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भारत बंद से ठीक पहले केंद्र की कानून समर्थक किसानों से मुलाकात

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की कानून समर्थक किसान नेताओं से मुलाकात

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पिछले करीब 12 दिनों से हजारों किसान दिल्ली और उसकी सीमाओं पर डटे हैं. मांग है कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करे. इसे लेकर अब मंगलवार 8 दिसंबर को बंद भी बुलाया गया है. 5 दिसंबर को हुई केंद्र और किसानों की बातचीत में केंद्र सरकार ने किसानों से 9 दिसंबर तक का वक्त मांगा. हर किसी ने सवाल उठाए कि आखिर केंद्र फैसला लेने में इतना वक्त क्यों ले रहा है?

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समर्थक किसानों से मुलाकात के मायने

लेकिन अब अगली बैठक से ठीक पहले केंद्र सरकार कुछ ऐसा कर रही है, जो किसानों के लिए एक मैसेज की तरह है. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से पांच दौर की बातचीत की, लेकिन अब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उन किसान संगठनों से बातचीत शुरू कर दी है, जो केंद्र के इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं.

हरियाणा के करीब 20 किसान नेताओं ने सोमवार 7 दिसंबर को कृषि मंत्री से दिल्ली में मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद अब इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. साथ ही इस दौरान कृषि मंत्री ने ये भी कहा है कि कृषि कानून किसानों के हित में हैं और इससे रोजगार के नए मौके पैदा होंगे. इस दौरान कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि अगर आंदोलन चलता रहा तो उससे निपटा जाएगा. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए निजी निवेश के दरवाजे खुलने जा रहे हैं.

कृषि मंत्री से बैठक के बाद प्रोग्रेसिव फार्मर क्लब के अध्यक्ष कंवल सिंह चौहान ने कहा कि जो किसान प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें गुमराह किया गया है. पीएम मोदी ने कहा है कि एमएसपी जारी रहेगी और मंडी सिस्टम मौजूद रहेगा.

कैसे पूरी होगी प्रदर्शनकारी किसानों की मांग?

अब केंद्र सरकार के इस मूव से एक बार फिर सवाल उठना शुरू हो चुका है कि क्या अगली बैठक में केंद्र सरकार किसानों की मांगें मानेगी या फिर नहीं. क्योंकि केंद्र ने अब किसानों के दूसरे धड़े से बातचीत शुरू कर दी है. इसके साथ ही अब उन कयासों पर भी विराम लग चुका है, जिनमें कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार कानूनों को वापस लेने पर विचार कर सकती है. कृषि मंत्री के बयान से ये लगभग साफ हो चुका है कि 9 दिसंबर को होने जा रही बैठक में केंद्र सरकार का क्या रुख होगा.

बता दें कि किसान संगठनों का कहना है कि वो संशोधन पर नहीं मानेंगे. वो चाहते हैं कि सरकार इन किसान विरोधी कानूनों को जल्द से जल्द रद्द करे. साथ ही किसानों ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि वो अगले एक साल तक दिल्ली में ही प्रदर्शन कर सकते हैं. अगर सरकार यही चाहती है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.

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