ADVERTISEMENTREMOVE AD

'गाय से ज्यादा भैंस के मूत्र में जीवाणुनाशक शक्ति', IVRI के रिसर्च में खुलासा

Research on Cow urine: गायों के मूत्र में संभावित तौर पर 14 प्रकार के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जीवाणु मिले.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बरेली स्थित इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट की ताजा रिसर्च में गोमूत्र को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. ताजा गोमूत्र में संभावित रूप से हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए खराब हो सकता है. इसके साथ ही रिसर्च में बताया गया है कि गाय से ज्यादा भैंस के मूत्र में जीवाणुनाशक शक्ति है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रिसर्च में क्या पाया गया?

क्विंट हिंदी से बातचीत में IVRI बरेली के जानपदिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रधान वैज्ञानिक भोजराज सिंह ने बताया कि गाय, भैंस और मनुष्यों के मूत्र में जीवाणुनाशक गुण पर रिसर्च किया गया है. उन्होंने बताया कि,

"गाय, भैंस और मनुष्यों के मूत्र का टेस्ट किया गया. गाय की तीन नस्लों- दो देसी और एक क्रॉस ब्रीड के मूत्र की जांच की गई. देसी नस्ल की गायों का मूत्र ज्यादा प्रभावी जीवाणु नाशक था. लेकिन उससे भी ज्यादा प्रभावी जीवाणु नाशक भैंस का मूत्र था. मनुष्य का मूत्र सबसे कम जिवाणु नाशक पाया गया."

इसके साथ ही गाय, भैंस और मनुष्य के मूत्र में इस बात की भी जांच की गई कि क्या कोई ऐसा जीवाणु तो नहीं है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. गायों के मूत्र में संभावित तौर पर 14 प्रकार के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जीवाणु मिले.

भोजराज सिंह ने बताया कि गायों के ताजा मूत्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. इसके साथ ही उन्होंने लोगों को गायों के ताजा मूत्र न पीने की सलाह भी दी गई है.

क्विंट हिंदी से बातचीत में भोजराज सिंह ने साफ किया कि ये एक स्पेसिफिक रिसर्च था. ये इस बात को सिद्ध करने के लिए नहीं है कि कौन सा मूत्र अच्छा है और कौन सा बुरा है. सिर्फ ये सिद्ध करने के लिए था कि किस मूत्र में ज्यादा जीवाणु नाशक गुण हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,

"कोई भी मूत्र पूरी तरह से जिवाणु नाशक नहीं होता. क्योंकि अगर ऐसा होता तो मूत्र नली में इन्फेक्शन की समस्या ही नहीं होती. दुनिया में सारे इन्फेक्शन में मूत्र नली में इन्फेक्शन 5वें नंबर पर आता है."

सैंपल साइज और रिसर्च की बड़ी बातें

  • गाय, भैंस और इंसानों के 73 यूरीन सैंपल की जांच की गई. जिसमें से मवेशियों के 54 और इंसानों के 19 सैंपल थे.

  • 73 यूरीन सैंपल में से 57 सैंपल में एक या अधिक प्रकार के बैक्टीरिया मिले.

  • 19 मानव मूत्र के नमूनों में से 10 (52.63%) नमूनों में बैक्टीरिया थे.

  • गाय और भैंसों के 54 मूत्र के नमूनों में से 47 (87.04%) में बैक्टीरिया थे.

भोजराज सिंह ने बताया कि रिसर्च में गायों का सैंपल साइज 41 था. सिर्फ 5 गायों का मूत्र ऐसा था जिसमें कोई हानिकारक जीवाणु नहीं मिले. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,

"ऐसा नहीं है कि सभी गायों में हानिकारक जीवाणु होते हैं. अगर गाय स्वस्थ हैं तो हानिकारक जीवाणु नहीं होंगे, अगर अस्वस्थ हैं तो उनमें हानिकारक जीवाणु हो सकते हैं."

उन्होंने बताया कि 14 प्रकार के हानिकारक जीवाणु एक ही गाय में नहीं मिले हैं. ये 36 अलग-अलग गायों में पाए गए हैं.

भोजराज सिंह ने साफ किया कि उन्होंने गोमूत्र पीने के फायदे पर रिसर्च नहीं किया है. उन्होंने कहा कि हमने गोमूत्र पीने पर कोई रिसर्च नहीं किया है. वो आगे कहते हैं कि लोगों का मानना है कि चोट लगने पर या फिर किसी घाव पर मूत्र डालने वो ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर उस पेशाब में इन्फेक्शन करने वाला जिवाणु होगा तो आपका घाव बढ़ सकता है.

"बहुत सारे लोगों और जानवरों के मूत्र में जीवाणु नाशक शक्ति मिली है और वो उन जीवाणुओं को मार सकती है जो घाव में इन्फेक्शन करते हैं. पर सारे जानवरों के नहीं."

भोजराज सिंह ने सिर्फ स्वस्थ्य गायों के ही मूत्र के इस्तेमाल पर जोर दिया है. बता दें कि IVRI बरेली के जानपदिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रधान वैज्ञानिक भोजराज सिंह ने तीन पीएचडी स्कॉलर्स के साथ मिलकर ये रिसर्च किया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×