अमेरिका ने एक हफ्ते के भीतर आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान को दूसरा झटका दिया. अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली सुरक्षा मदद पर रोक लगा दी. अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर कार्रवाई न करने से वे निराश हैं. अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान जब तक अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ एक्शन नहीं लेता, तब तक यह रोक जारी रहेगी.
लेकिन अगर गौर फरमाएं, तो आपको पता चलेगा कि पाकिस्तान की मदद में पिछले 5 साल से कटौती की जा रही है. इंफोग्राफिक में देखिए पूरी डिटेल.
इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 साल में अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कुल 77 फीसदी की कटौती हुई है. 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने सबसे ज्यादा पाकिस्तान की आर्थिक की. ऐसा इसलिए क्योंकि अफगानिस्तान में हस्तक्षेप करने के लिए पाकिस्तान अमेरिका की सेना का अहम साथी रहा.
साल 2012 में अमेरिका ने पाकिस्तान को 849 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद की थी. वहीं साल 2016 में ये मदद घटकर 322 मिलियन डॉलर पर पहुंच गई. यानी साल 2012 से 2016 के बीच सैन्य मदद में 62% की कटौती आई. लेकिन, ये कटौती सिर्फ सैन्य स्तर की आर्थिक मदद थी. वहीं इसी दौरान अगर आर्थिक और मानवीय मदद की बात करें तो ये कटौती 77 फीसदी पहुंच जाती है.
पिछले 15 साल में अमेरिका ने पाकिस्तान को 32 बिलियन डॉलर की मदद की है.
पाकिस्तान ने इन पैसों का इस्तेमाल उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में सेना को तैनात करने में किया. ये क्षेत्र पाकिस्तान के बॉर्डर से जुड़ा हुआ है. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के ऑपरेशन में भी अमेरिका की मदद ली है. चाहे वो एयरफील्ड में मदद हो या बंदरगाहों पर.
ट्रंप भारत की भाषा बोल रहे हैं: पाकिस्तान के विदेश मंत्री
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आरोप लगाया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हाल में उनके देश के खिलाफ की गई टिप्पणी यह दिखाती है कि वह भारत की भाषा बोल रहे हैं. ट्रंप के बयान के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच तनाव के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय समिति को जानकारी देते हुए आसिफ ने कहा कि अफगानिस्तान में अपनी विफलता के लिए अमेरिका, इस्लामाबाद को बलि का बकरा बना रहा है.
ट्रंप ने पाकिस्तान पर आरोप लगाए थे कि उसने 33 अरब डॉलर अमेरिकी मदद के बदले केवल झूठ और धोखा दिया.
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