इंदौर में जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम 'ऑपरेशन कर्क' चला रही है और इसमें टीम ने जो खुलासे किए वो हैरान करने वाले हैं. स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत से कारोबारियों ने बड़ी मात्रा में गुटखा और सिगरेट का अवैध कारोबार किया. जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने गुटखा मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट से करीब 400 करोड़ और सिगरेट की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट से करीब 105 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का अनुमान लगाया है. इस पूरे गिरोह के मास्टरमाइंड किशोर वाधवानी को पुलिस ने 15 जून को मुंबई से गिरफ्तार किया है.
कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए किशोर वाधवानी को 30 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है
जीएसटी की इंटेलिजेंस टीम ने टैक्स चोरी के भांडाफोड़ को ‘ऑपरेशन कर्क’ नाम दिया है. गुटखा पाउच, सिगरेट पर सबसे ज्यादा जीएसटी लगता है इसलिए जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने इन सामानों पर टैक्स की चोरी की आशंका होने के तहत इस ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन कर्क’ रखा है.
लंबे वक्त से फर्जीवाड़ा होने की आशंका
अखबार दैनिक भास्कर के मुताबिक ये खुलासा डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने किया है. बताया गया है कि पान-मसाला और सिगरेट की टैक्स चोरी के पीछे किशोर वाधवानी का ही हाथ था. DGGI ने ऑपरेशन कर्क फेज 2 पर एक लिखित नोट जारी किया इसमें उन्होंने वाधवानी को इस पूरे टैक्स चोरी के मामले में मास्टरमाइंड बताया है. टैक्स चोरी का जो आकलन लगाया गया है वो सिर्फ अप्रैल 2019 से मई 2020 का है.
आशंका है कि फर्जीवाड़ा काफी लंबे वक्त से चल रहा है. इसलिए टैक्स चोरी अनुमान से ज्यादा की भी निकल सकती है. उत्पादन की जानकारी पब्लिक न हो इसलिए मशीनों को जनरेटर से चलाया जाता था. डीजीजीआई को सूत्रों से वाधवानी और उसके कारनामों की जानकारी मिली थी. इंटेलिजेंस टीम की जांच में ये भी सामने आया कि एलोरा टोबैको कंपनी इंदौर के नाम पर अलग-अलग ब्रांड की सिगरेट का उत्पादन किया जाता है.
दस्तावेजों की जांच में सामने आया घोटाला
स्थानीय अखबार नईदुनिया के मुताबिक जून महीने में ही डीजीजीआई ने इस कंपनी के अलग-अलग ठिकानों पर छापे मारे. सिगरेट और पान गुटखा बनाने वाली कंपनी ने पिछले 2 फाइनेंशियल सालों में 2.09 करोड़ और 1.46 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में भरा. दस्तावेजों की जांच में करोड़ों के घोटाले का कारनामा सामने आया.
अवैध माल अलग रास्ते से बाहर लाया जाता था
नई दुनिया के मुताबिक छापेमारी के दौरान इंटेलिजेंस टीम को ये भी पता चला कि जहां पर सिगरेट का प्रोडक्शन होता था वहां तैयार अवैध माल को गुप्त रास्ते से बाहर लाया जाता था. कंपनी के अकाउंटेंट से पूछताछ में पता चला है कि कंपनी में सिर्फ 5 परसेंट माल ही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता था. बाकी उत्पादन फर्जी तरीके से बाहर भेज दिया जाता था. डीजीजीआई के मुताबिक सिगरेट के10 और ए10 नाम के ब्रांड्स के साथ बनाई जाती थी. गोदाम में जो पैकिंग सामग्री मिली है, उससे 5 हजार कार्टन पैक किए जा सकते थे. एक कार्टन में 12 हजार सिगरेट रखी जाया करती थीं. इसका मूल्य करीब 27 करोड़ बताया जा रहा है.
मीडिया हाउस में भी लगाया पैसा
डीजीजीआई ने ये भी बताया कि आरोपी किशोर वाधवानी ने मीडिया हाउस खोलकर उसके नाम पर भी हेराफेरी की. उसने अखबार की प्रति बिकने की संख्या 1 लाख 20 हजार बताई थी लेकिन असल में इनके अखबार की सिर्फ 4-6 हजार प्रतियां ही बिकती हैं. पान मसाला सिगरेट के अवैध व्यापार से जो कालाधन आता था, वो इन धंधों में लगाकर सफेद किया जाता था.
वाधवानी GST रिटर्न भरना चाहते हैं: वकील
इस केस की स्थानीय कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. दैनिक भास्कर के मुताबिक वाधवानी के वकील का कहना है कि 'वो अपना जीएसटी रिटर्न भरना चाहते हैं इसकी उन्हें मंजूरी दी जाए.' दूसरी तरफ से जीएसटी विभाग की तरफ से पब्लिक प्रॉसीक्यूशन ने कहा 'वाधवानी ने 300 करोड़ की टैक्स चोरी का गंभीर आर्थिक अपराध किया है उनके पास दुबई का रेजीडेंट वीजा भी है. इसलिए अगर कोर्ट उन्हें छोड़ती है तो वह दुबई भाग सकते हैं.'
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