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एडल्टरी अब अपराध नहीं, जानिए SC के फैसले की 10 बड़ी बातें   

एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.

Published
भारत
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आईपीसी की धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है. फैसले के मुताबिक एडल्टरी यानी विवाहेतर संबंध अब कानून की नजर में अपराध नहीं है. इसी के साथ, इन मामलों में सिर्फ पुरुष को दोषी मानने वाले 150 साल से ज्यादा पुरानी आईपीसी की धारा 497 को कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है.

जानिए कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से जुड़ी 10 बड़ी बातें -

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  • एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 497 और CRPC की धारा 198 को असंवैधानिक ठहराया.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • अदालत की पांच जजों की बेंच ने कहा कि यह कानून असंवैधानिक और मनमाने ढंग से लागू किया गया था.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी का मालिक नहीं है पति.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • कोर्ट ने कहा कि पुरुष हमेशा फुसलाने वाला, महिला हमेशा पीड़िता - लेकिन ऐसा अब नहीं होता. यह कानून महिला की चाहत और सेक्सुअल च्वॉयस का असम्मान करता है.
  • कोर्ट के मुताबिक एडल्टरी तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन अपराध नहीं.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला की गरिमा सबसे ऊपर है और महिला के साथ असम्मान का व्यवहार असंवैधानिक है.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा- 'लोकतंत्र की खूबसूरती है मैं, तुम और हम'.
एडल्टरी यानी की विवाहेतर संबंध अब कानूनी तौर पर अपराध नहीं है.
  • कोर्ट के मुताबिक अगर व्यभिचार की वजह से एक जीवनसाथी खुदकुशी कर लेता है और यह बात अदालत में साबित हो जाए, तो आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चलेगा.
  • सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच में फैसले को लेकर कोई मतभेद नहीं था. सर्वसम्मति से इस फैसले पर मोहर लगाई गई.

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