शुक्रवार को पंजाब (KXIP) के खिलाफ राजस्थान (RR) की जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले बेन स्टोक्स शायद क्रिकेट की दुनिया के दुर्लभ फोर इन वन खिलाड़ी हैं.
ऑलराउंडर का अगला अवतार
क्रिकेट में एक से बढ़कर एक बल्लेबाज (सर डॉन ब्रैडमैन, विव रिचर्ड्स, तेंदुलकर इत्यादि) और गेंदबाज (शेन वॉर्न, ग्लेन मैक्ग्रा, अनिल कुंबले इत्यादि) आए हैं और बीच में कुछ ऐसे खिलाड़ी भी आते रहते हैं जो बल्ले और गेंद दोनों से अपनी छाप छोड़ते हैं जैसे कि सर गैरी सोबर्स, अस्सी के दशक की मशहूर ऑलराउंडर चौकड़ी. इन ऑलराउंडर्स के अलावा के अलावा कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हुए हैं जो फील्डिंग में भी जबरदस्त रहे हैं जैसे कि जैक कैलिस. इन खिलाड़ियों को थ्री-इन-वन स्पेशल कहा गया और किसी भी टीम के पास ऐसे हीरो का होना बेशकीमती माना जाता रहा है. लेकिन, इन तमाम बातों के साथ अगर अदम्य इच्छाशक्ति और किसी भी हाल में हार न मानने और निराशा से उबरने के बाद पलटवार करने वाला एक विशेष गुण भी जोड़ दिया जाए तो वो शायद क्रिकेट के पहले फोर-इन-वन खिलाड़ी हो सकते हैं- बेन स्टोक्स, जिनकी महानता को फिलहाल कम शब्दों में परिभाषित करने का शायद यही तरीका है.
पहले बॉलिंग और फिर बैटिंग से कमाल
अगर शुक्रवार की रात को दुबई में किंग्स इलेवन पंजाब के लगातार 5 मैचों के विजय रथ को कोई खिलाड़ी अकेले दम पर रोक सकता था तो शायद वो खिलाड़ी स्टोक्स ही थे. पहले किफायती गेंदबाजी करते हुए स्टोक्स ने 4 ओवर में 32 रन देकर 2 विकेट लिए . ये दो विकेट सेट बल्लेबाज केएल राहुल और निकोलस पूरन के उस समय झटके जब वो बस चौथे गियर में जाने के बारे में ही सोच ही रहे थे. लेकिन, बाद में ओपनर के तौर पर स्टोक्स बल्लेबाजी के लिए आए तो पावर-प्ले ओवर्स पूरे होने से पहले ही उन्होंने अपना अर्धशतक पूरा कर दिया सिर्फ 26 गेंदों पर और वो भी 3 छक्के और 6 चौके की मदद से. पावर-प्ले के दौरान इससे पहले किसी भी राजस्थान के बल्लेबाज ने अर्धशतक नहीं बनाया था. इस तूफानी शुरुआत के बाद रॉयल्स को पीछे मुड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी.
शायद आईपीएल की चकाचौंध में बहुत कम लोगों को ये पता हो कि इस आईपीएल की शुरुआत ही स्टोक्स के लिए निजी जिंदगी में परेशानी से हुई. उनके पिता जो पूर्व रग्बी खिलाड़ी रह चुके हैं वो ब्रेन कैंसर से जूझ रहे थे. कुछ महीने पहले उनके पिता को अपने दायें हाथ की मध्य उंगली को कटवाना पड़ा था क्योंकि डॉक्टर ने कहा कि कोई दूसरा उपाय नहीं बचा था. इसलिए आईपीएल में जब स्टोक्स ने शतक बनाया तो उन्होंने अपने जश्न का इजहार अपनी मध्य-ऊंगली को मोड़कर किया जो अपने पिता के लिए सम्मान जाहिर करने का उनका अनूठा तरीका था.
पर्सनल लाइफ में प्रॉब्लम के बाद भी प्रदर्शन
इस वजह से स्टोक्स आईपीएल में देर से आए और पहली 5 पारियों में उनके बल्ले से सिर्फ 110 रन बने और विकेट तो वो 1 भी नहीं ले पाए थे. टीम मेंटोर शेन वॉर्न ने तो यहां तक सलाह दे डाली की स्टोक्स को ओपनर की भूमिका देना सही नहीं था. लेकिन उसके बाद अब पिछले 2 मैचों में जो हुआ है वो सिर्फ स्टोक्स ही कर सकते थे. अपने दम पर रॉयल्स को फिर से उन्होंने प्ले-ऑफ की दौड़ में शामिल करा दिया है.
इससे पहले इंग्लैंड के लिए 2019 वर्ल्ड-कप और बाद में हेडिंग्ले टेस्ट मैच में भी स्टोक्स ने एकदम नामुकिन से दिखने वाले हालात को मुमकिन कर दिया था.
स्टोक्स ने खुद कहा है कि उनको ऑलराउंडर बनने की प्रेरणा 2005 में एशेज सीरीज में एंड्रयू फ्लिंटॉफ के प्रेरणादायी खेल से मिली और वो इस बात से भी वाकिफ हैं कि उनकी तुलना फ्रैडी और बीफी (इयन बॉथम) से होती है लेकिन वो इस बात से बेफिक्र रहते हैं. स्टोक्स का कहना है कि वो कभी भी उनके जैसे बनने की इच्छा नहीं रखते हैं, बस इतना प्रयास रहता है कि वो खुद का बेस्ट वर्जन हमेशा बनते रहें. आईपीएल 2020 में स्टोक्स अब अपने बेस्ट वर्जन वाली मुद्रा में दिख रहे हैं.
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