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प्रिय सैनिक, हाथ से लिखा संदेश टू सोल्जर और प्यारी कविता

देश के अलग-अलग हिस्सों से हमारे दर्शकों, पाठकों ने बहादुर सैनिकों के नाम खत भेजे हैं

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घर से दूर और कथित परिस्थितियों में रह रहे जवानों के लिए घर से एक खत का आना कितना सुकून भरा होता है. इस खत में जवानों के लिए बहुत जरूरी घर का प्यार छुपा होता है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर क्विंट अपने 'संदेश टू सोल्जर' कैंपेन को दोबारा शुरू कर रहा है. इसके जरिए हमारे देश के बहादुर जवानों के पराक्रम और शौर्य को सलाम करते हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से हमारे दर्शकों, पाठकों ने बहादुर सैनिकों के नाम कई सारे पत्र भेजे हैं.

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पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से ईशा भट्टाचार्य ने अपने हाथों से संदेश टू सोल्जर लिखकर भेजा है.

देश के अलग-अलग हिस्सों से हमारे दर्शकों, पाठकों ने बहादुर सैनिकों के नाम खत भेजे हैं

बिहार में पटना के रहने वाले नुमान अहमद ने वीर सिपाहियों के लिए कविता लिखकर भेजी है.

हर रात हम महफूज अपने घरों में सो पाते हैं,

हर रोज़ घर का खाना घर वालों के साथ खा पाते हैं,

हर रोज़ हम अपने दोस्तों के साथ हस पाते हैं,

क्यों के सरहद पर हमारे जवान रह जाते हैं।

खून का नहीं, देश का रिश्ता बढ़ कर मानते हैं,

इसीलिए हंसते हंसते देश के लिए शहीद हो जातें हैं।

एक माँं की रक्षा में दूसरी माँ से दूर जो जाते हैं,

बहनो को रक्षा का वादा करते हैं,

और माँ की रक्षा में खुद ही शहीद हो जाते हैं।

जो दूर होते हैं वो सिर्फ एक जवान नहीं होते,

माँ बाप के आंखों का सितारा होते हैं,

अपने बच्चों का सहारा होते हैं,

किसी का सारा संसार होते हैं,

तो किसी के यार होते हैं,

परिवार की जान होते हैं,

सारे देश की शान होते हैं।

देश की चौखट की रक्षा में खुद की चौखट से दूर रहते हैं,

हर त्यौहार सरहद पर ही मनाते हैं,

ना हिन्दू, ना मुस्लिम, ना सीख, ना ईसाई कहलाते हैं,

ये तो बस वीर जवान कहलाते हैं।

पर अफसोस,

इन्हें याद करने के लिए कुछ इनके शहादत का इंतज़ार करते हैं,

कुछ इनके शहादत पर राजनीति करते हैं,

कुछ इनके शहादत पर धर्म को ले आते हैं,

तो कुछ इनके शहादत पर खुशी मनाते हैं।

लेकिन जवान हमारे धर्म और खून से बढ़ कर देश का रिश्ता मानते हैं,

इसीलिए तो हंसते हंसते सब के लिए शहीद हो जाते हैं।

ना हिन्दू , ना मुस्लिम, ना सीख, ना ईसाई कहलाते हैं,

ये तो बस वीर जवान कहलाते हैं।

नमन करते हैं हम अपने वीर जवानों को,

नमन करते हैं हम ऐसी वीर मांओं को,

जिनके बच्चे ना हिन्दू ना हिन्दू, ना मुस्लिम, ना सीख, ना ईसाई कहलाते हैं,

वे तो बस वीर जवान कहलाते हैं

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