दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने एलजी को झटका देते हुए कहा है कि कानून के मुताबिक उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं हैं और चुनी हुई सरकार को ही फैसले लेने का हक है. दिल्ली सरकार को बाकी राज्यों से अलग बताते हुए कोर्ट ने कहा है कि सरकार और उपराज्यपाल को मिलकर काम करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण हैं. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ी बातें कहीं-
1. दिल्ली सरकार को जनता ने चुना है और चुनी हुई सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है, उपराज्यपाल को दिल्ली कैबिनेट की सलाह मांगनी चाहिए.
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल रोजमर्रा के कामों में अड़ंगा ना डालें. उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार मिलकर जनता की भलाई के लिए काम करें.
3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दे सकते. दिल्ली की स्थिति बाकी राज्यों से बिलकुल अलग है.
4. दिल्ली की सरकार को जमीन और कानून व्यवस्था के मामले के अलावा दूसरे मामलों में काम करने और कानून बनाने का अधिकार है. दिल्ली सरकार को उनके काम करने दिया जाना चाहिए.
5. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि रोजमर्रा के कामकाज में दखल देना सही नहीं. और उपराज्यपाल मनमाने तरीके से दिल्ली सरकार के फैसलों को रोक नहीं सकते.
6. उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं, इसलिए उन्हें सभी फैसलों की जानकारी दी जानी चाहिए, लेकिन वो दिल्ली सरकार के फैसलों में अड़ंगा नहीं लगा सकते
7. उपराज्यपाल असामान्य परिस्थितियों में या मतभिन्नता की स्थिति में मुद्दा राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं लेकिन फैसलों रोके नहीं रह सकते, उन पर बैठे नहीं रह सकते.
8. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अराजकता की कोई जगह नहीं, सब अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभाएं.
9. संविधान का पालन सबकी जिम्मेदारी है, राज्य सरकार और उपराज्यपाल सभी को मिलकर संविधान का पालन करना चाहिए. कोर्ट के मुताबिक, संविधान का पालन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और संविधान के मुताबिक ही फैसले लिए जाएं.
10. LG को फैसलों की जानकारी देना दिल्ली कैबिनेट की जिम्मेदारी है, लेकिन LG को दिल्ली कैबिनेट की सलाह से काम करना चाहिए.
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