ADVERTISEMENTREMOVE AD

माधवराव सिंधियाः हादसे के आखिरी मिनट, बारिश में भी जल रहा था प्लेन

माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर प्लेन क्रैश के वो आखिरी मिनट

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कांग्रेस के कद्दावर नेता और ग्वालियर के ‘महाराज’ माधवराव सिंधिया का 30 सितंबर, 2001 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुए प्लेन क्रैश में निधन हो गया था. लोकतंत्र के करिश्माई नेता का इस तरह से जाना आज भी याद आता है.

रविवार का दिन था. दोपहर का एक बज रहा था. आसमान में घने काले बादल छाए हुए थे. बिजली कड़क रही थी. लोग खिड़की, दरवाजों से आसमान देखकर मौसम का अंदाजा लगा रहे थे. पल-पल खराब हो रहे मौसम से इतना तो अंदाजा लग ही गया था कि कुछ ऐसा होने वाला है जो अच्छा नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

30 सितंबर, 2001 : कभी न भूलने वाला दिन

मैं एक अखबार में ट्रेनी रिपोर्टर था. दोपहर के करीब सवा दो बजे थे. दफ्तर से फोन पर बताया गया कि बेवर के पास मोटा रेलवे स्टेशन के आसपास कोई प्लेन क्रैश होने की सूचना मिल रही है. मुझे घटनास्थल पर जाने के लिए कहा गया. मेरे लिए इस तरह की स्टोरी कवर करने का पहला अनुभव था.

रास्ते में पता चला कि घटना मोटा रेलवे स्टेशन के पास भैंसरोली गांव में आसपास हुई है. तेज बारिश में जैसे-तैसे हम भैंसरोली गांव पहुंचे. लेकिन चुनौतियां कम नहीं हो रही थीं. हम जिस जीप से गांव पहुंचे, उसके चालक ने हमें घटनास्थल से करीब दो किलोमीटर पहले ही उतरने के लिए कहा. कच्चा रास्ता था. जीप आगे नहीं जा सकती थी. मिट्टी गीली हो चुकी थी. चालक जीप पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा था, इसलिए पैदल ही चलने का फैसला किया.

बारिश के चलते कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे. जूतों में पानी भर गया था. खेतों में चलने में दिक्कत आ रही थी. कैमरे की चिंता भी सता रही थी. मैंने जीप से निकलते वक्त कैमरे को पॉलीथिन से कवर कर लिया था, ताकि कैमरे को कोई नुकसान ना पहुंचे. खेतों को पार करते हुए किसी तरह से हम घटनास्थल तक पहुंचे.

तेज बारिश और क्रैश प्लेन से उठता धुंआ

सामने ऐसा नजारा था, जिसकी कल्पना भी नहीं की थी. विमान का आगे का हिस्सा जमीन में धंसा था. करीब बीस मीटर दूर एक जहाज की खिड़की टूटी पड़ी थी. जहाज से धुआं उठ रहा था. जैसे अभी कुछ देर पहली की ही घटना हो, लेकिन विमान को क्रैश हुए करीब एक घंटा बीत चुका था.

तेज बारिश के बाद भी धुआं उठ रहा था. पास में खड़े पुलिस कप्तान वायरलैस पर मैसेज सुन रहे थे. वायरलैस से निकलने वाली आवाज मेरे कानों तक आ रही थी. उस तरफ से आवाज आई कि भैंसरोली में जो विमान गिरा है उसमें माधव राव सिंधिया सवार थे.

इतना सुनते ही कप्तान के होश उड़ गए. उस वक्त वहां पर पुलिसकर्मी भी गिनती के ही थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मैंने बिना समय गंवाए कैमरा निकाला और फोटो उतारने शुरू कर दिए. फोटो लेने के लिए विमान के करीब पहुंचा तो दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाला था. विमान में सवार सभी यात्रियों की लाशें बुरी तरह से झुलस गई थीं. किसी की भी शक्ल समझ नहीं आ रही थी.

लॉकेट और जूतों से हुई पहचान

इधर पुलिस कप्तान पर लगातार घटना की पुष्ठि करने का दबाव बढ़ता जा रहा था. उन्होंने कुछ पुलिसकर्मियों को बुलाकर गांव के लोगों की मदद से मलबे में फंसे शव निकालने को कहा.

एक-एक कर विमान से कुल आठ शव निकाले गए. इनमें से महाराजा माधव राव सिंधिया को पहचानना बहुत मुश्किल था. सभी के कपड़े जले और चेहरे झुलसे हुए थे. माधव राव सिंधिया के गले में मां दुर्गा का सोने का लॉकेट था और पैरों में लिबर्टी ग्लाइडर के जूते थे. पुलिस कप्तान को बताया कि शायद यही माधवराव सिंधिया हैं.

प्रशासन ने पुष्टि की, इसके बाद तो देश में महाराजा की मौत की खबर आग की तरह फैल गई. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. वे इस घटना से बेहद दुखी थे और खुद पल-पल की जानकारी ले रहे थे.

प्लेन क्रैश में हुई थी आठ लोगों की मौत

राजनाथ सिंह तब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. जैसे ही उन्हें घटना की जानकारी मिली, वे हेलिकॉप्टर से बेवर पहुंचे, लेकिन अंधेरा और मौसम खराब मौसम होने के कारण उनका हेलिकॉप्टर बेवर में नहीं उतर सका. बाद में मोहम्मदाबाद हवाई पट्टी पर उनका हेलिकॉप्टर उतरा, जहां से वे घटनास्थल पर पहुंचे.

इस हादसे में माधवराव सिंधिया के अलावा दो पायलट विवेक गुप्ता और ऋतु मलिक. चार पत्रकार रंजन झा, गोपाल बिष्ट (आजतक), अंजू शर्मा (हिन्दुस्तान टाइम्स), संजीव सिन्हा (इंडियन एक्सप्रेस) और सिंधिया के निजी सचिव रूपिंदर सिंह की दर्दनाक मौत हुई थी.

इस घटना पर पूरा देश आंसू बहा रहा था. किसी को भी इस घटना पर यकीन नहीं हो रहा था. पूरे देश की नजरें उस दिन मैनपुरी पर थी. हर कोई इस घटना के बारे में जानना चाहता था. घर से लेकर गली-नुक्कड़, चाय की दुकान हर जगह इसी घटना को लेकर लोग चर्चा कर रहे थे.

मैनपुरी से लेकर ग्वालियर तक लोगों में महाराजा से बिछुड़ने का दुख था. ग्वालियर का जयविलास पैलेस भी रो रहा था. जयविलास पैलेस परिसर में लगे वटवृक्ष के पत्तों से टपकती बूंदें शायद यही कह रही थीं कि उसे अपने प्यारे माधव का मुस्कराता चेहरा अब कभी नहीं दिखाई देगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्लेन में नहीं था ब्लैक बॉक्स

माधवराव सिंधिया लोकतंत्र के करिश्माई नेता थे. उनका इस तरह से अचानक चले जाना बेहद दुखद था. शेषना एयरकिंग 90 विमान पर सभी लोग सवार होकर दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे से दोपहर 12:49 बजे कानपुर के लिए उड़े थे. किसे मालूम था कि यह विमान मौत का वाहक बन जाएगा. इस घटना के बाद जांच के लिए कमेटी बनाई गई. कमेटी ने जांच शुरू की. जांच में पता चला कि इस प्लेन में ब्लैक बॉक्स ही नहीं था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×