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कोरोना का दूसरा प्रहार-भारत में नौकरी और सैलरी पर लटकी तलवार

स्पाइसजेट ने अपने कर्मचारियों की 50% तक सैलरी रोकी

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जॉब्स
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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के साथ विभिन्न शहरों और राज्यों में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की चाल धीमी कर दी है. ऐसे में प्रभावित होते व्यापार और ऑपरेशनल कॉस्ट भार महसूस करती कंपनियों ने अपने कर्मचारियों का वेतन रोकना शुरू कर दिया है .

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मई महीने की पहली तारीख को स्पाइसजेट ने यह घोषणा की कि वह अपने कर्मचारियों के अप्रैल महीने के वेतन का 50% तक रोके रखेंगे.

पहली लहर के कमजोर होने के साथ अक्टूबर जनवरी के बीच अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के कारण कंपनियों ने वेतन बढ़ाने की मंशा जाहिर की थी. नवंबर 2020 में आए ऐऑन सैलरी ट्रेंड सर्वे( 20 से ज्यादा उद्योगों के 1050 संगठनों के बीच कराए गए सर्वे) में 87% कंपनियों ने यह माना था कि जनवरी में वह अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाएंगी. लेकिन दूसरी लहर के साथ धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में शायद कंपनियां यह ना करें .

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स्पाइसजेट ने रोका कर्मचारियों का 50% तक वेतन

स्पाइसजेट ने कोविड-19 महामारी के कारण उसके ऑपरेशन पर प्रभाव और कैश की कमी के कारण अप्रैल महीने में कर्मचारियों के 50% वेतन को आगे के लिए रोक लिया है.

छोटे कर्मचारियों और ड्राइवरों को तो पूरा वेतन दे दिया गया है पर ग्राउंड स्टाफ, केबिन क्रु ,कमर्शियल स्टाफ,पायलट को अप्रैल महीने के वेतन का मात्र 10 से 50% ही दिया गया है. एयरलाइन के चेयरमैन अजय सिंह ने अपना पूरा वेतन जाने दिया है .कर्मचारियों को बची हुई राशि आर्थिक स्थिति के सुधारने पर ही दी जाएगी.
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स्पाइसजेट के प्रवक्ता ने कहा कि "कोविड-19 की दूसरी लहर ने देश को संकट में डाल दिया है और उड़ान क्षेत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है. दुर्भाग्य से हमें स्पाइसजेट के दीर्घकालिक हित को सोच कर कुछ कठोर कदम उठाने पड़ रहें है."

कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों के कारण जहां मध्य फरवरी 2021 में सारे एयरलाइंस को मिलाकर डोमेस्टिक पैसेंजर ट्रैफिक 300,000 यात्री प्रतिदिन था वहीं अब वो 130,000 यात्री प्रतिदिन गिर आया है.ऐसे में एयरलाइंस को अपने ऑपरेशनल खर्च और कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

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CMIE के आंकड़े

बढ़ती महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों ने लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिया है. ऐसे में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी(CMIE) के द्वारा जारी आंकड़े दिखाते हैं कि बेरोजगारी दर 11 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह तक 8.6% हो गई जो कि दो सप्ताह पहले 6.7% थी.

फास्ट फ्रीक्वेंसी लेबर स्टैटिक्स(FFLS) यह दर्शाते हैं कि अप्रैल 2021 में श्रम बाजार की हालत और खराब होनी है. यह लगातार तीसरा महीना होगा जब बेरोजगारी दर और FFLS और खराब होती जा रही है.
महेश व्यास, CEO CMIE

CMIE के अनुसार 2020 में सबसे बुरा प्रभाव वेतनभोगी कर्मचारियों पर पड़ा. मार्च 2021 में 7.62 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी थे जो कि 2019 से 98 लाख कम थे. उनमें से 60 लाख वेतनभोगी कर्मचारी जो बेरोजगार हुए वह ग्रामीण भारत से संबंधित है और वह अब वो मुख्यतः कृषि कार्यों में लग गए हैं.

स्पाइसजेट ने अपने कर्मचारियों की 50% तक सैलरी रोकी

संगठित क्षेत्र  से कृषि की ओर पलायन  

Centre for Monitoring Indian Economy

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EPFO के आंकड़े

कोरोना की दूसरी लहर के कारण ठप पड़ी अर्थव्यवस्था के मद्देनजर नए रोजगार के उत्पादन की गति धीमी हो गई है. यह तथ्य EPFO द्वारा जारी आंकड़े से स्पष्ट होता है. प्रोविजनल एम्पलॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन(EPFO) के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि फरवरी फरवरी माह में संगठित क्षेत्र में जुड़े नए कर्मचारी पिछले 3 महीने में सबसे कम थे .प्रोविजनल डाटा के अनुसार फरवरी में मात्र 7,56,067 नए कर्मचारी जुड़े जबकि जनवरी में EPF से जुड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या 8,61,074 थी.

हालांकि EPFO के आंकड़े भारतीय जॉब मार्केट की पूरी तस्वीर प्रस्तुत नहीं करते, क्योंकि यह मुख्यतः संगठित क्षेत्र के आंकड़े हैं. लॉकडाउन और आय में कमी के डर से असंगठित क्षेत्र में रोजगार पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. प्रवासी मजदूर वापस अपने घर लौटने लगे हैं.

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