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देश में कई भाषाएं होना भारत की कमजोरी नहीं - राहुल गांधी

केंद्र सरकार ने छेड़ी ‘एक देश एक भाषा’ की मुहिम, सोशल मीडिया पर विरोध

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14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' मनाया गया. इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की वकालत की. लेकिन राजनीतिक दलों से लेकर आम लोग तक सोशल मीडिया पर इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. लोग हिंदी भाषा को उन पर ‘थोपना’ करार दे रहे हैं. सबसे ज्यादा विरोध साउथ इंडिया में देखने को मिल रहा है.

ट्विटर पर #HindiIsNotMyLanguage, #HindiImposition जैसे हैशटेग ट्रेंडिंग में है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट किया है कि देश में कई भाषाएं होना भारत की कमजोरी नहीं...

"जो इसे अपनाना नहीं चाहता, उसे अपनाने के लिए विवश करना गलत"

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एक ट्विटर यूजर ने लिखा, मीडिया में दिखाया जा रहा है कि हिंदी दिवस को पूरे देश में मनाया गया. लेकिन सच ये है कि भारत के सात राज्यों (तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरला, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा) में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया.

एक दूसरे यूजर ने लिखा, “भारत का राष्ट्रगान बंगाली में है, ना कि हिंदी में. सबसे पुरानी भाषा तमिल है, हिंदी नहीं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज को जिन्होंने डिजाइन किया, उनकी मातृभाषा तमिल थी, न कि हिंदी. अगर हिंदी भाषा बोलने वाले लोग ज्यादा है, तो इसका कोई औचित्य नहीं."

एक और यूजर ने लिखा, हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है. हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा भी नहीं है. हिंदी अंग्रेजी की तरह भारत की एक आधिकारिक भाषा है. अगर कोई गैर-हिंदी भाषी व्यक्ति हिंदी सीखना चाहता है, तो यह बहुत अच्छा है, लेकिन किसी भी सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए.”

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हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ लोग हिंदी भाषा के पक्ष में भी बोलते दिखे. एक यूजर ने कहा, “किसी भी विदेशी भाषा के बजाय, स्कूल / कॉलेजों में विदेशी भाषाओं के साथ एक विकल्प के रूप में हिंदी भाषा सिखाई जानी चाहिए. इसका फैसला छात्रों पर छोड़ देना चाहिए.”

साउथ के सुपरस्टार और राजनेता कमल हासन ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है कि देश में एक भाषा को थोपा नहीं जा सकता है, अगर ऐसा होता है तो इस पर बड़ा आंदोलन होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत गणतंत्र बना था, तो ये वादा किया गया था कि हर क्षेत्र की भाषा और कल्चर का सम्मान किया जाएगा और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा. अब, उस वादे को किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी.’’

केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा, ‘हिंदी लोगों को जोड़ने वाली भाषा है, इसका मतलब ये नहीं है कि ये देश की दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं के ऊपर हो जाएगी. तीन भाषाओं वाला फॉर्मूला हम सभी स्वीकार करते हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी सदन में कहा है कि सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान किया जाएगा.’

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पहचान के लिए ‘एक देश-एक भाषा’ जरूरी!

हिंदी दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि विभिन्न भाषाएं और बोलियां हमारे देश की ताकत हैं. लेकिन अब देश को एक भाषा की जरूरत है. हिंदी भाषा देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और ये पूरे देश को एकजुट करने की ताकत रखती है.

शाह ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे और सभी को अपनी मातृ भाषाओं का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए कहा जाएगा.

शाह के इस बयान के बाद तमिलनाडु के दो प्रमुख राजनीतिक दलों द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और पट्टलि मक्कल काची (पीएमके) ने 'एक राष्ट्र, एक भाषा' को देश के लिए विनाशकारी करार दिया था.

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