आधार को कई सरकारी योजनाओं से जोड़ना अनिवार्य बनाया जाए या नहीं, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर बीते 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आधार और इससे संबंधित 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने करीब चार महीने के दौरान 38 दिन तक इन याचिकाओं पर सुनवाई की थी.
इस बेंच में सीजेआई दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे.
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आधार पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष
- आधार का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इससे सब्सिडी, सेवाओं और लाभ के लिए वास्तविक लोगों की पहचान में मदद मिलेगी
- आधार की अनिवार्यता से फर्जी पैनकार्ड जैसी समस्याएं खत्म होंगी.
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियां दूर होंगी.
- सरकार ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से जरूरतमंदों तक सरकारी लाभ पहुंचने में देरी होती है और इसकी गति धीमी हो जाती है. इसलिए योजनाओं के तहत लाभार्थियों की पहचान और आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये आधार को अनिवार्य बनाने की जरूरत महसूस की गई.
- आधार की परिकल्पना कल्याणकारी योजनाओं को सफल रूप से लागू करने के लिये की गई.
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सुप्रीम कोर्ट में आधार पर UIDAI का पक्ष
- UIDAI के CEO अजय भूषण पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट को आधार पर प्रेजेंटेशन दी थी.
- इसमें उन्होंने बताया कि ‘आधार' जारी करने वाले प्राधिकरण UIDAI के पास ऐसे लोगों का कोई आंकड़ा नहीं है, जिन्हें12 अंकों की बॉयोमीट्रिक पहचान संख्या नहीं होने के कारण लाभ देने से मना कर दिया गया.
- उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अपडेट नहीं होने की स्थिति में पहचान की पुष्टि नहीं होने पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता.
- UIDAI के CEO ने कहा कि ‘आधार' देशभर में ऑनलाइन वेरिफाई किए जाने में सक्षम पहचान पत्र है.
- CEO ने कहा, ‘‘आधार का रजिस्ट्रेशन फ्री है. इसके लिए महज लोगों के फोटो, पता, अंगुलियों के निशान और आंखों की पुतलियों से संबंधित डेटा की ही जरूरत पड़ती है.
- इसमें धर्म, जाति, जनजाति, भाषा, पात्रता का ब्योरा, आय या स्वास्थ्य विवरण और पेशे से जुड़ी जानकारी नहीं मांगी जाती.
- UIDAI अब इस स्तर पर पहुंच चुका है कि वह प्रतिदिन 15 लाख आधार नंबर जारी करने, छापने और उन्हें भेजने में सक्षम है.
- आंकड़ों की सुरक्षा के बारे में CEO ने कहा कि पंजीयन एजेंसी द्वारा एक बार बॉयोमीट्रिक आंकड़े दिये जाने के बाद उन्हें कोडिंग में बदल दिया जाता है और केंद्रीय पहचान डेटा भंडार (सीआईडीआर) में संरक्षित कर लिया जाता है.
- आंकड़ों की पुष्टि के बारे में उन्होंने कहा कि UIDAI आधार कार्ड के जरिये की गयी किसी भी लेन-देन पर नजर नहीं रखता है.
- अगर कोई आधार के जरिये बैंक खाता खोलता है या मोबाइल फोन लेता है, तो यूआईडीएआई को खाते के विवरण और मोबाइल नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी
- सीईओ ने कहा कि जुलाई के बाद से अंगुलियों के निशान या पुतलियों के अलावा फोटो के जरिये भी किसी भी व्यक्ति की पहचान हो सकेगी और उसे लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये अंतरिम आदेश
- इनकम टैक्स रिटर्न में आधार नंबर को सरकार ने अनिवार्य करने का प्रावधान किया है, जिसका सुप्रीम कोर्ट ने समर्थन किया है.
- सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा कि जिनके पास आधार नंबर है, वो टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त उसका जिक्र करें
- कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिनके पास आधार नंबर नहीं है, उन्हें संविधान पीठ का अंतिम फैसला आने तक परेशान होने की जरूरत नहीं है.
- इस साल के बजट में सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139AA में प्रावधान किया था कि एक जुलाई के बाद टैक्स रिटर्न भरने पर आधार का जिक्र अनिवार्य होगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार नंबर की वजह से डेटा लीक संबंधी लोगों की चिंता को सही ठहराते हुए सरकार से उसपर उचित कदम उठाने को कहा है.
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टॉपिक: सुप्रीम कोर्ट आधार आधार फैसला
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