वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा
वीडियो प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी
दिवाली के एक दिन बाद सभी न्यूज चैनल पर दिल्ली की एयर क्वालिटी पर चर्चा चल रही है. दिल्ली की हालत बाकी शहरों से भी ज्यादा खराब है. लेकिन मेरे होम-टाउन जयपुर में भी स्थिति कुछ दिल्ली जैसी ही है. 27 अक्टूबर को AQI की रेंज 582-717 को मापी गई और पटाखों की आवाज रात भर सुनाई दी. ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर स्मॉग की चादर में है. दिवाली मानाने की वजाय हम प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं.
इसका जिम्मेदार कौन है? क्या इस प्रदूषण के लिए सरकार जिम्मेदार हैं या लोग? मैंने जयपुर की सड़कों पर निकल कर देखा और कुछ लोगों से जानने की कोशिश की, कि वो इस बारे में क्या सोचते हैं.
दिवाली के 'पावन पर्व' के एक दिन बाद कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
मैं कल रात शहर में घूमने निकला, मुझे प्रदूषण बहुत ही घूटन सी महसूस हो रही थीसौरव, स्थानीय
जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आती हैं, उनकी स्थिति प्रदूषण की वजह से ज्यादा खराब है.उर्वशी, स्थानीय
स्थानीय लोगों ने प्रदूषण के बढ़ते लेवल पर चिंता जताई है.
जयपुर में पठाखे बैन हो जाना चाहिए जैसे दिल्ली में है. मैं बहुत खुश हो जाऊंगी, मेरे लिए दीयों का त्यौहार प्रदूषण वाला त्यौहार बन गया हैउर्वशी, स्थानीय
क्या लोग जागरूक हैं?
मुझे लगता है कि लोगों में जागरुकता है पटाखों को लेकर लेकिन नहीं. लोग को अब भी ये नहीं समझ आता है कि हवा कितनी खराब हो रही है, प्रदूषण कितना बढ़ रहा है.मनन, स्थानीय
लोग इन सब के लिए कितने जिम्मेदार?
लोगों को एयर क्वालिटी इंडेक्स के बारे में पता होना चाहिए और इसके लिए भी सोचना चाहिए कि प्रदूषण को कम कैसे किया जाए, लोगों को इसके लिए निजी तौर पर जिम्मेदारी लेनी होगी, इसमें हम अकेले प्रशासन को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकतेसौरव, स्थानीय
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)