हिंदी पर जारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उन्होंने कभी भी हिंदी को क्षेत्रीय भाषाओं पर थोपने की बात नहीं की है. शाह ने कहा कि उन्होंने सिर्फ हिंदी को मातृभाषा के बाद दूसरी भाषा के तौर पर सीखने की अपील की थी.
बता दें, हिंदी दिवस पर अमित शाह ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने एक देश-एक भाषा की वकालत की थी. शाह ने कहा था कि देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है.
शाह के इस ट्वीट को लेकर खूब बवाल मचा था. दक्षिण के तमाम राज्यों ने शाह के बयान को क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी को थोपने की कोशिश बताया था.
हिंदी पर हंगामे के बीच शाह ने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी ANI ने अमित शाह के हवाले से कहा-
‘मैंने कभी भी हिंदी को दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं पर थोपने की बात नहीं की. मैंने केवल मातृभाषा को बढ़ावा देने के साथ ही हिंदी को दूसरी भाषा के तौर पर सीखने का अनुरोध किया था.मैं खुद एक गैर-हिंदी राज्य गुजरात से आता हूं. अगर इस पर किसी को राजनीति करनी है तो वह करता रहे.’
हिंदी दिवस पर शाह ने क्या कहा था?
हिंदी दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा था, 'भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है, लेकिन पूरे देश की एक भाषा होना बेहद जरूरी है, जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है.'
शाह ने लिखा, 'हिंदी दिवस के मौके पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा का प्रयोग बढ़ाएं और साथ में हिंदी भाषा का प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरुष सरदार पटेल के सपने को साकार करने में योगदान दें.'
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