(चेतावनी: इस खबर में हिंसा का वर्णन है)
26 साल की बहन उमराना मोहम्मद ने याद करते हुए कहा, "उन्होंने (आरोपियों ने) उसे पीटते हुए उसके पैर के नाखून उखाड़ दिए. जब उसे हमारे घर वापस लाया गया तो वह एक मृत शरीर की तरह था. उसे इस तरह देखकर मेरी भी जान निकल गई."
मंगलवार, 26 सितंबर की सुबह पूर्वोत्तर दिल्ली में चोरी के शक में एक 26 वर्षीय व्यक्ति को कथित तौर पर एक खंभे से बांध दिया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया.
इसार का सुंदर नगरी में घर है जहां उसकी तीन बहने कमरे के बाहर बैठी है, उमराना अपनी बहनों को सांत्वना देते हुए अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करती है. तीनों बहनों ने अपने एकमात्र भाई - इसार मोहम्मद को खो दिया था.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक कथित वीडियो में, पांच लोगों को इसार को लाठियों से पीटते हुए देखा गया, उसे एक खंभे से भी बांध दिया गया था, क्योंकि इलाके के एक गणपति पंडाल से प्रसाद और 20 रुपये चुराने का इसार पर आरोप लगा था.
वीडियो में पीड़ित को दर्द से रोते हुए और आरोपियों को रुकने की गुहार लगाते हुए भी देखा गया. यह घटना तब सामने आई जब फल बेचने वाले पीड़ित के पिता अब्दुल वाजिद ने 26 सितंबर, मंगलवार देर रात अपने बेटे की मौत के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस को खबर की.
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 34 (आपराधिक इरादा) के तहत नंद नगरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. दिल्ली पुलिस ने द क्विंट को बताया कि एक नाबालिग समेत सात लोगों को पकड़ा गया है.
पकड़े गए लोगों में कमल (23), उसका भाई मनोज (19), यूनुस (20), किशन (19), पप्पू (24), मोमो स्टॉल चलाने वाला लकी और 17 साल का नाबालिग शामिल हैं.
'एक घंटे से अधिक समय तक पीटा गया': चश्मदीदों ने क्या कहा?
इसार, जिसे बौद्धिक विकलांगता (Intellectual Disability) थी यानी वह बुद्धि का प्रयोग करने में असफल था. इसार मजदूरी करता था. वह अब्दुल वाजिद का इकलौता बेटा और अपनी तीन बहनों का इकलौता भाई था.
पुलिस ने कहा, उन्होंने बचपन में ही अपनी मां को खो दिया था. पुलिस के मुताबिक, घटना इसार के घर से महज 200 मीटर की दूरी पर मंगलवार सुबह 4 से 6 बजे के बीच हुई. पुलिस शिकायत में, अब्दुल वाजिद ने कहा कि उनका बेटा सुबह-सुबह बिना किसी को बताए घर से निकल गया था, जब वे सो रहे थे.
पुलिस ने बताया कि, "सात आरोपियों ने इसार को इलाके में छिपते हुए पकड़ लिया. उन्हें लगा कि वह एक चोर है. उन्होंने उससे सवाल पूछना शुरू कर दिया लेकिन वह ठीक से जवाब नहीं दे सका (वह बौद्धिक रूप से विकलांग व्यक्ति था). फिर उन्होंने उसे बिजली के खंबे से बांध दिया और उसकी पिटाई की.
घटना को याद करते हुए, 50 वर्षीय पड़ोसी और चश्मदीद चंद्रावती ने द क्विंट को बताया:
"सुबह के करीब 5 बजे थे जब मैं और मेरा बेटा तेज आवाज सुनकर उठे. जब हम अपनी बालकनी में गए तो हमने देखा कि आठ से अधिक लोग इस लड़के को पीट रहे थे, घूसे मार रहे थे और लात मार रहे थे, जबकि वह मदद के लिए दर्द से रो रहा था."
हालांकि, उन्होने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन कथित तौर पर लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी और एक घंटे से अधिक समय तक इसार को पीटते रहे.
चंद्रावती ने कहा, "मैंने सुना है कि उसने हमारे गणपति स्टॉल से चोरी की है. मैं इसमें शामिल नहीं होना चाहती थी और अपना काम करने के लिए वापस चली गई."
एक अन्य चश्मदीद कोसल ने कहा कि सुबह करीब 6 बजे आसपास खड़े कई लोगों ने लड़के को बारी-बारी से पीटा. उन्होंने कहा, "जो लोग काम पर जा रहे थे, उन्होंने घटना के बारे में सुना और उसे मारना शुरू कर दिया, जिसे देखना बहुत मुश्किल था."
हालांकि यह घटना सुबह-सुबह हुई, लेकिन इसार के परिवार को घंटों बाद पता चला, जब उनके पड़ोसी 17 वर्षीय आमिर ने इसार को सड़क पर पड़ा देखा.
दोपहर करीब 3:30 बजे, आमिर, जो अपनी ट्यूशन क्लास जा रहा था, ने अपने पड़ोसी को खून से लथपथ देखा और उसे रिक्शा में घर वापस ले आया.
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि आरोपी इसार को दूसरी जगह ले गए, कथित तौर पर उसकी पिटाई की और उसे सड़क पर छोड़ दिया.
'अब्बा, उन्होंने मुझे बिना वजह पीटा...': इसार के आखिरी शब्द
इसार की बहनों ने बताया कि जब इसार घर पहुंचा, तो वह "निर्जीव शरीर" की तरह जमीन पर गिर गया. उन्होंने बताया कि जब घटना हुई तब अब्दुल वाजिद घर पर नहीं थे. समरीन ने रोते हुए कहा, "हमें पता ही नहीं चला कि उसके साथ क्या हुआ है. वह सीधे जमीन पर गिर गया और हम डर गए क्योंकि उसका शरीर ठंडा होने लगा था."
दूसरी बहन उस्मा ने द क्विंट को बताया, "शुरुआत में, हमें लगा कि वह बीमार पड़ गया है. लेकिन हमें एहसास हुआ कि उसके नाखून उखड़ गए थे, उसके सिर से खून बह रहा था और उसके शरीर पर चोट के निशान थे. जब हमने उससे बात करने की कोशिश की, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया."
पूर्वोत्तर दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) जॉय टिर्की के अनुसार, बहनें डरी हुई थीं क्योंकि वे घर पर अकेली थीं और उन्हें नहीं पता था कि क्या करना है. उन्होंने द क्विंट को बताया, "उन्होंने सोचा कि वे पिता के लौटने का इंतजार करेंगे और फिर इसार को अस्पताल ले जाएंगे."
इसार के पिता ने द क्विंट को बताया कि, “जब मैं पहुंचा, तो मेरा बेटा लगभग मर चुका था. उसने पानी मांगा और मैंने उसे पानी दिया. अपने आखिरी शब्दों में, उसने मुझे बताया कि उसे लोगों के एक समूह ने पकड़ लिया था. उन्होंने मान लिया कि वह चोर है और उस पर बेरहमी से हमला किया. उन्होंने उसे लात मारी, लाठियों से मारा, उसके नाखून उखाड़ दिए और उसे एक खंभे से बांध दिया. बिना वजह उसे पीटा गया. एक मिनट बाद, उसने मेरी बाहों में जान दे दी."
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सुंदर नगरी की गलियों में, 25 लोगों का एक समूह इसार के घर के बाहर बैठा और उस भयानक रात की घटनाओं को याद कर रहा था. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पीड़ित के घर के बाहर, घटनास्थल और इलाके में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है.
नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. उन्होंने कहा, "चूंकि यह एक सांप्रदायिक-संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए हमने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है. मामले में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है."
अब्दुल वाजिद ने अपनी दुखी बेटियों को गले लगाया. उन्होंने कहा, "वह मेरा इकलौता बेटा था. इससे भी ज्यादा दुख की बात यह है कि किसी ने भी उन्हें (आरोपियों को) नहीं रोका."
बहन उमराना ने कहा कि, "मैं जानती हूं कि इसार चोर नहीं है. आप किसी को इस तरह पीट-पीटकर कैसे मार सकते हैं? वह इसके लायक नहीं था. क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि हम गरीब हैं और हमारे लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है. हमने एक भाई को 20 रुपये के लिए जीवन भर के लिए खो दिया है. अब हम क्या करेंगे?"
वाजिद और उनकी बेटियां केवल एक ही चीज चाहते थे- इसार के लिए न्याय. उन्होंने द क्विंट को बताया, "मैं चाहता हूं कि वे लोग जेल में हों. मैं उन्हें पीड़ित होते देखना चाहता हूं, ठीक उसी तरह जैसे मेरे गरीब बेटे ने दर्द सहा था."
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