केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष पर किसानों की समस्या के समाधान के रास्ते में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को फैसले तक नहीं पहुंचने देना चाहती हैं, लेकिन असली किसान नेता जरूर समाधान का रास्ता निकालेंगे.
तोमर ने कहा, ‘’कुछ लोगों के दिमाग में यह बात है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए, इसलिए वे फैसले तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं.’’
कृषि मंत्रालय के अलावा, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को संभाल रहे केंद्रीय मंत्री तोमर किसान प्रतिनिधियों के साथ हुई पांच दौर की बातचीत में से चार की अगुवाई कर चुके हैं. इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह से आठ दिसंबर को हुई किसान नेताओं की मुलाकात के दौरान भी वह मौजूद थे.
इन बातचीत के संबंध में तोमर ने कहा, ''सही मायने में किसान प्रतिनिधियों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो यह कह सके कि किसानों की बात करने के लिए हम लोग आए हैं और किसानों को नए कानून में जहां-जहां आपत्ति है उन मुद्दों पर सरकार से बातचीत होनी चाहिए.''
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति सही है, नीयत सही है और नेता भी सही हैं, इसलिए किसानों के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ''नए रिफॉर्म जब किए जाते हैं तो कुछ लोगों के मन में संदेह उत्पन्न जरूर होता है, लेकिन मेरा मानना है कि संदेह दूर करने का प्रयास सरकार ने किया है और आगे भी किया जाएगा. मुझे आशा है कि समाधान होगा.''
तोमर ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ फिर से बातचीत करने को तैयार है और असली किसान नेता जब बातचीत में आगे आएंगे तो वे समाधान के रास्ते निकालेंगे.
तोमर ने गिनाए नए कृषि कानूनों के फायदे
केंद्र सरकार की ओर से लागू नए कृषि कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे गिनाते हुए तोमर ने कहा, ''नया कानून किसानों को उनकी फसल देश में कहीं भी मनचाहे दाम पर बेचने की स्वतंत्रता प्रदान करता है. तीन दिवस के भीतर दाम के भुगतान की गारंटी देता है. यह कानून इस बात का प्रावधान करता है कि घर बैठे किसानों को देशभर का भाव मिल जाए.''
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि किसानों की फसलों की खरीद पर अगर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा तो उसका फायदा भी उनको मिलेगा क्योंकि टैक्स नहीं लगने से उनको ज्यादा दाम मिलेगा.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़े कानून की खासियत बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून सिर्फ फसल के कॉन्ट्रैक्ट की इजाजत देता है और कानून में फसल की बुवाई से पहले मूल्य तय करने का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान महंगी फसलों की खेती के प्रति आकर्षित होगा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा, साथ ही वैश्विक मानकों के अनुसार खेती करेगा, उनके उत्पाद का इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग में होगा, तो निश्चित रूप से इसका किसानों को फायदा होगा और उत्पादों का उचित दाम मिल पाएगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि नए कानून से किसानों की जमीन जाने की आशंका निराधार है क्योंकि कानून के प्रावधानों के तहत जमीन को लेकर कोई लिखा-पढ़ी नहीं की जा सकती है, इस पर प्रतिबंध है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)