भारत के चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने शनिवार, 30 अप्रैल को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के साथ मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीशों के 11 वें संयुक्त सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि "हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए."
उन्होंने कहा कि "यदि सब कुछ कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी. यदि नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करें, यदि पुलिस ठीक से जांच करे और हिरासत में अवैध यातना खत्म हो जाए, तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं है.”
कोर्ट में स्थानीय भाषाओं पर जोर दिया जाना चाहिए- मोदी
इस बीच, यह कहते हुए कि सरकार न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है, पीएम मोदी ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं पर जोर दिया और कहा कि "इससे न्याय प्रणाली में देश के आम नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा." न्यायिक प्रणाली पर बोलते हुए CJI रमना ने कहा,
“वर्षों से देखा गया है कि अदालत के फैसले सरकारें लागू नहीं करती हैं. न्यायिक घोषणाओं के बावजूद जानबूझकर निष्क्रियता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है. हालांकि नीति बनाना हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है तो अदालत मना नहीं कर सकती."CJI रमना
प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 20 जज भयानक रूप से कम हैं- CJI रमना
CJI रमना ने सबका ध्यान अदालतों में जजों की कम संख्या की ओर दिलाते हुए कहा कि, "कृपया अधिक पदों को बनाने और उन्हें भरने में उदार रहें, ताकि हमारे जज-टू-जनसंख्या अनुपात की तुलना उन्नत लोकतंत्रिक देशों से की जा सके. हमारे पास प्रति 10 लाख की आबादी पर केवल 20 जज हैं, जो भयानक रूप से कम है."
उन्होंने ये भी बताया कि कैसे जनहित याचिकाओं (PIL) के पीछे के अच्छे इरादों का दुरुपयोग किया जाता है और इसे 'व्यक्तिगत हित याचिका' में बदलकर परियोजनाओं को रोकने और अधिकारियों को डराने के लिए किया जाता है. सीजेआई रमणा ने कहा कि
"वर्तमान में हाई कोर्ट के जजों के मंजूर 1,104 पदों में से 388 रिक्तियां हैं, और 180 सिफारिशों में से 126 नियुक्तियां अलग-अलग हाई कोर्ट्स के लिए की गई हैं. 50 प्रस्तावों को अभी भी केंद्र की मंजूरी का इंतजार है और हाई कोर्ट्स ने केंद्र सरकार को लगभग 100 नाम भेजे हैं, जो अभी तक सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचे हैं."CJI रमना
इस बीच, पीएम मोदी ने न्यायिक प्रणाली में डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा होने पर जोर देते हुए घोषणा की कि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट को शनिवार को 'मिशन मोड' में लागू किया जा रहा है.
पीएम ने राज्यों पर तंज कसते हुए कहा कि 2015 में केंद्र ने लगभग 1,800 ऐसे कानूनों की पहचान की थी जो अप्रासंगिक हो गए थे और उनमें से 1,450 को खत्म कर दिया था, जबकि राज्यों ने सिर्फ 75 कानूनों को खत्म किया है.
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