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आरुषि मर्डर: तलवार दंपति की रिहाई के खिलाफ SC ने याचिका की मंजूर

तलवार दंपति की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हेमराज की पत्नी.

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2008 के चर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में अब एक और नया मोड़ आ गया है. हेमराज की पत्नी ने आरुषि के मां-बाप, राजेश और नूपुर तलवार को निर्दोष करार देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हेमराज की पत्नी की याचिका को मंजूर कर ली है. इस याचिका में राजेश और नूपुर तलवार की रिहाई के खिलाफ के खिलाफ भी अपील की गई है.

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बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति की रिहाई का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार को हत्या समेत तमाम दूसरे आरोपों से बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने उन्हें इस आधार पर आरोपमुक्त कर दिया था कि उन्हें ऑन रिकॉर्ड साक्ष्यों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

अब तक इस मामले में क्या क्या हुआ?

  • 15 मई 2008 की रात की गई थी आरुषि-हेमराज की हत्या
  • 24 मई 2008- यूपी पुलिस ने राजेश तलवार को मुख्य अभियुक्त माना
  • जून 2008- सीबीआई ने जांच शुरू कर एफआईआर दर्ज की
  • 26 नवंबर 2013 को नूपुर और राजेश तलवार को सीबीआई कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा की सजा सुनाई21 जनवरी 2014- राजेश और नूपुर तलवार ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगाई थी अर्जी
  • 12 अक्टूबर 2017- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार को बरी किया

2008 में हुई थी आरुषि की हत्या

साल 2008 में नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि-हेमराज हत्याकांड हुआ था. उत्तर प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने इस केस की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की. हत्यारे की तलाश में सीबीआई ने जब तथ्य खंगाले, तो शक की सुई घूमकर तलवार दंपति पर ही जा टिकी. जांच रिपोर्ट पेश की गई और सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया.

सबूतों के अभाव में हुए बरी

2013 में सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब से दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे थे. सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट के जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की बेंच ने केस की जांच में खामी का हवाला देते हुए दोनों को बरी कर दिया. साथ ही तलवार दंपति को रिहा करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने अपने फैसले में सबूतों के अभाव की बात कही थी.

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