महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने आखिरकार उस शख्स को ढूंढ निकालने में कामयाबी हासिल कर ली, जिसकी तस्वीर उन्होंने पिछले दिनों ट्विटर पर शेयर की थी. इस तस्वीर में एक शख्स जूतों की मरम्मत करने की दुकान पर बैठा है, और बैनर में दुकान को अस्पताल की तरह पेश किया गया है.
नरसीराम नाम का यह शख्स हरियाणा के जींद में मिला. अब आनंद महिंद्रा इस शख्स की मदद करने के लिए आगे आए हैं और उसे आधुनिक डिजाइन की चलती-फिरती दुकान बनवाकर दे रहे हैं.
मुंबई से मदद करने पहुंची टीम
हाल ही में आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में बताया कि कैसे उनकी टीम ने मुंबई से हरियाणा पहुंचकर नरसीराम से मुलाकात की. ट्वीट में लिखा है, ‘हमारी टीम ने उनसे पूछा कि हम कैसे उनकी मदद कर सकते हैं. वह एक सरल और विनम्र व्यक्ति हैं. पैसे मांगने की बजाय उन्होंने कहा कि उन्हें एक अच्छी दुकान की जरूरत है.’
इसके बाद महिंद्रा ने मुंबई में अपनी डिजाइन स्टूडियो टीम से एक चलती-फिरती दुकान को डिजाइन करने के लिए कहा. इस ट्वीट के साथ उन्होंने नरसीराम के दिनचर्या और उनके दुकान की कई तस्वीरें भी साझा की.
तैयार किये गए दुकान के तीन डिजाइन
महिंद्रा ने तीन डिजाइन की तस्वीरें साझा करते हुए आगे लिखा कि उनकी टीम ने चलती-फिरती दुकान के लिए अलग-अलग तीन डिजाइन भी बनाए हैं. ये डिजाइन नरसीराम को दिखाए गए. इतना ही नहीं, उन्होंने ट्विटर यूजर्स से भी डिजाइन को लेकर आइडिया और सुझाव मांगे हैं.
उन्होंने कहा कि वे सड़क पर सामान बेचने वालों के लिए चलती-फिरती दुकानें बनाना चाहते हैं, जिससे सड़क की सुंदरता भी बनी रहे और विक्रेताओं का काम भी बेहतर तरीके से हो सके.
मोची की मार्केटिंग के मुरीद हुए थे महिंद्रा
बता दें कि हरियाणा के जींद में नरसीराम की तस्वीर वॉट्सऐप के जरिए मिलने पर आनंद महिंद्रा हैरान रह गए थे. नरसी ने लोगों का ध्यान खींचने के लिए जो बैनर लगाया है उस पर लिखा है- 'जख्मी जूतों का हस्पताल, डॉ. नरसीराम'. इतना ही नहीं, नरसीराम ने अपने बैनर में अस्पताल की तर्ज पर कई तरह की जानकारी दे रखी है. आनंद महिंद्रा ने इस मोची की तस्वीर शेयर करते हुए मार्केटिंग के इस तरीके की तारीफ करते हुए कहा था कि इस आदमी को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में मार्केटिंग की शिक्षा देनी चाहिए.
इसके बाद उन्होंने अपनी एक टीम इस शख्स को खोजने में लगाई, ताकि वे उनकी मदद कर सकें. और दो हफ्ते बाद उन्होंने नरसीराम को ढूंढ निकाला.
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