गर्मी का मौसम अपने साथ गर्मी, प्यास, सुस्ती और थकान लाता है. जब तापमान बढ़ता है, तो शरीर की गर्मी बढ़ जाती है और हम ठंडे ड्रिंक्स के लिए तरस जाते हैं. साथ ही भूख भी कम लगती है क्योंकि शरीर की पाचन शक्ति कम हो जाती है.
प्राचीन खाद्य ज्ञान के अनुसार, आहार मौसम के आधार पर होना चाहिए. हालांकि, व्यवसायीकरण और मार्केटिंग के कारण, हमारा आहार बिना पोषण और एम्पटी कैलोरी वाले भोजन की ओर चला गया है. लोग अब गर्मियों में सिर्फ आर्टिफिशियल रंग, प्रिजर्वेटिव और केमिकल से भरे ठंडे ड्रिंक पीना चाहते हैं.
हालांकि, यदि हम उन खाने और पीने की चीजों पर ध्यान दें, जो हमारे माता-पिता या दादा-दादी खाते-पीते थे, तो हमें कई स्वस्थ विकल्प मिलेंगे जो आसान और स्वस्थ होते हैं.
पारंपरिक गर्मी के मौसम वाला खाना
प्रकृति हमें कई प्रकार के मौसमी फल, सब्जियां और हरी सब्जियां प्रदान करती है. अगर हम खाने के लिए स्थानीय और मौसमी चीजें चुनते हैं, तो हम कभी गलत नहीं हो सकते.
पारंपरिक गर्मी के मौसम के खाने में दही चावल, चटनी, करेला जैसी सब्जियां, लौकी, हरी पत्तेदार सब्जियां, भिंडी और मूंग और मसूर जैसी दाल शामिल हैं. रायता, कचुम्बर (सलाद), रागी और आमरस गर्मी में आम व्यंजन हैं.
ज्वार, रागी या चावल के आटे की रोटियां गर्मी में बहुत अच्छी होती हैं. मसालेदार दही या छाछ से भोजन पूरा कर सकते है.
आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद हमें बताता है कि गर्मियों में हमारी पाचन शक्ति सबसे कम होती है. बाहर की गर्मी का मुकाबला करने के लिए शरीर अंदर की गर्मी (जो पाचन के लिए आवश्यक है) को कम करता है. इसलिए, हमें भूख कम लगती है और हम ठंडे और कम मसालेदार व्यंजनों के लिए तरसते हैं. आयुर्वेद पित्त संतुलित आहार की सलाह देता है और रूम टेम्परेचर पर भोजन करने की सलाह देता है.
आयुर्वेद अदरक, लहसुन, मिर्च और मसालों जैसे गर्म और तीखे स्वाद वाले खाद्य पदार्थों को कम खाने कहता है. यह नमकीन, खट्टा, फर्मेन्टेड और तेल वाले भोजन से भी दूर रहने की सलाह देता है.
आयुर्वेद का अध्ययन कर चुकीं, चायवेद की संस्थापक, प्रेरणा कुमार आहार में साबुत या विभाजित मूंग दाल मिलाने की सलाह देती हैं. "आप इसे खिचड़ी में सोना मसूरी चावल के साथ या एक पतली दाल के रूप में नमक और काली मिर्च के साथ खा सकते हैं.”
वह लौकी और करेले जैसी सब्जियां खाने, और भुना हुआ जीरा पाउडर और काला नमक मिलाकर पतली छाछ पीने की सलाह देती हैं.
आयुर्वेदिक इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ.वसंत लाड ने अपनी पुस्तक द कम्प्लीट बुक ऑफ आयुर्वेदिक होम रेमेडीज में एक पित्त को शांत करने वाले आहार की वकालत की है. उनके अनुसार आहार में चावल वाली खिचड़ी, घी डालकर मूंग की दाल, सत्तू, पत्तेदार साग, तरबूज, आम और छाछ को शामिल करना चाहिए. खट्टे फल, सॉर क्रीम, पनीर और मीट से बचना चाहिए.
गर्मी के मौसम के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थों की एक सूची यहां दी गई है.
छाछ
आयुर्वेद भोजन के बाद छाछ पीने की सलाह देता है. सुश्रुत संहिता और भवप्रकाश, दोनों में छाछ के फायदों का उल्लेख किया गया है. यह पाचन में सहायता करता है, शरीर की गर्मी को दूर करता है और पाचन में सुधार लाता है. छाछ बनाने के लिए ताजा दही को पानी के साथ मथ लें, चुटकी भर नमक डालें और परोसें.
खीरा
यह हल्की, कुरकुरी सब्जी ताजगी और तृप्ति देती है. जब तापमान बढ़ता है, और भूख कम हो जाती है, तो खीरे बड़े आकर्षक लगते हैं.
वे लिवर के लिए अच्छे हैं, रक्त को डिटॉक्सीफाई करते हैं, रक्त से यूरिक एसिड को निकालते हैं, और किडनी को अच्छे से कार्य करने में मदद करते हैं. विटामिन सी, विटामिन के, मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैंगनीज में समृद्ध, यह पाचन में सहायता करता है, एसिड रिफ्लक्स को नियंत्रित करने में मदद करता है, और आईबीएस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मुद्दों के लिए अच्छे हैं.
आम
तीनों दोषों को संतुलित करने के लिए यह बहुत अच्छा फल है. पके हुए आम ऊर्जा बढ़ाने वाले और विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं.
मैग्नीशियम और पोटेशियम का अच्छा स्रोत, इसमें इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण होते हैं और यह आंखों के लिए भी अच्छा होता है. कच्चे आम ठंडे होते हैं और आहार में वो कसैला स्वाद जोड़ते हैं, जो आयुर्वेद गर्मियों के लिए रेकमेंड करता है.
खरबूजे
खरबूजे हल्के, मीठे और ठंडे होते हैं. खरबूजों में इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर पानी होता है. ये फल फाइबर से भी भरपूर होते हैं, और सोडियम, सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल में कम होते हैं. खरबूज में विटामिन के, सी बी 6, पोटेशियम और कॉपर भी होता है.
सत्तू
यह जौ या बार्ली से बनाया जाता है. यह ऊर्जा को बढ़ाता है और हल्का और ठंडा करता है. यह सदियों पुराना फॉर्मूला तैयार करना और स्टोर करना आसान है. इसे दूध और गुड़/चीनी के साथ मिलाएं या सत्तू शरबत के रूप में काला नमक, भुना जीरा पाउडर और पुदीने की पत्तियों के साथ पियें.
कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर, यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाता है और सूजन को कम करता है.
पुदीना
पुदीने का खट्टा और तीखा स्वाद, स्वादिष्ट होता है. यह पित्त और कफ दोषों को कम करता है और वात दोष को संतुलित करता है. पुदीने की चटनी या रायता तैयार करें और इसे नियमित रूप से भोजन के साथ लें. पुदीने की पत्तियां एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती हैं.
इनमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, फास्फोरस और कैल्शियम होता है. पुदीने में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं और यह आयरन, पोटेशियम और मैंगनीज का एक अच्छा स्रोत है. प्रेरणा गर्मियों में अपने दैनिक भोजन में पुदीने की चटनी को शामिल करने का सुझाव देती हैं.
पुदीना चटनी रेसिपी
सामग्री
2 कप पुदीना
1 कप हरा धनिया
1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर / 2 हरी मिर्च
2 छोटी चम्मच भुने तिल
½ छोटा चम्मच जीरा
साफ और धुली इमली (नींबू के आकार का बॉल)
3 चम्मच गुड़ पाउडर
स्वादानुसार नमक
विधि
तिल और जीरा साथ में पीस लें. फिर इमली, पुदीना और धनिया डालें.
फिर ब्लेंड करें और बाकी सामग्री को थोड़े से पानी के साथ मिलाएं और पीस लें. चावल या रोटियों के साथ परोसें. इसका उपयोग सैंडविच, सलाद और डिप के रूप में भी किया जा सकता है.
गर्मियों के आहार के लिए टिप्स
ताजी मौसमी स्थानीय सब्जियां खाएं.
हल्का नाश्ता, भारी दोपहर का भोजन और हल्का रात का खाना खाएं.
भोजन में ताजा धनिया या पुदीने की चटनी जरूर शामिल करें.
ऐल्कलाइन सब्जियां, पानी से भरपूर फल जैसे तरबूज, जामुन, अंगूर, अनानास, आड़ू, आम, सौंफ, अश्वगंधा, ब्राह्मी और तुलसी का सेवन करें.
इडली या डोसा जैसे फर्मेन्टेड खाने से बचें.
नाश्ते के रूप में फल खाएं. फलों का सेवन सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच ही करना चाहिए और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ नहीं मिलाना चाहिए.
मिल्कशेक के लिए केवल आम का प्रयोग करें, किसी अन्य फल का नहीं.
गुलाब की पंखुड़ियां, खस और इलायची भोजन में शामिल करें.
तरबूज या खरबूज खाने के बाद पानी पीना आयुर्वेद के अनुसार गलत है.
आयुर्वेद, भोजन के साथ फलों या जूस को खराब मानता है और इससे बचने की सलाह देता है.
मेनू मौसम के अनुसार प्लान होना चाहिए. प्रकृति वह प्रदान करती है जो हमारे शरीर को चाहिए.
इसलिए गर्मियों की फसल में हल्की, पानी से भरपूर, मीठे, कड़वे और कसैले फल और सब्जियां होती हैं. इस गर्मी में स्वस्थ ठंडे रहने के लिए इन टिप्स को आजमाएं.
(नूपुर रूपा एक स्वतंत्र लेखिका और माताओं के लिए लाइफ कोच हैं. वह पर्यावरण, भोजन, इतिहास, पालन-पोषण और यात्रा पर लिखती हैं.)
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