दावा
सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें सड़क पर बिखरे नोटों को देखा जा सकता है. वायरल वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो मध्य प्रदेश के इंदौर का है, जहां एक शख्स ने कोरोना वायरस फैलाने के लिए सड़क पर नोटों को फेंक दिया.
इनमें से एक वीडियो में पुलिसकर्मियों को लकड़ी से नोटों को उठाते देखा जा सकता है, वहीं दूसरे वीडियो में एक शख्स सड़क से गुजरता हुआ दिखाई देता है. इस वीडियो में शख्स कहता है कि सड़क पर नोट फेंकने वाला व्यक्ति मुस्लिम था.
सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हो गए हैं. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस फैलाने के इरादे से इन नोटों को सड़क पर फेंका गया है. ट्विटर पर, एक यूजर ने इसे 'नोट जिहाद' बताया.
ये वीडियो इसी दावे के साथ फेसबुक पर भी शेयर किया गया.
एक फेसबुक यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि एक शख्स ने जानबूझकर नोटों को फेंका है.
क्विंट को इन दोनों वीडियो को वेरिफाई करने के लिए रीडर्स से कई सवाल मिले.
सच या झूठ?
ये घटना असल में इंदौर की ही है, लेकिन कोरोना वायरस फैलाने के इरादे से नोटों को सड़क पर नहीं फेंका गया था. ये घटना एक एक्सीडेंट थी और किसी समुदाय द्वारा COVID-19 फैलाने के इरादे से नहीं की गई थी.
हमें जांच में क्या मिला?
कई दावों में ये घटना इंदौर की बताई गई है. हमने इसे लेकर न्यूज रिपोर्ट खोजीं और पाया कि ये घटना इंदौर की ही है, जब हीरा नगर के लोगों ने सड़क पर कई नोटों को बिखरा हुआ देखा था. NDTV की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस घटना को लेकर पुलिस को जानकारी दी गई थी. पुलिस ने आकर एहतियात के साथ नोटों को कलेक्ट किया और मामले की जांच कर रहे थे.
क्विंट ने इंदौर में पुलिस से भी इस घटना को लेकर बात की.
क्विंट से बात करते हुए, हीरा नगर पुलिस स्टेशन के इंचार्ज राजीव भदौरिया ने कहा कि नोट सड़क पर जानबूझकर नहीं फेंके गए थे, और अफवाहें गलत हैं.
भदौरिया ने बताया कि उनकी जांच में सामने आया है कि ये नोट असल में इंडेन गैस के डिलीवरी एग्जीक्यूटिन की जेब से खाटीपुरा इलाके में गिर गए थे, जब वो साइकिल पर डिलीवरी कर रहा था. उन्होंने कहा कि इलाके में लगे सीसीटीवी की फुटेज से इसकी पुष्टि हो गई है.
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि पुलिस ने डिलीवरी एग्जीक्यूटिव से भी बात की, जिसकी पहचान राम नरेंद्र यादव नाम से हुई है. भदौरिया ने कहा कि घटना के अगले दिन, 17 अप्रैल को मामला साफ हो गया था और पैसे शख्स को लौटा दिए गए हैं.
इससे साफ होता है कि वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा गलत है.
(जबसे ये महामारी फैली है, इंटरनेट पर बहुत सी झूठी बातें तैर रही हैं. क्विंट लगातार ऐसी झूठ और भ्रामक बातों की सच उजागर कर रहा है. आप यहां हमारे फैक्ट चेक स्टोरीज पढ़ सकते हैं.)
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