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Guddu Muslim पुलिस की गिरफ्त से अब तक बाहर, कैसे बना मोस्ट वांटेड गुड्डू बमबाज?

Guddu Muslim: पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार, गुड्डू बम बनाने में माहिर है.

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Guddu Muslim पुलिस की गिरफ्त से अब तक बाहर, कैसे बना मोस्ट वांटेड गुड्डू बमबाज?
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माफिया-राजनेता अतीक अहमद (Atiq Ahmad), उसके भाई अशरफ (Ashraf Ahmad) की हत्या और अतीक के बेटे असद (Asad) और उनके तीन सहयोगियों की मुठभेड़ में मौत के बाद, अतीक के करीबी सहयोगियों में से एक गुड्डू मुस्लिम (Guddu Muslim) अब उमेश पाल हत्या (Umeshpal Murder) मामले में मोस्ट वांटेड बन गया है. उस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ है.

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गुड्डू मुस्लिम इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज शूटआउट के बाद से गिरफ्तारी से बचा हुआ है. 2005 में बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह, उमेश पाल और उनके दो पुलिस-नियुक्त गनर खुलेआम गोलीबारी में मारे गए थे, जहां एक कथित सीसीटीवी वीडियो में हथियारबंद लोगों को अंधाधुंध फायरिंग और बम फेंकते देखा जा सकता है. 

सफेद शर्ट, काली पैंट और स्पोर्ट्स शूज में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति जो मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर आया और काले बैग से बम फेंकते हुए देखा गया वही गुड्डू मुस्लिम है.

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अतीक का करीबी कैसे बना गुड्डू मुस्लिम?

बम बनाने में माहिर गुड्डू को पहली बार 1999 में नशीले पदार्थों के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उस समय गोरखपुर में एएसपी के पद पर तैनात यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने एनडीपीएस मामले में गुड्डू को गिरफ्तार किया था.

इसके बाद गुड्डू को 10 साल की सजा हुई. उसे कथित तौर पर अतीक ने जमानत दिलवाई थी और तब से वह अतीक के करीबी सहयोगियों में से एक हो गया.

गुड्डू ने उत्तर प्रदेश में कई आपराधिक गिरोहों के साथ काम किया है. 1997 में बाहुबली ठेकेदार सतीश सिंह की हत्या की जांच के दौरान उसका नाम सामने आया था. ठेकेदार सतीश की कथित तौर पर गैंगस्टर प्रकाश शुक्ला ने हत्या कर दी थी, जिसने फैजाबाद में एके-47 का उपयोग करके सतीश पर गोलियां बरसाई थीं.

एसटीएफ के संस्थापक सदस्यों में से एक सेवानिवृत्त आईपीएस राजेश पांडे के अनुसार, गुड्डू सतीश के साथ था, जब शुक्ला ने गोलीबारी की थी. गुड्डू को जांच के दौरान पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था.

पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार, गुड्डू बम बनाने में माहिर है. प्रयागराज में क्रूड बम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले हथियारों में से एक है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गुंडों से लेकर, आपराधिक गिरोह में शामिल लोग और स्कूल में छात्रों के झगड़े तक "होममेड" बम का इस्तेमाल लगातार होता है. ये इसतेमाल या तो परीक्षा में पास होने के लिए या फिर आतंक फैलाने के लिए किया जाता रहा है.

गुड्डू की विशेषज्ञता से वाकिफ पुलिसकर्मियों का दावा है कि वह बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और सामग्री अपने पास ही रखता है और वह बिना किसी को भनक लगे जल्दी से बम तैयार कर लेता है.

और इसीलिए वह गैंगस्ट और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच "गुड्डू बंबाज" नमा से जाना जाता है.

गोलीबारी के दिन जहां उमेश और उनके दो गनर मारे गए थे, गुड्डू ने जो बम फेंका था, वह घात लगाकर कवर लेने की कोशिश कर रहे पुलिस के एक गनर के पास फट गया था.

जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि, क्राइम सीन पर गुड्डू की विशिष्ट उपस्थिति और चतुराई से बम को हैंडल करने के तरीके की वजह से सीसीटीवी फूटेज में वह अलग ही दिखा.

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कहां है गुड्डू मुस्लिम?

प्रयागराज पुलिस और यूपी एसटीएफ की कई टीमें बड़े स्तर पर तलाशी कर रही है, लेकिन इसके बावजूद गुड्डू मुस्लिम पिछले दो महीनों से गिरफ्तारी से बच रहा है. उमेश पाल की हत्या के नौ दिन बाद 5 मार्च 2023 को उसे आखिरी बार मेरठ में देखा गया था.

एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक गुड्डू अतीक के साले अखलाक अहमद के घर मेरठ पहुंचा था. माना गया कि वह कुछ घंटों के लिए उसी घर में रहा और फिर दिल्ली जाने के लिए बस से रवाना हो गया. कहा गया कि वह अखलाख के घर आर्थिक मदद के लिए आया था.

इसके बाद अखलाक को गिरफ्तार किया गया था. मेरठ की स्थानीय एसटीएफ इकाई जिसे गुड्डू के आने की सूचना मिली थी, वह समय पर नहीं पहुंच सकी. जैसे ही एसटीएफ ने गुड्डू को पकड़ने की कोशिश की, वह फिर से गायब हो चुका था.

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