महाराष्ट्र में 10वीं और 12वीं के ऑफलाइन परीक्षाओं को लेकर बवाल मचा हैं. सरकार के बोर्ड परीक्षाएं ऑफलाइन लेने के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर छात्रों का गुस्सा उमड़ पड़ा. लेकिन यूट्यूब इंफ्लुएंसर हिंदुस्तानी भाउ यानी विकास फाटक ने ऑफलाइन परीक्षाओं के खिलाफ बनाए वीडियो के बाद छात्र सड़कों पर उतरे.
31 जनवरी को मुंबई के धारावी, पुणे, नागपुर और नांदेड़ जैसे जिलों में छात्रों ने हंगामा किया. कई जगहों पर तोड़-फोड़ की घटनाएं भी सामने आई. जिसके बाद हिंदुस्तानी भाउ के साथ कई छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि ऑफलाइन परीक्षाओं का आखिर इतना कड़ा विरोध क्यों हो रहा है ये समझने के लिए क्विंट हिंदी ने छात्रों से बातचीत की.
मुंबई के वर्ली में आनंद क्लासेस में पढ़नेवाले 12वीं के छात्र शशांक का कहना हैं की मौका मिले तो कोई भी छात्र ऑफलाइन परीक्षा देना नहीं चाहेगा क्योंकि किसी की भी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई हैं. तो दूसरी ओर दादर के बालमोहन विद्यामंदिर में 10वीं कक्षा में पढ़ रहे ओवी पाडगांवकर का सवाल हैं कि बच्चों को भड़काने वाले क्या उनके भविष्य की जिम्मेदारी लेंगे? अगर ऑफलाइन परीक्षा से कोरोना होगा तो क्या भीड़ में आंदोलन करने से नहीं होगा?
दरअसल, टीचर्स के लिए भी परीक्षाओं का मुद्दा सिर दर्द बना हुआ हैं. आनंद कोचिंग क्लासेस के टीचर आनंद रतन उदगिरी का मानना है कि ऑफलाइन परीक्षा देने को लेकर छात्रों का विरोध नहीं होता अगर उन्हें पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय देकर सरकार ने 3 से 4 महीने पहले निर्णय घोषित किया होता. ग्रामीण इलाकों के और शहरी गरीब बच्चों की गैजेट और इंटरनेट सेवा के अभाव के कारण पढ़ाई नहीं हो सकी. ऐसे में इंटर्नल को 50 मार्क्स और ऑफलाइन के लिए 50 मार्क्स का विकल्प रखने की मांग की जा रही हैं.
हालांकि बालमोहन विद्यामंदिर के टीचर विलास परब का कहना है कि ऑफलाइन परीक्षा के बिना छात्रों का सही मूल्यांकन नहीं हो सकता. किसी के भड़काने पर छात्र अपना भविष्य खराब ना करे और पढ़ाई कर परीक्षाओं की तैयारी में लग जाएं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)