सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के जस्टिस बी एच लोया की संदिग्ध हालात में मौत पर उठा विवाद 'गंभीर' है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने लोया पर दो पीआईएल की सुनवाई के दौरान कहा अदालत इन बातों पर गौर करेगी कि नवंबर, 2014 में हुई उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई में कहा कि इस मामले पर अब किसी भी हाईकोर्ट में न तो याचिका दाखिल की जाएगी और ना ही इस केस पर सुनवाई होगी.
जस्टिस लोया, सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे. गुजरात के उस वक्त के गृह राज्यमंत्री अमित शाह भी इस मामले में आरोपी थे. जस्टिस लोया की मौत के बाद उनकी जगह पर आए जज ने अमित शाह को मामले से बरी कर दिया था. जस्टिस लोया अपने एक दोस्त की बेटी की शादी में शामिल होने नागपुर गए थे.
लोया मामला गंभीर
सुप्रीम कोर्ट ने बेंच ने कहा पूरा "मामला गंभीर है। हम सभी दस्तावेजों की पड़ताल कर रहे हैं.
बेंच ने लोया की मौत से जुड़े सभी मामलों और तमाम दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मामले से जुड़े बॉम्बे हाईकोर्ट और इसकी नागपुर बेंच में दायर दो याचिकाओं को भी अपने पास मंगा लिया है.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 2 फरवरी को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में पहले इस मामले की मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच में हुई थी.
इसे और दूसरे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने विरोध जताया था. उन्होंने रोस्टर सिस्टम पर सवाल उठाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि वह लोया मामले में ऐसे दस्तावेज जमा करें, जिन्हें अभी तक जमा नहीं किया गया है और उन्हें कोर्ट को सौंपें.
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CJI की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है सुनवाई
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोने ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने को लेकर याचिका दाखिल की है. इस मामले की सुनवाई वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल हैं.
(इनपुट आईएएनएस)
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