर्ट फिट हिंदी को बताते हैं कि रूमेटाइड ऑर्थराइटिस का कोई उपचार नहीं है, लेकिन क्वालिटी ऑफ लाइफ को बनाए रखने के लिए इसकी देखभाल अच्छी तरह से करना महत्वपूर्ण है. यहां एक्सपर्ट ने रूमेटाइड ऑर्थराइटिस को आसानी से मैनेज करने के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई है:
दवाएं: अपने डॉक्टर की बताई गई डीएमएआरडी और बायोलॉजिक्स जैसी दवाएं लेते रहें, जिनसे इंफ्लेमेशन को कंट्रोल करने और बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है. डॉक्टर से सलाह लिए बिना दवा न छोड़ें या डोज में बदलाव न करें.
लाइफस्टाइल में बदलाव: रेगुलर एक्सरसाइज करें, स्विमिंग या योग जैसी ऐक्टिविट्स पर ध्यान दें, ताकि जोड़ों में लचीलापन और मूवमेंट बनी रहे. फलों, सब्जियों और मोटे अनाजों से भरपूर सेहतमंद खानपान बनाए रखें, ताकि इंफ्लेमेशन का स्तर और सेहत अच्छी रहे.
स्ट्रेस से बचें: गंभीर तनाव से रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के लक्षण बढ़ सकते हैं. स्ट्रेस से निपटने के लिए मेडिटेशन, योग या नेचर के साथ समय बिताने जैसी तकनीकों पर विचार करें.
जोड़ों की सुरक्षा: जोड़ों को बहुत अधिक जोर पड़ने से बचाने या दर्द कम करने के लिए स्पिलिंट या ब्रेसेज जैसे डिवाइसों का इस्तेमाल करें. जोड़ों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए सही मुद्रा और अर्गोनॉमिक्स प्रैक्टिस करें.
रूमेटाइड ऑर्थराइटिस से बचने के लिए महिलाएं क्या करें?
डॉ. अश्विनी माईचंद कहते हैं, "रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के सटीक कारण को समझने के लिहाज से हम अभी भी अंधकार में हैं, ऐसे में यह समस्या न उभरे, दुर्भाग्यवश इसका कोई सटीक तरीका नहीं है. हालांकि, ऐसे कुछ सुरक्षात्मक उपाय और लाइफस्टाइल से संबंधित सेहतमंद विकल्प हैं, जिनसे रिस्क को कम करने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है".
हेल्दी लाइफस्टाइल: फलों, सब्जियों और मोटे अनाजों से भरपूर संतुलित खानपान के साथ-साथ प्रोसेस्ड खाने और शुगरी ड्रिंक की खपत को कम करने से सेहत अच्छी रहती है और इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद मिल सकती है. रेजिस्टेंस कैपेसिटी को बेहतर बनाने में और वजन को कंट्रोल में रखने में नियमित शारीरिक गतिविधि भी अहम भूमिका निभाती है, जिससे इंफ्लेमेशन के लेवल पर भी असर पड़ता है.
स्ट्रेस को कंट्रोल में रखना: बहुत अधिक स्ट्रेस से इंफ्लेमेशन की स्थिति बिगड़ सकती है और इसकी वजह से रूमेटाइड ऑर्थराइटिस की समस्या हो सकती है. मेडिटेशन, योग या नेचर के साथ समय बिताने जैसे तनाव का मुकाबला करने के सेहतमंद तरीके फायदेमंद हो सकते हैं.
वजन को सेहतमंद स्तर पर बनाए रखना: मोटापा, रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के जोखिम का एक जाना-माना कारण है. लाइफस्टाइल में बदलाव करके या जरूरी हो तो किसी डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से पेशेवर मदद लेकर वजन को सेहतमंद स्तर पर बनाए रखने से मदद मिल सकती है.
समय से बीमारी का पता लगाना और उसकी देखभाल: अगर आपको जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन जैसे शुरुआती लक्षण महसूस हों, तो समय से डॉक्टरी सलाह से पूरी तरह बचाव भले ही न हो, लेकिन समय से इलाज हो सकता है. बीमारी का प्रभावी ढंग से देखभाल करने से रिजल्ट में जरुरी सुधार हो सकते हैं और भविष्य में आने वाली मुश्किलों को कम किया जा सकता है.
ये बचाव के पक्के उपाय नहीं हैं और प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से जोखिम के कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. रूमेटाइड ऑर्थराइटिस से बचाव और उसकी देखभाल के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से सलाह और मार्गदर्शन पाने के लिए हेल्थकेयर पेशेवर से मिलें.
"फटाफट आराम देने या जादुई समाधान का वादा करने वाले अपुष्ट तरीकों या गलत जानकारी से बचना भी महत्वपूर्ण है."डॉ. अश्विनी माईचंद, डायरेक्टर –डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स, सीके बिड़ला हॉस्पिटल (आर), दिल्ली
लाइफस्टाइल से जुड़े सेहतमंद विकल्पों, समय से बीमारी का पता लगाने और लगातार जारी रिसर्च पर ध्यान देकर हम रूमेटाइड ऑर्थराइटिस के बारे में बेहतर समय और उसकी देखभाल की दिशा में मिलजुलकर काम कर सकते हैं.
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