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आर्टिकल 370 से जुड़ी याचिकाओं पर आज से सुनवाई करेगी संविधान बेंच 

जस्टिस एनवी रमण की अगुवाई वाली संविधान बेंच करेगी सुनवाई 

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जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को बेअसर करने के फैसले की कानूनी वैधता से जुड़ी चुनौतियों पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच 1 अक्टूबर से सुनवाई करेगी. बता दें कि इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 28 सितंबर को संविधान बेंच गठित की थी.

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जस्टिस एनवी रमण की अगुवाई वाली इस बेंच के बाकी सदस्यों में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत शामिल हैं. दरअसल, 28 अगस्त को इस मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेजने का फैसला किया गया था.

सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने जम्मू कश्मीर में किए गए संवैधानिक बदलावों के बाद पैदा हुए मुद्दों से संबंधित दूसरी याचिकाओं पर विचार करते हुए 30 सितंबर को कहा कि इस तरह के सभी मामलों पर जस्टिस रमण की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी. याचिकाओं में घाटी में पाबंदियां और इंटरनेट बैन जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता सीताराम येचुरी, बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, डॉक्टर समीर कौल और मलेशिया स्थित एनआरआई व्यवसायी की पत्नी आसिफा मुबीन ने इस बाबत याचिका दायर की हैं.

इसके अलावा सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कान्फ्रेंस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी याचिकाएं दायर की हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने अपनी याचिका में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करके राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने को चुनौती दी है. साथ ही इस संबंध में राष्ट्रपति के आदेश को असंवैधानिक, अमान्य और निष्क्रिय करने की मांग की है.

साल 2010-11 में जम्मू-कश्मीर के लिए गृह मंत्रालय की ओर से नियुक्त वार्ताकार समूह की सदस्य प्रोफेसर राधा कुमार, पूर्व आईएएस अधिकारी एचएल तैयबजी, गोपाल पिल्लई, शाह फैसल, अमिताभ पांडे, सेवानिवृत्त वाइस मार्शल कपिल काक, सेवानिवृत्त मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व नेता शेहला राशिद ने भी याचिकाएं दायर की हैं.

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