युवाओं को गाय पालने की सलाह देकर आलोचनाओं से घिरे त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देव को अब समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है. खुद के अमूल के एमडी आर एस सोढी ने कहा है कि बिप्लब देब ठीक कह रहे हैं. उन्होंने देब के नियमित आय के लिए सरकारी नौकरी के पीछे भागने के बजाय गाय पालने वाले बयान का मंगलवार को समर्थन किया.
‘बेरोजगारी दूर करने का प्रैक्टिकल सुझाव’
सोढी ने कहा बेरोजगारी दूर करने के यह प्रैक्टिकल सुझाव है. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ( जीसीएमएमएफ ) के प्रबंध निदेशक सोढी ने कहा कि डेयरी सेक्टर बहुत लाभदायक है और कई शिक्षित युवाओं को अच्छी आमदनी मुहैया करा रहा है. जीसीएमएमएफ ‘ अमूल ' ब्रांड नाम से अपने प्रोडक्ट बेचता है. इसे देश का सबसे बड़ा फूड प्रोडक्ट मार्केटिंग संगठन माना जाता है. इसका कारोबार 40,000 करोड़ रुपये है.
देब ने हाल में युवाओं को सलाह दी थी कि गाय , सुअर या मुर्गी पालने से पैसा कमाया जा सकता है. इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. लोगों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा था कि सरकार को नौकरी पैदा करने के बारे में बात करनी चाहिए.
बहरहाल, सोढी ने कहा -
खासतौर पर त्रिपुरा के लिए गाय या भैंस पालना एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इस राज्य को डेयरी सेक्टर के लिए अनुकूल भौगोलिक स्थिति होने के बावजूद हर साल करोड़ों रुपये का दूध आयात करना पड़ता है.आर एस सोढी, एमडी - गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन
‘पंजाब,गुजरात के युवा गाय पाल सकते हैं तो त्रिपुरा के युवा क्यों नहीं’
सोढ़ी ने कहा , त्रिपुरा में लोगों के पास रोजगार के बहुत मौके नहीं है. अगर गुजरात और पंजाब के युवा व्यावसायिक तरीके में गाय पालन को ले सकते हैं तो त्रिपुरा के युवा अगर ऐसा करते हैं तो उसमें गलत क्या है ? सिर्फ गुजरात में, पढ़े -लिखे युवा तकरीबन 8,000 व्यावसायिक डेयरी फार्म चला रहे हैं. डेयरी कारोबार करने में आपकी मदद के लिए कई राज्यों और केंद्र की योजनाएं हैं.ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के लिए गाय पालन एक बेहतर विकल्प है.
इससे पहले उन्होंने सोमवार को देब की टिप्पणी के समर्थन में ट्वीट भी किया था. उन्होंने चेताया भी कि अगर शिक्षित युवा डेयरी कारोबार में नहीं आएंगे तो भारत को कच्चे तेल की तरह ही दूध भी आयात करना पड़ सकता है.
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