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मूर्ख दिवस: इन 25 बातों से होती है मूर्खों की पहचान, लिस्‍ट देखिए

वक्‍त के किसी न किसी मोड़ पर हर इंसान कोई न कोई मूर्खता जरूर करता है

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1 अप्रैल को दूसरों को अप्रैल फूल बनाकर जो सुख हासिल होता है, उसे शब्‍दों में बयां करना बड़ा मुश्किल होता है. लेकिन क्‍या आपने कभी गंभीरता के साथ इस बात पर विचार किया है कि इंसान सचमुच मूर्खता कब-कब करता है? मूर्ख कौन कहलाता है?

अगर हम पुराने ग्रंथों के पन्‍ने पलटें, तो पाएंगे कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्‍स होगा, जिसमें मूर्ख के एक भी लक्षण न मिलते हों. मतलब, जीवन के लंबे सफर में वक्‍त के किसी न किसी मोड़ पर हर इंसान कोई न कोई मूर्खता जरूर करता है.

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महाभारत के उद्योग पर्व में आचार-व्‍यवहार और नीतियों से जुड़ी अच्‍छी-अच्‍छी बातें बताई गई हैं, जो विदुरनीति के नाम से जानी जाती हैं. इस उद्योग पर्व के 8 अध्‍यायों में संस्‍कृत श्‍लोकों के रूप में हर तरह की नीतियों का जिक्र हैं. इनमें महात्‍मा विदुर ने राजा धृतराष्‍ट्र से कई टॉपिक पर चर्चा की है. इसी क्रम में उन्‍होंने मूर्खों के लक्षण भी गिनाए हैं.

वक्‍त के किसी न किसी मोड़ पर हर इंसान कोई न कोई मूर्खता जरूर करता है

अब जरा इस लिस्‍ट को गौर से देखिए और गंभीरता से विचार कीजिए :

  • जो ज्ञान अर्जित किए बिना ही गर्व करता हो
  • धनहीन होते हुए भी मन में बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाता हो
  • बिना काम-धाम किए ही धन पाने की इच्‍छा रखता हो
  • जो अपना कर्तव्‍य भूलकर दूसरों का काम संभालता फिरता हो
  • दोस्‍त के साथ कपट करता हो
  • जो न चाहने वाले को चाहता हो
  • अपने चाहने वाले को त्‍याग देता हो
  • जो अपने से ताकतवर के साथ दुश्‍मनी लेता हो
  • जो अपने शत्रु को मित्र बनाता हो
  • जो अपने ही मित्र से द्वेष रखता हो
  • अपने मित्र को कष्‍ट देता हो
  • हमेशा बुरा काम शुरू करने की ताक में रहता हो
  • जो अपने काम को बेकार में फैलाता है
  • जो हर जगह, हर बात में संदेह करता है
  • जल्‍द होने वाले काम में भी देर लगाता है
  • जिसे अच्‍छे दोस्‍त नहीं मिलते हों
  • बिना बुलाए ही अंदर प्रवेश करता हो
  • बिना पूछे ही ज्‍यादा बोलने लगता हो
  • वैसे लोगों पर भरोसा करता हो, जो इसके लायक न हों
  • जो खुद गलती करता हो और दूसरे पर इसका दोष मढ़ता हो
  • असमर्थ होते हुए भी बेकार का क्रोध करता हो
  • जो अपनी सामर्थ्‍य देखे बिना ही न पाने योग्‍य वस्‍तु की इच्‍छा रखता हो
  • जो उस व्‍यक्‍त‍ि को उपदेश देता हो, जो इसके योग्‍य न हो
  • जो कृपण (कंजूस) की शरण लेता हो
  • जो दूसरों को ज्ञान देता हो, पर खुद उस पर अमल नहीं करता
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अगर इनमें से कोई लक्षण आपमें भी मिलते हों, तो अपने भीतर सुधार की कोशिश कीजिए. किसी को बताएं नहीं, नहीं तो ये एक और मूखर्ता होगी... हैपी अप्रैल फूल!

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