चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर सोमवार को प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर जमा हुए. सुप्रीम कोर्ट के किसी भी न्यायाधीश ने अपने संबंधित न्यायालयों में सुनवाई शुरू नहीं की है, जो असामान्य है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सुबह 10.30 बजे तक सत्र में थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कनिष्ठ महिला कर्मचारी ने गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
चीफ जस्टिस गोगोई पर महिला का आरोप
दिल्ली में गोगोई के गृह कार्यालय में काम कर चुकी पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. महिला ने अपने हलफनामे में जस्टिस गोगोई द्वारा कथित छेड़छाड़ की दो घटनाओं का उल्लेख किया है जो कथित रूप से बीते अक्टूबर में उनके चीफ जस्टिस नियुक्त होने के कुछ दिन बाद की हैं.
महिला ने आरोप लगाया है कि उनके ‘‘यौन पहलकदमी’’ को ठुकराने के बाद ही उसे सेवा से निकाल दिया गया. उसका दावा है कि उसके पति और एक अन्य रिश्तेदार, जो (दोनों) पुलिस में हेड कांस्टेबल थे, को 2012 में एक आपराधिक मामले के सिलसिले में निलंबित कर दिया गया, जबकि यह मामला परस्पर सहमति से सुलझा लिया गया था.
महिला का आरोप है कि बाद में उसे चीफ जस्टिस के आवास पर जस्टिस गोगोई की पत्नी के सामने दंडवत होने और उनके कदमों में नाक रगड़ने के लिये मजबूर किया गया. उसका यह भी आरोप है कि उसके दिव्यांग रिश्तेदार को भी सुप्रीम कोर्ट में नौकरी से हटा दिया गया.
मामले में अब तक क्या हुआ?
पूर्व महिला कर्मचारी के आरोपों ने न्यायपालिका को हैरान कर दिया है. गोगोई ने कहा कि वह इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे नहीं गिरेंगे.
महिला के हलफनामे के आधार पर कुछ समाचार पोर्टलों द्वारा आरोप प्रकाशित करने के बाद अदालत कक्ष संख्या एक में जल्दबाजी में की गई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में संयम बरतने और जिम्मेदारी से काम करने का मुद्दा मीडिया के विवेक पर छोड़ रही है ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं हो. हालांकि, अदालत ने सुनवाई के प्रकाशन-प्रसारण पर रोक का कोई आदेश जारी नहीं किया.
यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के हलफनामे की प्रतियां सुप्रीम कोर्ट के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजे जाने के बाद शनिवार को इसके सार्वजनिक होने पर न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष पीठ गठित की गयी.
विशेष पीठ ने करीब 30 मिनट तक इस मामले की सुनवाई की और इस दौरान गोगोई ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ‘‘बहुत ही गंभीर खतरा’’ है और चीफ जस्टिस पर ‘‘बेशर्मी’’ से यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये गये हैं क्योंकि कुछ ‘‘बड़ी ताकत’’ चीफ जस्टिस के कार्यालय को ‘‘निष्क्रिय’’ करना चाहती हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)