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2018 के दस बड़े झूठ,जो हो गए थे वायरल 

हर साल की तरह 2018 में भी कई तरह के झूठ सामने आए. ऐसे में पेश हैं 10 ऐसे झूठ, जो 2018 में काफी वायरल हुए.

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हर साल की तरह 2018 में भी कई तरह के झूठ सामने आए. झूठ के इन मामलों का दायरा काफी बड़ा था. ऐसे में पेश हैं 10 ऐसे झूठ, जो 2018 में काफी वायरल हुए.

एयरपोर्ट को लेकर पीएम मोदी का दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 सितंबर 2018 को पाक्योंग में सिक्कम के पहले एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान कहा था- ''आजादी के बाद से 2014 तक, 65 एयरपोर्ट थे यानी कि औसत के हिसाब से लगभग हर साल एक एयरपोर्ट, जबकि पिछले 4 सालों में औसतन हर साल 9 एयरपोर्ट बने हैं.'' हालांकि, इन 4 सालों में केवल 7 एयरपोर्ट ही शुरू हो पाए.

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डीबीटी पर वित्त मंत्री का दावा

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2 नवंबर 2018 को कहा था कि आधार और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की वजह से होने वाली बचत सालाना 90,000 करोड़ रुपये की है. जेटली का यह दावा झूठा था क्योंकि सरकार के डेटा के मुताबिक, 90,000 करोड़ रुपये की बचत कुल मिलाकर मार्च 2018 तक हुई थी, यह हर साल की बचत नहीं थी.

यूपी के सीएम योगी का किसानों को लेकर दावा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी 2018 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ''पिछले 10 महीनों के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों के बीच 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बांटी है.'' हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017-18 में 682.5 मिलियन ट्रांजैक्शन्स के जरिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तौर पर 14,540 करोड़ रुपये दिए थे. यह डेटा 21 फरवरी 2018 को सरकार के डीबीटी डैशबोर्ड से मिला.

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स्मार्टसिटी को लेकर पीएम मोदी का दावा

अपनी सरकार के 4 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ''2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्चे पर 100 स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही हैं.'' जबकि, केंद्रीय कैबिनेट ने 2015 में मिशन के लॉन्च के समय इसकी चौथाई से भी कम राशि (48,000 करोड़ रुपये) को मंजूरी दी थी. मार्च 2018 तक, सिर्फ 21 फीसदी राशि बांटी गई और केवल 1.8 फीसदी का प्रयोग हुआ.

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मध्य प्रदेश पर कमलनाथ का दावा

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने एक टीवी इंटरव्यू में मध्य प्रदेश के बारे में कहा था- ''रेप में नंबर वन, किसानों की खुदकुशी में नंबर वन, बेरोजगारी में नंबर वन.'' हालांकि, मध्य प्रदेश में रेप के सबसे ज्यादा मामले तो दर्ज किए गए थे, लेकिन प्रति 100,000 महिलाओं पर रेप के मामलों के हिसाब से इसकी रैंक 5वीं थी.

2015-16 में मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की दर 4.3 फीसदी थी. जबकि 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बेरोजगारी दर मध्य प्रदेश की दर से ज्यादा थी. 2016 में मध्य प्रदेश में किसानों की खुदकुशी के 1,321 मामले सामने आए, यह देश में तीसरी सबसे बड़ी संख्या थी.

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दंगों को लेकर अमित शाह का दावा

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा ''गुजरात में हमारी सरकार बनने के बाद एक भी दंगा नहीं हुआ. मध्य प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ, छत्तीसगढ़ में एक भी दंगा नहीं हुआ और उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार बनने के बाद दंगे रुक गए.''

हालांकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, 2002 दंगों सहित 1998-2016 के दौरान गुजरात में दंगों के 35,568 मामले दर्ज किए गए. जबकि बीजेपी के शासन में मध्य प्रदेश में 2003-2016 के दौरान दंगों के 32,050 मामले सामने आए. छत्तीसगढ़ में इसी समय सीमा में दंगों के 12,265 मामले दर्ज हुए.

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मुस्लिम जनसंख्या को लेकर दावा

एक केंद्रीय मंत्री सहित बीजेपी के दो चुने हुए प्रतिनिधियों ने बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या को खतरा बताया. जबकि तथ्य यह है कि औसतन एक मुस्लिम मां के तीन बच्चे हैं, जबकि हिंदू के दो, लेकिन जनन दर घट रही है और मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि 20 साल के निचले स्तर पर है.

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लिंचिंग पर डेटा

केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में कहा था कि NCRB देश में लिंचिंग की घटनाओं का विशिष्ट डेटा नहीं रखता. गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 2014 से 3 मार्च 2018 के बीच 9 राज्यों में मॉब लिंचिंग के 40 मामलों में 45 लोगों की हत्या हुई थी. इन मामलों में कम से कम 217 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.

हालांकि, इसी समयसीमा के दौरान, फैक्ट चेकर के मुताबिक, बच्चा-चोरी की अफवाह के चलते भीड़ द्वारा हिंसा और गाय से संबंधित धार्मिक असहिष्णुता के 80 मामले दर्ज किए गए. लिंचिंग के ऐसे मामलों में 41 लोगों की मौत हुई थी. इसमें जाति और अन्य मुद्दों पर भीड़ द्वारा की गई हिंसा के आंकड़े शामिल नहीं हैं.

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''मोदी सरकार में कोई बम धमाका नहीं''

DNA में 16 सितंबर 2018 को ईशा फाउंडेशन के फाउंडर जग्गी वसुदेव का एक बयान छपा. इसके मुताबिक, उन्होंने कहा कि हमें इस बात की सराहना करनी चाहिए कि पिछले 4 सालों में देश में कोई भी बम ब्लास्ट नहीं हुआ है. उनका यह दावा झूठा था. सरकारी डेटा के हिसाब से इन सालों के दौरान ऐसे सैकड़ों मामले दर्ज हुए.

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सरकार का फॉरेस्ट कवर में वृद्धि का दावा

सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 तक 2 सालों में भारत के फॉरेस्ट कवर में 6,778 स्क्वेयर किमी की बढ़ोतरी हुई. सरकार ने दावा किया कि फॉरेस्ट एरिया के हिसाब से भारत टॉप10 देशों में शामिल है.

जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि 'फॉरेस्ट कवर' की आधिकारिक परिभाषा सही नहीं है. दरअसल इसमें व्यावसायिक मकसद से प्रयोग किए जा रहे और खराब हालत में पहुंच चुके जंगल भी शामिल हैं.

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