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चंदा देने वालों ने बीजेपी को कांग्रेस से 16 गुना ज्यादा पैसा दिया

प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट से मिला सबसे ज्यादा चंदा

Published
भारत
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बीजेपी लगातार चंदा देने वालों की पहली पसंद बनी हुई है. 2017-18 में बीजेपी को कांग्रेस समेत तमाम दूसरी पार्टियां मिलाकर 13 गुना ज्यादा चंदा मिला.

कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी को 16 गुना ज्यादा चंदा दिया गया. वित्तीय साल 2017-18 में बीजेपी को चंदे में 437.04 करोड़ रुपए मिले. लेकिन कांग्रेस के हिस्से में कुल जमा 26.65 करोड़ रुपए ही आए. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘बीजेपी ने जितना चंदा घोषित किया है वो कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीआईएम और तृणमूल कांग्रेस को मिलाकर कुल घोषित चंदे से करीब 13 गुना ज्यादा है.
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प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट से मिला सबसे ज्यादा चंदा

बीजेपी और कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा ‘‘प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट '' की ओर से मिला है. यह बड़े कॉरपोरेट घरानों से समर्थित कंपनी है जिसमें टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी बड़ी कंपनियां शामिल हैं.

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रूडेंट इलैक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को मिलाकर कुल 164.30 करोड़ रुपये का चंदा दिया. लेकिन बीजेपी को 154.30 करोड़ और कांग्रेस के हिस्से में आया सिर्फ 10 करोड़ रुपए.

किसको कितना चंदा मिला (2017-18)

राष्ट्रीय दलों की ओर से घोषित 20 हजार रुपये से ज्यादा के चंदे में साल 2017-18 के लिए राष्ट्रीय दलों ने 469.89 करोड़ रुपया मिलने की घोषणा की है. इसमें से ज्यादातर हिस्सा 437.04 करोड़ रुपया बीजेपी के खाते में गया, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 26.65 करोड़ मिला.

एडीआर के मुताबिक राष्ट्रीय दलों को करीब 90 फीसदी चंदा कॉरपोरेट घरानों से और बाकी 10 फीसदी सामान्य लोगों से मिला.

कॉरपोरेट घरानों ने बीजेपी को 400.23 करोड़ और कांग्रेस को केवल 19.29 करोड़ रुपया चंदा दिया.

बीएसपी को चंदे में नहीं मिली 20 हजार रुपये से बड़ी रकम

बहुजन समाज पार्टी ने ऐलान किया है कि इस अवधि में उसे 20 हजार रुपये से ज्यादा का कोई चंदा नहीं मिला है. बीएसपी पिछले 12 साल से हर साल यही घोषणा करती आ रही है.

दलों को मिले राजनीतिक चंदे में से दिल्ली से 208. 56 करोड़ की रकम मिली. जबकि महाराष्ट्र से 71.93 करोड़ और गुजरात से 44.02 करोड़ आए.

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अधूरी सूचना की वजह से 42.60 करोड़ यानी कुल चंदे का करीब 9 फीसदी रकम का अधूरी सूचना के कारण, पता नहीं चल सका कि यह किस राज्य से आया है.

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