ADVERTISEMENTREMOVE AD

National Youth Week: तंबाकू सेवन से युवा कैसे अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं?

तंबाकू की आदत एक ही साथ शारीरिक, मानसिक, वित्तीय और समाजिक नुकसान पहुंचाने वाली सीढ़ी है.

Published
फिट
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

National Youth Week: युवाओं में तंबाकू का सेवन करना लाइफस्टाइल का हिस्सा बनता जा रहा है. कब बस एक बार ट्राई करने के नाम पर शुरू की गई बात आदत बन जाती है, पता नहीं चलता. कभी फैशन में तो कभी दोस्तों के सामने कूल लगने के चक्कर में युवा पीढ़ी इसका शिकार बनते जा रही है. तंबाकू की आदत एक ही साथ शारीरिक, मानसिक, वित्तीय और सामाजिक नुकसान पहुंचाने वाली सीढ़ी है. क्या कहता है देश के युवाओं में तंबाकू सेवन का डेटा? युवाओं के दिल और दिमाग को कैसे नुकसान पहुंचा रहा? सोशल मीडिया का क्या रोल है तंबाकू के प्रचार में? क्या आजकल युवाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नए तंबाकू उत्पाद सेफ हैं? फिट हिंदी ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब लाया है इस आर्टिकल में.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या कहता है देश के युवाओं में तंबाकू सेवन का डेटा ?

ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (GYTS) के अनुसार भारत के 8.5% बच्चे-युवा (13-15 वर्ष की आयु) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, जिसमें से 9.6 % लड़के और 7.4 % लड़कियां धूम्रपान और स्मोकलेस (smokeless) तंबाकू का उपयोग करते हुए पाए गए हैं.

डॉ. ऋषि गौतम कहते हैं, "तंबाकू का सेवन कैंसर और जल्दी मौत का प्रमुख कारण है. यह अनुमान लगाया गया है कि वयस्कों में निकोटिन का उपयोग पुरुषों में लगभग 42% और महिलाओं में 14% है. युवा भी इस लत के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं और वर्तमान में भारत में लगभग 19% पुरुष (किशोर) और 8% महिला (किशोरी) इसका उपयोग करते हैं. तंबाकू की खपत की दर बढ़ रही है और जैसा कि हम जानते हैं इसका उपयोग करना बेहद हानिकारक होता है.

"यह ब्रेन सिनैप्स और यादों के गठन (formation of memories) को बदल देता है. जो सामान्य विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं. तंबाकू के आदी किशोरों में दूसरे एडिक्शन के साथ-साथ शराब, मारिजुआना, हेरोइन, कोकीन के एडिक्शन विकसित होने का बहुत अधिक जोखिम होता है. इसे अक्सर "गेटवे ड्रग" कहा जाता है, जो दूसरे एडिक्शन का प्रवेश द्वार है."
डॉ. ऋषि गौतम, असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ साइकेट्री, जीडब्ल्यू स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज, वाशिंगटन डीसी, यूएसए

सोशल मीडिया पर तंबाकू उत्‍पादों की सरोगेट मार्केटिंग

"मेरे दोस्त ने मुझे तंबाकू का एड सोशल मीडिया पर दिखाया. वहीं से हमें न्यू टोबैको प्रॉडक्ट्स की जानकारी मिली तब हमने ट्राई किया. बहुत कूल लगता है, शायद आदत हो गई है."
राकेश (बदला हुआ नाम), सोशल मीडिया यूजर

ग्लोबल पब्लिक हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन वाइटल स्ट्रेटेजीज (Global public health Organization Vital Strategies) ने अपनी एक रिपोर्ट 'हिडन इन प्‍लेन साइट: भारत में सोशल मीडिया पर तंबाकू उत्‍पादों के सरोगेट मार्केटिंग' को जारी किया है. ये रिपोर्ट सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स पर सरोगेट मार्केटिंग की बात कहती है. रिपोर्ट ने जनवरी और मई 2022 के बीच एकत्र किए गए 2,000 से ज्‍यादा पोस्‍ट का एनालिसिस किया, जो अप्रत्‍यक्ष रूप से तंबाकू का प्रचार करते हैं. जिनमें से 12% सरोगेट मार्केटिंग थी. रिपोर्ट का निष्‍कर्ष इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे सोशल मीडिया यूजर्स को तंबाकू कंपनियों और ब्रांडों से जुड़े भ्रामक विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि विज्ञापन का यह रूप तंबाकू उत्पाद के समान या समान ब्रांड पहचान का उपयोग करके पान मसाला जैसे अनियमित उत्पादों को बढ़ावा देता है ताकि उपभोक्ता उसे तंबाकू उत्पाद से जोड़ सके.

भारत में तंबाकू उपयोग में कमी आने के बावजूद करीब 29% किशोर (15+) और वयस्‍क आबादी अभी भी तंबाकू का सेवन कर रही है.
0

तंबाकू प्रोडक्ट के इस्तेमाल से युवाओं में स्वास्थ्य समस्या

"तंबाकू का लंबे समय तक सेवन करने से खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. इसके कई नुकसान होते हैं, कैंसर उनमें से एक है. कैंसर के अलावा तंबाकू का बहुत खतरनाक दुष्प्रभाव खून की नलियों और हार्ट पर पड़ता है. हार्ट अटैक, स्ट्रोक, खून की नलियों का बंद होना, हार्ट फेल होना भी शामिल हैं".
डॉ. दीपक सरीन, डायरेक्टर, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, कैंसर संस्थान, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

वैशाखी मलिक कहती हैं कि तंबाकू का उपयोग और सेकेंड हैंड स्मोक अब गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), संचारी रोगों और गर्भावस्था के दौरान नुकसान के प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना जाता है. इसके अलावा तंबाकू का उपयोग गरीबी को और अधिक बढ़ाने में भी जिम्मेदार है. तंबाकू के उपयोग के नुकसानों में शामिल हैं बीमारी, अक्षमता, अकाल मृत्यु और इससे अनावश्यक पैसे खर्च भी होते हैं, जो लोगों के जीवन को समस्याओं से भर देता है.

तंबाकू का प्रचार कैसे युवाओं के दिल-दिमाग पर असर करता है?

"निकोटीन वाला तंबाकू एक अत्यधिक नशीला पदार्थ होता है और दुनिया में सबसे अधिक दुरुपयोग किये जाने वाला ड्रग है. निकोटिन का किशोरों के दिमाग पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे विकास की सामान्य प्रक्रिया बाधित होती है. यह एक व्यक्ति के मूड को प्रभावित करता है, ध्यान संबंधी हानि, सीखने में समस्याएं और इम्पल्स कंट्रोल नहीं कर पाने का कारण बनता है."
डॉ. ऋषि गौतम, असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ साइकेट्री, जीडब्ल्यू स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज, वाशिंगटन डीसी, यूएसए

डॉ. ऋषि गौतम आगे कहते हैं कि बहुत अधिक नशीला होने के कारण तंबाकू एक्यूट विथड्रावल सिंपटम्स (acute withdrawal symptoms) का कारण बनता है, जो चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, भूख में वृद्धि, नींद में खलल, चिंता, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और इसका सेवन करते रहने की लालसा के रूप में प्रकट होता है. तंबाकू सभी रूपों में हानिकारक है, जैसे सिगरेट, वैपिंग डिवाइस, गुटका.

सिगरेट, बीड़ी और चबाने वाले तंबाकू जैसे पारंपरिक तंबाकू उत्पादों के अलावा युवा आज निकोटीन तंबाकू उत्पाद जैसे ई-सिगरेट, हीटेड तंबाकू उत्पाद जैसे दूसरे उत्पादों के संपर्क में हैं. ये नए उत्पाद अक्सर पारंपरिक तंबाकू उत्पादों के लिए एक ग्लैमरस प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इनका सेवन किसी भी मामले में सेफ है?

"मुझे और मेरे दोस्तों को लगता है कि न्यू टोबैको प्रॉडक्ट्स पुराने तंबाकू प्रॉडक्ट्स से सेफ हैं. हमारे पास कोई ठोस जानकड़ी नहीं है पर, ऐसा हमने कुछ लोगों से सुना और मान लिया."
कणिका (बदला हुआ नाम), एमबीए स्टूडेंट , पुणे

वैशाखी मलिक कहती हैं, "नहीं, तंबाकू उत्पादों के संपर्क में आने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है. कोई भी तंबाकू उत्पाद नुकसान से मुक्त नहीं दिखाया गया है. वास्तव में, तंबाकू एकमात्र लीगल प्रोडक्ट है, जो अपने निर्माताओं द्वारा इच्छा से उपयोग (used as intended) किए जाने पर अपने ग्राहकों के एक बड़े हिस्से की जान लेता है".

इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

"मेरा बेटा 14 साल का है और मैं थोड़ा घबराई रहती हूं. मैंने उसे तंबाकू का प्रचार को देखने के बाद उस प्रचार की नकल करते देखा है. मेरे घर में कोई तंबाकू का सेवन नहीं करता है.
शिखा कुन्दल, दिल्ली
हाल ही में, मेक्सिको ने सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाते हुए दुनिया के सबसे कड़े तंबाकू विरोधी कानूनों में से एक पेश किया है.

डॉ. ऋषि गौतम कहते हैं, "तंबाकू के एडिक्ट युवा स्कूल छोड़ने, असामाजिक या आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने साथ ही घर और समाज से भी अलग-थलग हो जाते हैं". रोकथाम के कुछ उपाय एक्सपर्ट ने बताए:

  • तंबाकू विरोधी मास मीडिया अभियान शुरू करना.

  • तंबाकू से जुड़े डिसऑर्डर से लड़ने के लिए शिक्षा, रोकथाम और इलाज के लिए पब्लिक हेल्थ फंडिंग में वृद्धि करनी चाहिए.

  • तंबाकू उत्पादों पर अधिक टैक्स लगाकर कीमतों में वृद्धि करना.

  • स्कूलों/कॉलेज के पास ऐसे उत्पादों की पहुंच को सीमित करना. शिक्षण संस्थानों के पास इन्हें बेचने वाली दुकानों पर प्रतिबंध लगाना.

  • आम जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले कमर्शियल जगहों में तंबाकू के उपयोग पर रोक लगाने वाली धूम्रपान-मुक्त नीतियां लाना.

  • अभिभावक अपने बच्चों को तंबाकू के उपयोग के जोखिमों के बारे में शिक्षित करें.

"तंबाकू से होने वाली हर एक मौत रोकी जा सकने वाली त्रासदी है. इस वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए दुनिया भर में लाखों लोगों का भाग्य निर्णायक रूप से कार्य करने वाली सरकारों पर निर्भर है. धूम्रपान-मुक्त कानून जैसी नीतियां सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाती हैं और लोगों को घातक सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में आने से बचाती हैं, जो वर्तमान में हर वर्ष लगभग 600,000 मौतों का कारण बनता है."
वैशाखी मलिक, एसोसिएट डायरेक्टर, पॉलिसी एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, वाइटल स्ट्रैटेजीज

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×