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योगी सरकार ने विकास दुबे केस के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है. रिटायर्ड जस्टिस एसके अग्रवाल एनकाउंटर की घटना की जांच करेंगे. उनका हेडक्वॉर्टर कानपुर में होगा. आयोग को 2 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है.
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इससे पहले 11 जुलाई को बिकरू गांव में हुए एनकाउंटर केस में SIT गठित कर दी गई है. कानपुर में हुए एनकाउंटर में विकास दुबे और उसके साथियों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब इस मामले में SIT गठित कर इसके विभिन्न पहलुओं की जांच के आदेश दिए हैं. SIT की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी करेंगे.
SIT जिन पहलुओं की जांच करेगी, उनमें से कुछ ये हैं:
- विकास दुबे के खिलाफ जितने भी केस हैं, उनमें क्या कार्रवाई की गई? उसके और उसके साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी?
- विकास दुबे के खिलाफ कितनी जन शिकायतें आईं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर और अन्य अधिकारियों ने क्या जांच और कार्रवाई की?
- विकास और उसके साथियों के पिछले एक साल के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) की जांच करना और इनके संपर्क में आए पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन की सिफारिश करना.
- घटना के दिन अपराधियों के पास किस तरह के हथियार थे, इसके बारे में जानकारी जुटाने में किस स्तर पर गलती हुई? क्या थाने को इसकी समुचित जानकारी थी?
- विकास और उसके साथियों के पास हथियार का लाइसेंस होने का पता लगा है. इतने अपराधों में शामिल रहने के बाद उसे लाइसेंस कैसे मिला और उसके पास कैसे बना रहा?
- विकास और उसके साथियों के पास अवैध रूप से अर्जित संपत्ति और उसकी आर्थिक गतिविधियों की जांच करना. इस संबंध में स्थानीय पुलिस ने किस तरह की ढिलाई की और किस स्तर के अधिकारी दोषी हैं?
- क्या विकास दुबे ने सरकारी जमीनों पर कब्जा किया? अगर हां, तो कौन अधिकारी इसमें शामिल थे?
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