ADVERTISEMENTREMOVE AD

पाकिस्तान पर मिसाइल मिसफायर: ब्रह्मोस यूनिट के एक ग्रुप कैप्टन की भूमिका पर सवाल

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (COI) घटनाओं के पूरे क्रम के साथ-साथ ओमिशन और कमीशन एक्टिविटीज की कर रही है जांच

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

Pakistan Missile Misfire: पाकिस्तान सीमा के 124 किमी अंदर जाकर 9 मार्च को गिरने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. इस मामले के लिए की जा रही भारतीय वायुसेना की जांच में अन्य अधिकारियों के साथ एक ग्रुप कैप्टन की भूमिका सवालों के घेरे में है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार ये ग्रुप कैप्टन उस समय ब्रह्मोस यूनिट के मोबाइल कमांड पोस्ट के प्रभारी थे, जब एक कमांड एयर स्टाफ निरीक्षण द्वारा ऑडिट किए जा रहे सिमुलेशन अभ्यास के दौरान गलती से यह मिसाइल लॉन्च हो गई थी. बाद में पता चला कि मिसाइल पाकिस्तान के मियां चन्नू शहर में गिरी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
इस बारे में एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (COI) की जा रही है जो घटनाओं के पूरे क्रम के साथ-साथ उन ओमिशन और कमीशन एक्टिविटीज की जांच कर रही है, जिनके कारण 9 मार्च को शाम 7 बजे मिसाइल के परिचालन में यह गंभीर चूक हुई. इस जांच का नेतृत्व एक एयर वाइस-मार्शल, वायु सेना के एक टू-स्टार रैंक के अधिकारी कर रहे हैं.

इसके एक महीने में पूरा होने की उम्मीद है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस जांच में मिसाइल प्रणाली को संभालने वाले कई अधिकारियों को इस चूक के लिए दोषी ठहराया जा सकता है. यह अदालत ब्रह्मोस मिसाइलों के संचालन, रखरखाव और निरीक्षण की मानक संचालन प्रक्रियाओं की भी समीक्षा कर रही है.

हालांकि एयरफोर्स ने बुधवार को इस मामले पर कुछ भी उजागर नहीं किया क्योंकि विस्तृत COI रिपोर्ट को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

गलत हैंडलिंग का मामला

इस बारे में द वीक ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें रक्षा अधिकारियों के हवाले से इस दुर्घटना पर प्रकाश डाला गया है. एक प्रमुख रक्षा अधिकारी ने इस दुर्घटना केा मिसाइल प्रणाली के अपरिपक्व संचालन या गलत हैंडलिंग का मामला कहा है, क्योंकि मिसाइल के तकनीकी खराबी या अपने आप लक्ष्य से चूकने का कोई सवाल ही नहीं है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मिसाइल को कई इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल लॉक के साथ लॉन्च करने में कम से कम चार घंटे लगते हैं. मिसफायर की घटना के लिए उन्होंने मानवीय भूल की ओर इशारा करते हुए कहा कि- ऐसा असंभव है कि ब्रह्मोस बिना किसी और की गलती के खुद ही अपने उड़ान पथ से हट जाए.

एक बार लॉन्च होने के बाद ब्रह्मोस जैसी सामरिक मिसाइलों को डेस्ट्रॉय करने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि उनके पास 'आत्म-विनाश सिस्टम' नहीं है. केवल अग्नि और पृथ्वी जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों में यह "सेल्फ किल स्विच" होता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस घटना ने इस तरह के रणनीतिक शस्त्रागार को संभालने वाले सभी अधिकारियों के नियमित मनोवैज्ञानिक परीक्षण करने और उनके बैकग्राउंड की जांच करने की आवश्यकता पर सभी का ध्यान आकर्षित किया है.

'तकनीकी खराबी' शब्द ने मचा दी थी हलचल

इन जानकारियों से अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि मिसाइल मिसफायर के मामले में किसी भी तकनीकी खराबी के बजाय मानवीय त्रुटि ही जिम्मेदार थी.

इससे पहले, भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था, जिसमें अनजाने से यह उल्लेख कर दिया गया था कि नियमित रखरखाव के दौरान, 'एक तकनीकी खराबी' के कारण मिसाइल की आकस्मिक फायरिंग हुई.

इस 'तकनीकी खराबी' शब्द ने खलबली मचा दी और ब्रह्मोस मिसाइल के डेवलपर्स को परेशान कर दिया, क्योंकि भारत की सबसे उन्नत मिसाइल के रूप में जानी जाने वाली ब्रह्मोस देश की एकमात्र ऐसी मिसाइल है जिसका निर्यात भी किया जाएगा. फिलीपींस तो इसका पहला ग्राहक भी बन गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×